सुपौल में ‘कोशी नव निर्माण मंच’ ने सोमवार को कोशी के बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास के सवाल को लेकर समाहरणालय परिसर में धरना प्रदर्शन का आयोजन किया। प्रदर्शन में मंच ने सभी कटाव पीड़ितों को पुनर्वासित कराए जाने की मांग की। धरने में आये सैकड़ों बाढ़ कटाव पीड़ितों ने सभी पीड़ितों को तत्काल सरकारी जमीन में पुनर्वासित करने की मांग को लेकर आवाज बुलन्द की। पीड़ितों ने बाढ़ व कटाव की अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए सरकारी उपेक्षा का आरोप लगाया। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो, सरकार के खिलाफ बड़ा आन्दोलन किया जायेगा।
मंच ने अपनी 17 मांगों को लेकर इस धरना प्रदर्शन का आयोजन किया था। प्रदर्शन के बाद मंच ने डीएम के उपस्थित नहीं रहने की स्थिति में अंचल पदाधिकारी को अपना मांग पत्र सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने बाढ़ पीड़ितों को गृह क्षति देने, मुंगरार व डुमरिया के कटाव रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने, सरकारी प्रवधानों के तहत वस्त्र वर्तन की क्षति के एवज में 1800 व 2000 का लाभ सभी को दिलाने, सर्वे कर सभी को नए सिरे से पुनर्वासित कराने, नावों व राहत कैम्पों की सूची सार्वजनिक करने, तटबन्ध के भीतर खराब सोलर प्लांट मरम्मत कराते हुए कटाव पीड़ितों को सोलर लाइट देने की मांग की।
अंचल पदाधिकारी ने मांग पत्र को स्वीकार करते हुए इसको ऊपर पहुंचाने का वादा किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से आजाद, चन्द्र मोहन यादव, मो सदरुल, बिरेन्द्र यादव, रामकुमार देवी, दशरथ यादव, अखलेस उर्फ मुकेश, मो. अब्बास, राजेन्द्र यादव, मुखिया एकता यादव, पारो देवी, सुशील यादव, कामेश्वर कर्ण, सन्तोष मुखिया, संजय, गौकरण सुतिहार, सीता देवी, इशरत परवीन, भागवत पण्डित, दीप नारायण, प्रमोद राम, शिवशंकर मण्डल इत्यादि मौजूद थे।
कोशी नवनिर्माण मंच की मुख्य मांगें
1) तत्काल हो रहे कटाव से बचाव की मांग
सुपौल शहर के समीप बैरिया पंचायत के मुंगरार गाँव तथा बलवा पंचायत के डुमरिया गाँव के सैकड़ों परिवार कटाव से विस्थापित हुए हैं। अभी पानी कम है, फिर भी कटाव हो रहा है। आने वाले समय में सैकड़ों परिवारों पर कटाव का खतरा मंडरा रहा है। हमलोग मांग करते हैं कि कटाव रोकने के प्रभावी कदम तत्काल उठाए जाए। कटाव स्थल से थोड़ा पहले नदी में बोल्डर / क्रेटिंग / बांस / बोरी, पीलर इत्यादि लगाने से खतरा रुक सकता है। उसी प्रकार अन्य जगह भी जहाँ कटाव हो रहा है, उसे बचाने का प्रयास प्रशासन करे।
2) बसन्तपुर अंचल के तटबंध के भीतर रह रहे लोगों को बाढ़ घोषित करने की मांग
कोशी तटबंध के बीच बसन्तपुर अंचल की सातनपट्टी पंचायत के छतौनी, परसाही, टेड़ी, लक्ष्मीपुर, नरपतपट्टी भगवानपुर पंचायत के भगवानपुर आंशिक, दुबियाही, डुमरी इत्यादि गाँवो के लोग भी रहते हैं। बाढ़ घोषित करते समय बसन्तपुर अंचल ही छूट गया है। उसे बाढ़ घोषित कराकर सभी लाभ दिलाया जाएँ।
3) जी. आर. का लाभ सभी बाढ़ पीड़ित परिवारों को दिलाने की मांग
सहायता राशि के लाभुकों की सूची में राशन कार्ड की अनिवार्यता की बात बताई जा रही है। इससे एपीएल के ऐसे परिवार जिनको खाद्य सुरक्षा के राशन कार्ड नहीं हैं, वे वंचित हो रहे हैं। उसी प्रकार यूनिट आधार होने के कारण अनेक अलग रहने वाले परिवार भी संयुक्त रूप से राशन उठाकर आपस में वितरित कर लेते थे। पूर्व में ऐसे परिवारों को अनुश्रवण समिति की बैठक में शामिल कर, इसका लाभ दिया जाता था। इस बार कतिपय जगह अंचल पदाधिकारी व कर्मी ऐसा करने से मना कर रहे हैं। वे लोग पूर्व में अपलोड अधूरी सूची को ही अनुमोदित करने का दबाव बना रहे हैं। इसपर रोक लगाते हुए जीआर का लाभ, सभी बाढ़ पीड़ित परिवारों को दिलाने की मांग करते है।
4) कटाव पीड़ितों को सरकारी जमीन में बसाने व उन्हें गृह क्षति देने की मांग
कटाव पीड़ितों की स्थिति बेहद दयनीय है। उन्हें अविलम्ब गृह क्षति की राशि दी जाए। इधर-उधर शरण लिए हुए बाढ़ पीड़ितों को सरकारी जमीन में बसाया जाए और उनको प्रधानमंत्री आवास का लाभ दिया जाए। जिनके घर कच्चे व पक्के क्षतिग्रस्त या ध्वस्त हुए हैं, उनके लिए 95100 रुपये तथा जिनकी झोपड़ियां ध्वस्त/कटी हैं, उन्हें 4100 रुपये और साथ में लगे पशु शेड के लिए 2100 रुपये गृहक्षति मद से अतिशीघ्र दिलाई जाये।
5) वस्त्र, बर्तन की राशि देने की मांग
आपदा प्रबन्धन विभाग के पत्रांक- 1973 दिनाक 26/5/15 की कंडिका 1 (घ) के अनुसार 1800 रुपये प्रति परिवार वस्त्र के लिए और 2000 रुपये प्रति परिवार बर्तन/ घरेलू समान की क्षति के लिए निर्धारित है। इसके तहत सभी कोशी तटबंध के बीच के बाढ़ व कटाव पीड़ित आते हैं। इसलिए उन्हें इन योजनाओं का लाभ तत्काल दिया जाए।
6) फसल इनपुट का लाभ दिलाने की मांग
Also Read Story
फसल क्षतिपूर्ति का सर्वे कार्य शीघ्र कराकर, विभागीय प्रावधानों के अनुरूप उन सभी किसानों/ बटाईदार किसानों को जिनकी फसलें 33% से ज्यादा क्षतिग्रस्त है, उन्हें फसल इनपुट का लाभ दिया जाए।
7) कोशी तटबंध के भीतर सभी लोगों का सर्वे कराकर सभी वंचित लोगों को पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
8) जहाँ नावें चली हैं या चल रही है, उनकी सूची सार्वजनिक हो।
9) पूर्व में संचालित या वर्तमान में संचालित हो रहे बाढ़ राहत कैम्प/ कम्युनिटी किचन की जानकारी सार्वजनिक की जाए।
10) तटबंध के भीतर नावों पर मोबाइल डिस्पेंसरी स्थापित कराकर इलाज के लिए, सभी गाँवों में भेजा जाए। सभी गाँवो में उप-स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना करायी जाए। गाँव, टोलों व सभी बसाहटों में टीकाकरण को सुनिश्चित की जाए।
11) जहाँ भी सोलर प्लांट खराब है, उसे ठीक कराया जाए। कटाव के बाद, तटबंध के भीतर रह रहे सभी लोगों को सोलर लाईट का लाभ पुनः दिया जाए।
12) शिक्षा के लिए जिला प्रशासन अलग से सभी को शिक्षित करने की ठोस योजना बनाए। बाढ़ व मानसून के बाद सभी विद्यालयों का भौतिक सत्यापन कराकर शिक्षा से वंचित बसाहटों में विद्यालयों की स्थापना करायी जाए। शिक्षकों की उपस्थिति की निगरानी हो।
13) तटबंध के भीतर बाढ़ के समय में भी सर्वे के नाम पर वसूली जारी है। सर्वे में फैले इस भ्रष्टाचार पर रोक लगे बाढ़ के बाद होने वाले सर्वे में रैयत की जमीन रैयत के नाम रहे, इसकी गारंटी जिला प्रशासन कराए
14) पशुओं, बकरियों में फ़ैल रही बीमारी का टीकाकरण तटबंध के भीतर, नावों से टीम भेजकर कराया जाए।
15) तटबंध के बीच के लोगों के कल्याण के लिए बने “कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार” को खोजवाने में उसमें वर्णित कार्यक्रमों को धरातल पर उतरवाने में जिला प्रशासन अपने स्तर से पहल करे।
16) माफ़ी के बावजूद तटबंध के बीच के प्रत्येक किसान से 4 हेक्टेयर तक की जमीन से हो रही लगान की वसूली पर तत्काल रोक लगे। सभी जमीनों से लगान व सेस की समाप्ति कर, किसान के पास उसका मालिकाना हक रहे और उनके बर्बाद जमीन की क्षति की भरपाई मिले, इसके लिए नया कानून बनाने का सुझाव जिला प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को भेजा जाए।
17) कोशी की समस्या के निदान के दीर्घकालिक उपायों की पहल जिला प्रशासन करे। अत: निवेदन है कि इस मामले में सहनुभूतिपूर्वक विचार करते कुए तत्काल कार्रवाई हो।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।