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“शराब छोड़ो या गांव छोड़ो” – कटिहार के बेचूटोला गांव में अनूठी पहल

गांव वालों ने एक सामूहिक बैठक कर यह फैसला लिया कि गांव में शराबियों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए और ऐसे लोगों को शादी-विवाह समारोह या धार्मिक कार्यकर्मों में शामिल होने पर रोक लगाया जाए। बैठक में इसको लेकर एक तीन दर्जन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया है। यह कमेटी शराबियों पर निगरानी रखेगी। साथ ही आमलोगों से भी अपील की गयी है कि शराब पीने वालों के बारे में कमेटी को सूचित करें।

shadab alam Reported By Shadab Alam |
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कटिहार जिले के फलका प्रखंड के बेचूटोला गांव में ग्रामीणों ने शराब के विरुद्ध अभियान छेड़ दिया है। गांव के युवाओं ने इस अभियान को ‘शराब छोड़ो या गांव छोड़ो’ का नारा दिया है। गांव वालों का कहना है कि राज्य में शराबबंदी के बावजूद कई जगह शराब की खरीद फरोख्त की जा रही है जिसको खत्म करने के लिए अब से गांव में शराबबंदी कानून को सख्ती से पालन कराया जाएगा।

गांव वालों ने एक सामूहिक बैठक कर यह फैसला लिया कि गांव में शराबियों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए और ऐसे लोगों को शादी-विवाह समारोह या धार्मिक कार्यकर्मों में शामिल होने पर रोक लगाया जाए। बैठक में इसको लेकर एक तीन दर्जन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया है। यह कमेटी शराबियों पर निगरानी रखेगी। साथ ही आमलोगों से भी अपील की गयी है कि शराब पीने वालों के बारे में कमेटी को सूचित करें।

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अगर शराब पीते हुए कोई मिलता है तो उसे फ़ौरन पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा। शराब बिक्री के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे दर्जनों युवाओं में से एक ने कहा कि कुछ लोग गांव में आज भी शराब बेचते हैं। जब उन्हें मना किया जाता है तो कहते हैं कि सालों से यह उनकी रोज़ी रोटी है इसलिए इसे बंद नहीं कर सकते। युवाओं का कहना है कि अब इस तरह के किसी भी बहाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जो भी शराब बेचेगा या खरीदेगा उसे सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा।


फलका बाजार स्थित बेचूटोला गांव के युवाओं की इस पहल को प्रखंड के लोग खूब सराह रहे हैं। इस फैसले से खुश अन्य गांव के लोगों ने भी अब अपने -अपने गांव में इस मुहिम को लागू करने का मन बना लिया है।

महिलाएं इस मुहिम से हैं खुश

इस अभियान में गांव की महिलाओं का भी साथ मिल रहा है। वे इस फैसले से काफी खुश हैं। गांव की एक गृहिणी गौरी देवी ने कहा कि बेचूटोला गांव शराबियों की वजह से बदनाम हो चुका है जिससे कोई रिश्तेदार उनके घर नहीं आना चाहता। उन्होंने मांग की कि गांव वासियों की इस मुहिम को सफल बनाने के लिए सरकार और प्रशासन, गांव और आसपास के इलाकों में अवैध शराब बिक्री पर रोक लगाए।

गौरी देवी कहती हैं, ”शराब बिकता है तभी न ये लोग पीता है। शराब यहां नहीं बिकना चाहिए। शराब बिकता है तो सब पीकर आता है और बाल बच्चा, घर वाले को मारता है। हम ‘या तो शराब छोड़ो या तो गांव छोड़ो’ मुहिम के साथ हैं। रिश्तेदार आएंगे देखेंगे कि शराब बिक रहा है तो वे कैसे आएंगे। काफी लोग गांव में शराब बेच रहे हैं। प्रशासन से मांग है कि यहां से दारु हटा दे।”

फलका के थानाध्यक्ष ने भी इस पहल में सहयोग देने की बात कही है।

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सय्यद शादाब आलम बिहार के कटिहार ज़िले से पत्रकार हैं।

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