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कोसी की समस्याओं को लेकर सुपौल से पटना तक निकाली गई पदयात्रा

कोसी नव निर्माण मंच ने बीते 30 जनवरी को सुपौल के बैरिया मंच से सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत की जिसमें दर्जनों लोग ढाई सौ किलोमीटर पैदल चलकर राजधानी पटना पहुंचेंगे।

Rahul Kr Gaurav Reported By Rahul Kumar Gaurav |
Published On :
padyatra from supaul to patna regarding kosi problems

कोसी नदी की समस्याओं को लेकर बिहार के सुपौल जिले से ये लोग राजधानी पटना के लिए पैदल निकल पड़े हैं। कोसी नव निर्माण मंच ने बीते 30 जनवरी को सुपौल के बैरिया मंच से सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत की जिसमें दर्जनों लोग ढाई सौ किलोमीटर पैदल चलकर राजधानी पटना पहुंचेंगे।


कोसी नव निर्माण मंच के जिलाध्यक्ष इन्द्रनारायण यादव ने कहा कि राज्य सरकार लंबे समय से कोसी क्षेत्र की समस्याओं को नज़रअंदाज़ कर रही है। यह पदयात्रा 13 दिनों तक चलेगी जिसके बाद पटना पहुंच कर सत्याग्रह के रूप में इस क्षेत्र की समस्याओं पर बिहार सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाई जाएगी।

आगे उन्होंने कहा कि कोसी क्षेत्र में बसने वाले लोगों को हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है जिससे हज़ारों लोग बेघर हो जाते हैं। बेघर लोगों को पुनर्वासित कराने, भू सर्वे के प्रावधानों में सुधार कराने, और लगान मुक्ति कानून बनाने जैसी कई मांगों को लेकर सत्याग्रह पदयात्रा निकाली गई है।


पदयात्रा के आरंभ होने से पूर्व सुपौल में एक सभा का आयोजन किया गया। इसमें स्थानीय लोग व जनप्रतिनिधियों के अलावा शहीद भगत सिंह के भांजे प्रोफेसर जगमोहन सिंह भी शामिल हुए।

स्थानीय छात्र नेता सतीश यादव ने कहा कि कोसी तटबंध के भीतर रहने वाली बड़ी आबादी सालों से नदी कटाव की मार झेल रही है। पिछले कुछ वर्षों में कोसी क्षेत्र में बाढ़ का विक्राल रूप देखा गया है लेकिन सरकार कोसी की समस्याओं का निवारण करने में विफल रही है।

सत्याग्रह पदयात्रा में शामिल होने पहुंची घोंघड़रिया पंचायत की मुखिया एकता यादव ने बताया कि हर वर्ष बरसात में उनके पंचायत क्षेत्र के हज़ारों लोग बाढ़ की चपेट में आते हैं। लोगों के घर उजड़ जाते हैं, इलाके में बीमारियां फैलती हैं और जान माल का भारी नुकसान होता है लेकिन सरकार कागज़ी कार्रवाई के अलावा कुछ नहीं करती।

तीन से चार महीने तक लोगों को आवाजाही में बड़ी दिक्कत झेलनी पड़ती है। सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होती हैं। कई बार प्रसव पीड़ा के दौरान अस्पताल ले जाते समय इलाके की गर्भवती महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।

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एल एन एम आई पटना और माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर बिहार से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

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