सरकार ग्रामीण इलाकों में विकास का जितना भी दावा कर ले, लेकिन ऐसा लगता है कि विकास सीमांचल के इन इलाकों से अभी भी कोसों दूर है। किशनगंज के पोठिया प्रखंड के सरस्वती गांव में मॉनसून की पहली बारिश ने ही विकास के दांवों की पोल खोल दी है। बारिश के पानी की निकासी नहीं होने से गांव में जलजमाव हो गया है। सड़क पर पूरी तरह से पानी फैल गया है। ग्रामीणों की मानें, तो अगले चार महीने यहां के लोगों को इसी जलजमाव के बीच अपना जीवन गुजारना होगा। अगर यही हालात रहे तो लोगों को डर है कि गांव में महामारी फैल सकती है। बारिश का पानी ट्यूबवेल तक के पास जमा हो जाने से लोग ट्यूबवेल का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि अभी बरसात का पूरा सीज़न बाकी ही है। अभी से ही जलजमाव की यह स्थिति है, पता नहीं आगे क्या होगा। अगर बारिश के पानी की निकासी का कोई इंतजाम प्रशासन नहीं करेगा तो अगले चार माह ऐसे ही जलजमाव रहेगा। पानी आंगन तक में घुस गया है। यहां के लोगों के लिए जलजमाव ही समस्या नहीं है, बल्कि उसमें मौजूद गंदगी से बीमारी फैलने का डर लोगों को सता रहा है। गांव में बनी पीसीसी सड़क के साथ-साथ नाला तो बना हुआ है लेकिन वह पूरी तरह से जाम है। जाम होने की वजह से पानी की निकासी बिल्कुल रुक गई है। सरस्वती गांव के ही मो. हलीमुद्दीन कहते हैं कि जब तक प्रशासन नहीं चाहेगा, तब तक इस समस्या से गांव के लोगों को निजात नहीं मिलेगी।
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बता दें कि गांव में खाना बनाने के लिए अधिकतर मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग होता है। लगातार बारिश होने से लोगों के चूल्हा घर तक में पानी घुस गया है। महिलाएं खाना बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे के बजाय गैस का इस्तेमाल कर रही हैं। चूल्हा घर में पानी न घुसे इसके लिए हर साल मिट्टी भराई करना पड़ता है। लेकिन बारिश होते ही नई मिट्टी बह कर चली जाती है, जिससे स्थिति जस की तस बनी रहती है।
सातवीं कक्षा में पढ़ने वाला छात्र नासिर स्कूल जाने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल करता है। सड़क पर पानी होने की वजह से हर दिन उसे जूता और मोजा उतारना पड़ता है। नासिर पानी पार करने के बाद फिर जूता और मोजा पहनता है।
सरस्वती गांव पोठिया प्रखंड की गोरूखाल पंचायत अंतर्गत आता है। जलजमाव की स्थिति पर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मो. सोहराब आलम कहते हैं कि यह समस्य इस साल ही उत्पन्न हुई है। पिछले साल तक लोगों का घर गांव में ही था। जल निकासी का इंतजाम ठीक-ठाक था। लेकिन बहुत लोग अपना घर लेकर सड़क किनारे आ गए हैं। लोगों द्वारा मिट्टी भरने से जल निकासी बंद हो गयी है। वह कहते हैं कि अब सड़क को तोड़कर बीच में पाइप डालना होगा। उसके बाद ही जलजमाव की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
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