महागठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी कितनी कारगर होगी?
अव्वल तो पटना विश्वविद्यालय के इतिहास में लगभग 100 वर्षों के बाद छात्र संघ के अध्यक्ष पद पर महिला ने जीत दर्ज की और दूसरा ये कि सेंट्रल पैनल से लेकर काउंसिल मेंबर…
शव का गला काटकर अलग करना और शरीर के अन्य हिस्सों को होलिका के साथ जला देना, हत्या की कोई सामान्य घटना नहीं थी, इसका एहसास स्थानीय लोगों और पुलिस को भी था।
किशोरी को उम्मीद थी कि रुपसपुर थाने की पुलिस इस संवेदनशील मामले में त्वरित कार्रवाई कर उसे न्याय दिलाएगी, लेकिन कार्रवाई करना तो दूर रुपसपुर थाने की पुलिस ने उसके आवेदन के आधार…
माना जा रहा है कि राजेश कुमार की नियुक्ति के जरिए पार्टी का पहला लक्ष्य विरोधी दलों का मुंह बंद करना है, जो कांग्रेस पर लगातार ये आरोप लगा रहे हैं कि सामाजिक…
बंधुआ मजदूरी उन्मूलन कानून 1976 के बावजूद, पीड़ितों को मुआवजा मिलने की शर्त दोषसिद्धि से जुड़ी होने के कारण अधिकतर मामलों में वे इसका लाभ नहीं उठा पाते। आंकड़ों के अनुसार, बंधुआ मजदूरी…
पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस बिबेक चौधरी ने किशनगंज के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सिर्फ ब्रेद एनालाइजर रिपोर्ट शराबखोरी का निर्णायक सबूत नहीं हो सकता है, इसके लिए ब्लड…
पीड़िता के परिवार ने वर्ष 2018 में ही पहली बार महिला थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की थी, मगर लेकिन उस वक्त थाने में उनकी अनदेखी की और शिकायत नहीं ली।
नीतीश कुमार और खुश्बू पांडेय हिन्दू स्वाभिमान मंच से जुड़े हुए हैं। खुश्बू पांडेय सोशल मीडिया पर अक्सर मुस्लिम विरोधी बयान देती रहती हैं।
पिछले साल के बजट में ही भागलपुर के पीरपैंती में 21400 करोड़ रुपये की लागत से 2400 मेगावाट क्षमता वाले कोयला आधारित पावर प्लांट की घोषणा की गई थी, लेकिन बजट में घोषणा…
उल्लेखनीय हो कि जदयू के भीतर नीतीश से इतर अन्य जिस भी नेता को उनका उत्तराधिकारी बनाने की कोशिशें की गईं, वे बुरी तरह नाकाम रही हैं।
आहर-पाइन पर व्यापक अध्ययन करने वाले निर्मल सेनगुप्त लिखते हैं, “बाहर से आहर-पइन व्यवस्था भले ही बदरूप दिखती हो, लेकिन ये कठिन प्राकृतिक स्थितियों में पानी के सर्वोत्तम उपयोग की अनूठी देसी प्रणाली…
इस पूरे गैंगवार के पीछे तात्कालिक वजह हेमजा गांव का रहने वाला मुकेश है, जिसके मकान की तालाबंदी कर दी गई थी।
इस एपिसोड में, सुशील कुमार ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम जैसे कई प्रकार की साइबर धोखाधड़ी के मामलों पर विस्तार से चर्चा की है।
प्रशांत किशोर के नजरिए में आये बदलाव को राजनीतिक विश्लेषक जमीनी हकीकत से रूबरू होने पर मिलने वाली सीख का परिणाम बताते हैं।