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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

भाजपा ने पशुपति पारस की जगह चिराग पासवान को क्यों चुना

नीतीश कुमार और लोजपा के बीच लम्बे समय से अदावत रही है और इसकी शुरुआत नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनते ही हुई थी। दरअसल, साल 2005 में मुख्यमंत्री बनते ही नीतीश कुमार ने…

बिहारशरीफ दंगे का एक साल: मुआवजे के नाम पर भद्दा मजाक, प्रभावित लोग नहीं शुरू कर पाये काम

'मैं मीडिया' ने दंगे से प्रभावित आधा दर्जन लोगों से बातचीत की। बातचीत में सभी लोगों ने कहा कि काफी दौड़-भाग करने के बावजूद जिला प्रशासन में मुआवजे को लेकर संजीदगी नहीं दिखी…

JD(U) के NDA में जाने से क्या RCP का राजनीतिक करियर खत्म होने के कगार पर है?

2021 में नीतीश कुमार ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल कराया था, लेकिन वह भाजपा के करीब आ गये‌ और कई मौकों पर जदयू नेतृत्व के खिलाफ काम…

शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ा रहे पुलिस और आबकारी पदाधिकारी

पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीबी बजनथ्री और जस्टिस आलोक पांडेय ने मामले की सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि अगर जब्त हाजमोले अगर नहीं छोड़े गये, तो दोषी अधिकारियों पर अवमानना…

Fact Check: क्या सच में तेजस्वी की पत्नी ने जदयू विधायकों के गायब होने का दावा किया?

“नीतीश कुमार के 17 विधायक गायब हो गये। वैसे तो 4-5 विधायकों से ही काम चल जाता। लेकिन, इधर तो आधी जदयू गायब हो गई। खेला होगा, सब जानते थे। लेकिन इतना बड़ा…

बिहार में भाजपा कैसे कर रही विभिन्न जातियों की गोलबंदी

बिहार में ईबीसी की आबादी लगभग 36 प्रतिशत है, लेकिन इस समुदाय का कोई बड़ा नेता नहीं है फिलहाल, इसलिए ओबीसी जातियों को आकर्षित करने के साथ ही पार्टी ईबीसी पर भी दांव…

कर्पूरी ठाकुर: सीएम बने, अंग्रेजी हटाया, आरक्षण लाया, फिर अप्रासंगिक हो गये

1970 में मुख्यमंत्री बनने के बाद कर्पूरी ठाकुर ने जो नीतियां अपनाई, वे आने वाले दशकों में बिहार की राजनीति की धुरी बनी रहीं और इन्हीं नीतियों ने राज्य की राजनीति में पिछड़े…

क्या नीतीश कुमार को राजनीतिक असुरक्षा का भय सताता है

पिछले कुछ सालों में नीतीश कुमार अपनी पार्टी जदयू के कई बड़े नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं। इनमें शरद यादव, आरसीपी सिंह, प्रशांत किशोर, जीतनराम मांझी शामिल हैं। शरद यादव…

बिहार में बढ़ते किडनैपिंग केस, अधूरी जांच और हाईकोर्ट की फटकार

अपहरण की शिकायत के महीनों बीत जाने के बाद भी कोई ठोस सुराग नहीं मिलने के बाद विपिन किशोर मिश्रा के परिजनों ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पटना हाईकोर्ट ने शुरुआती सुनवाइयों…

सीएम नीतीश कुमार के व्यापक अभियान के बावजूद बिहार में दहेज उत्पीड़न उफान पर

हाल ही में जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, दहेज को लेकर हत्या के मामले में बिहार दूसरे स्थान पर है। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि साल 2022…

‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में सांसदी गंवाने वाली महुआ मोइत्रा कौन हैं?

संसद सदस्यता रद्द होने के बाद महुआ मोइत्रा ने मीडिया के सामने भाजपा-नीत केंद्र सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा, “मैं अभी 49 साल की हूं। मैं आपके खिलाफ 30 साल और…

कोर्ट ने ‘पकड़ौआ’ शादी की रद्द, क्या अब इस कुप्रथा पर लगेगी लगाम?

30 जून 2013 को नवादा जिले के रहने वाले रविकांत अपने चाचा के साथ लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में पूजा करने गया था। रविकांत उस वक्त आर्मी में सिग्नलमैन थे। दोपहर वे…

अनुसूचित जाति की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले मुसहर सबसे पिछड़े क्यों हैं?

शिक्षा के क्षेत्र में मुसहरों की स्थिति बेहद खराब है। राज्य के सिर्फ 1379 मुसहरों ने आईटीआई से डिप्लोमा किया है, जो उनकी आबादी का महज 0.03 प्रतिशत है। स्नातक और स्नातकोत्तर की…

पूर्णिया में इजराइल के खिलाफ कथित विवादित पोस्ट ने लिया साम्प्रदायिक रंग

सूत्रों ने बताया कि इस घटना के बाद दोनों पक्षों के लोगों ने आपस में बैठक कर मामले को शांत करा दिया और सभी पक्ष शांत भी हो गये थे। लेकिन, अगले दिन…

शराब की गंध से सराबोर बिहार का भूत मेला: “आदमी गेल चांद पर, आ गांव में डायन है”

बलि के लिए स्थानीय लोग सूअर के पिल्लों, मुर्गियों, अंडों और शराब लेकर मेले में पहुंचे थे। यह आयोजन उनके लिए रोजगार था। मैदान में चाकू लेकर एक दर्जन से अधिक डोम और…

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फिजिकल टेस्ट की तैयारी छोड़ कांस्टेबल अभ्यर्थी क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?

बिहार में पैक्स अपनी ज़िम्मेदारियों को निभा पाने में कितना सफल है?

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती किशनगंज की रमज़ान नदी