मज़दूर इरफ़ान अली ने 5 कढ़ाई गिट्टी, 3 कढ़ाई बालू में आधा बोरा सीमेंट का उपयोग करने की बात कही। इरफ़ान की बात की सत्यता की जांच करने के लिए हमने मसाला बनाने की पूरी प्रक्रिया को कैमरे में कैद किया तो पाया कि आधा बोरा सीमेंट में 5 कढ़ाई गिट्टी और 3 कड़ाई बालू की जगह 4 कढ़ाई गिट्टी और 4 कढ़ाई बालू डालकर सामग्री तैयार की जा रही है।
तेज़ प्रवाह वाली डोंक नदी में बरसात के दिनों में जलस्तर बढ़ने से नाव की सवारी करना खतरों से खाली नहीं होता, लेकिन पुल नहीं होने से लोग रोज़ाना इस खतरे से दो-चार होते हैं ।
स्कूल के प्रभारी आचार्य शुभाशीष झा ने बताया कि विद्यालय में कुल 825 छात्राएं पढ़ती हैं। दीवार और अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी है जिसके लिए विभाग को सालों से लिखित शिकायत दी जा रही है लेकिन अब तक इसके लिए कोई पहल नहीं की गई है।
सड़क के खस्ताहाल होने से सबसे अधिक नुकसान व्यापारियों का हो रहा है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे होने से लोग बाजार आना पसंद नहीं करते हैं। व्यापारियों ने सम्बंधित विभाग से जल्द से जल्द सड़क निर्माण करने की मांग की है।
ग्रामीण बताते हैं कि यह समस्या इस गांव में बरसों से बरकरार है। लोग बिना जरूरत घर से बाहर नहीं निकलते हैं, वरना घर से बाहर निकलने के बाद इस कीचड़ भरी सड़क से लोगों को गुजरना पड़ता है। इस वक्त इस सड़क पर कमर भर कीचड़ लगा हुआ है।
आसपास के बच्चे भी इसी सड़क से होते हुए बारसोई के विभिन्न स्कूलों में पढ़ने जाते हैं। करीब 7 सालों से जर्जर पड़ी इस सड़क के लिए स्थानीय ग्रामीण ठेकेदार को ज़िम्मेदार मानते हैं। उनके अनुसार ठेकेदार ने सड़क बनाते समय खराब मैटेरियल का इस्तेमाल किया, परिणाम स्वरूप एक साल के भीतर ही सड़क ख़राब हो गई।
उपमुख पार्षद गौतम साहनी ने कहा कि नदी में जलस्तर बढ़ रहा है ऐसे में नगर परिषद क्षेत्र की निचले जगह पर पानी आने की स्थिति में नगर परिषद के द्वारा राहत बचाव कार्य भी चलाया जाएगा।
उप स्वास्थ्य केंद्र बैरिया से प्रखंड मुख्यालय की दूरी लगभग 14 किलोमीटर व जिला मुख्यालय की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है। यहां के लोगों को इलाज के लिए पूर्णिया व नेपाल जाना पड़ता है, जिससे लोगों को भारी परेशानी होती है।
ग्रामीणों ने बताया कि वे यहाँ आरसीसी पुल निर्माण की मांग काफी लंबे समय से करते आ रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों की पीड़ा से किसी को सरोकार नहीं है। ज्ञात हो कि रेतुआ नदी में पानी बढ़ने से यहां लोगों को काफी दिक्कत होती है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां आरसीसी पुल की जरूरत है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि उस भवन के पास काफी खाली भूमि भी है। जो जमीन खाली पड़ी है वहां उस स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के साथ खेलने कूदने की भी जगह मिलेगी, इसलिए हम लोगों की कोशिश होगी कि जल्द से जल्द उस स्कूल को शुरू किया जाए।
बिजली विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, किशनगंज और फारबिसगंज पावर ग्रिड आपस में जुड़े हुए हैं। अब पलासी का पावर ग्रिड भी फारबिसगंज से जुड़ जाएगा।
फाला पंचायत की वार्ड संख्या 9 के वार्ड सदस्य रिपन कुमार सिन्हा ने बताया कि 2 साल पहले सड़क की मरम्मत की गई थी लेकिन 6 महीने के अंदर ही सड़क दोबारा जर्जर हो गई। सड़कों की इस दुर्दशा के लिए वह नीतीश सरकार की मेंटनेंस नीति को ज़िम्मेदार मानते हैं।