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पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण जाँच केन्द्र का आदेश महज दिखावा

सुपौल शहर की गजना नदी अपने अस्तित्व की तलाश में

महानंदा बेसिन की नदियों पर तटबंध के खिलाफ क्यों हैं स्थानीय लोग

Climate Change की अन्य ख़बरें

क्या कोसी मामले पर बिहार सरकार ने अदालत को बरगलाया?

पटना हाईकोर्ट ने 4 फरवरी को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार से कोसी प्रभावितों को लाभ पहुंचाने के लिए कोसी विकास प्राधिकार स्थापित करने को कहा।

पूर्णिया का अभिशाप एथेनॉल फैक्ट्री, फसल तबाह, आँखों में बीमारी

30 अप्रैल, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री और तत्कालीन उद्योग मंत्री ने पूर्णिया ज़िले के परोरा में एक ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट का उद्घाटन किया।

क्या गंगा कटान में उजड़ जाएगा कटिहार का बबलाबन्ना गाँव?

बिहार के कटिहार जिले के अमदाबाद प्रखंड अंतर्गत भवानीपुर खट्‌टी पंचायत के बबला बन्ना गांव पिछले 5 साल में आधा से ज़्यादा गंगा कटान में समा चुका है।

बिहार के डेढ़ दर्जन औषधीय महत्व के पौधे विलुप्ति की कगार पर

सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, बिहार में 150 से अधिक वनस्पतियां औषधीय गुणों से भरपूर हैं।

सीमांचल के शहरों में क्यों बढ़ रहा प्रदूषण

18 नवम्बर को जारी रिपोर्ट में देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित देश के 10 शहरों में सीमांचल के कटिहार और पूर्णिया शामिल थे।

हर साल कटाव का कहर झेल रहा धप्परटोला गांव, अब तक समाधान नहीं

धप्परटोला गांव वार्ड संख्या 1 के निवासी 75 वर्षीय अमीज़ुद्दीन बताते हैं कि पिछली बार आई बाढ़ में 8 -10 घर कटाव की भेंट चढ़ गए।

डोंक नदी में कटाव से गांव का अस्तित्व खतरे में

हजारों आदिवासी और शेरशाहवादी समुदाय के लोग अपने गाँव के अस्तित्व को लेकर चिंता में हैं। डोंक नदी के धीरे धीरे गांव के समीप आने से लोगों में डर का माहौल है।

कोसी क्षेत्र : मौसम की अनिश्चितताओं से निपटने के लिए मखाना की खेती कर रहे किसान

“पहले मैं 4 बीघा खेत में धान और गेहूं की खेती करता था। इनमें लगभग 2 बीघा खेत की जमीन गहरी थी। जब बारिश ज्यादा होती थी, तो फसल बर्बाद हो जाती थी। इसलिए पिछले साल के फरवरी में मैंने मखाना की खेती शुरू की। पिछले साल मुझे लगभग 60-70 हजार रुपए का लाभ मिला। […]

सुपौल: पानी में प्रदूषण से गांवों में फैल रहा आरओ वाटर का कारोबार, गरीबों का बढ़ा खर्च

देश की राजधानी दिल्ली से 1200 और बिहार की राजधानी पटना से 250 किलोमीटर दूर बिहार के सुपौल जिले की लौउढ पंचायत के भैलाई टोले में 200 घर हैं। इनमें सिर्फ दो लोग सरकारी नौकरी करते हैं। बाकी परिवारों की जिंदगी खेती और दिल्ली-पंजाब में मजदूरी के भरोसे चलती है। कुछ परिवार को छोड़ दें, […]

धूल फांक रही अररिया की इकलौती हाईटेक नर्सरी

साल 2008 में अररिया के पूर्णिया सीमा स्थित करियात में दो हेक्टेयर जमीन पर हाईटेक नर्सरी का निर्माण कराया गया था जो अब एक आम नर्सरी बन कर रह गया है

कहीं बारिश, कहीं सूखा – बदलते मौसम से सीमांचल के किसानों पर आफत

50 वर्षीय अशोक यादव हफ्तेभर से बारिश का इंतजार कर रहे थे। लेकिन, बारिश नहीं हुई, तो उन्हें मजबूरी में डीजल चालित पंप सेट की मदद से खेत में पानी डालकर धान की बुआई करनी पड़ी। “यह तो बारिश का सीजन ही है। इस सीजन में हमारे यहां भारी बारिश हुआ करती है और उसी […]

बिजली की घोर किल्लत ने बढ़ाई किसानों, आम लोगों की समस्या

कटिहार: चमड़ी जला देने वाली धूप में मो. नदीम अख्तर का कपड़ा पसीने से भीगा हुआ है। आज वह अपने खेत में एक पुराना पंप सेट लेकर आए हैं। सालों पहले यह पंप सेट खेतों में पानी देने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इस पुराने पंपसेट के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि […]

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‘हम चाहते थे बेटा पढ़ाई करे, मज़दूरी नहीं’, नेपाल में मरे मज़दूरों की कहानी

किशनगंज का नेहरू कॉलेज, जहाँ 21 एकड़ के कैंपस में छात्र से ज़्यादा मवेशी नज़र आते हैं

ज़मीन पर विफल हो रही ममता बनर्जी सरकार की ‘निज घर निज भूमि योजना’

महादलित गाँव के लिए 200 मीटर रोड नहीं दे रहे ‘जातिवादी’ ज़मींदार!

बिहारशरीफ में कैसे और कहां से शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा?