मई 2011 में पहली बार पश्चिम बंगाल में तृणमूल की सरकार आने के करीब पांच महीने बाद ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'निज गृह निज भूमि प्रकल्पो' यानी 'अपना घर, अपनी ज़मीन योजना' की शुरुआत की।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाला रास्ता कुछ ज़मींदारों की निजी ज़मीन है। ज़मींदार अपनी ज़मीन पर पक्की सड़क बनने नहीं देना चाहते हैं।
सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के बिहारशरीफ में रामनवमी शोभायात्रा में मामूली कहासुनी से शुरू हुई हिंसा ने शहर के सामाजिक ताने बाने पर बुरा असर डाला है।
पिछले पांच सालों में हाथियों के हमले में पांच ग्रामीणों की मौत हो चुकी है, सैकड़ों घर बर्बाद हो चुके हैं और कई एकड़ मक्के की फसल तबाह हो चुकी है। अकेले 2023 में किशनगंज ज़िले के ठाकुरगंज और दिघलबैंक प्रखंड में एक महिला सहित दो ग्रामीण को हाथियों के झुंड ने मार डाला।
निगरानी वाद के जरिये जुर्माने व तालाबंदी की जद में आने वाले शहर के चुनिंदा बड़े लोग हैं जिनमें व्यवसायी, बिल्डर, शिक्षक शामिल हैं।
समाधान यात्रा के तहत 10 फरवरी को नीतीश कुमार पूर्णिया ज़िले के धमदाहा प्रखंड की विशनपुर पंचायत आने वाले थे, लेकिन आखिरी वक़्त पर प्रोग्राम कसबा प्रखंड में शिफ्ट कर दिया गया।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने बताया कि इस प्राथमिक विद्यालय में 101 बच्चे नामांकित हैं। लेकिन जर्जर भवन की वजह से बहुत सारे अभिभावक बच्चों को पढ़ने नहीं भेजते हैं।
सुपौल जिले के वार्ड नंबर 12 की 42 वर्षीय कावो देवी के पति 4 साल पहले गुजर चुके हैं। कावो देवी के तीन बेटे और 2 बेटी हैं। उन्हें राशन कार्ड और विधवा पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।
बिहार के सभी 55,000 डीलरों ने राशन का वितरण बंद रखा है। इस हड़ताल से पूरे बिहार के 8 करोड़ 71 लाख से अधिक उपभोक्ता प्रभावित होंगे।
खाद की किल्लत को समझने के लिए दिसंबर के मध्य से लेकर जनवरी के पहले सप्ताह तक मैं मीडिया ने किशनगंज, अररिया और पूर्णिया ज़िलों के 15 किसानों से मुलाकात की।
किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड की बरचौंदी पंचायत स्थित घेघाटोला और मीराभीटा गाँव को जोड़ने वाला मार्ग खस्ताहाल है और एक अदद पक्की सड़क के अभाव से जूझ रहा है।
अररिया ज़िले के एक गाँव इन दिनों निरन्तर हो रही आगजनी की घटनाओं से परेशान है। ज़िले की बटुरबाड़ी पंचायत अंतर्गत झौआ गांव में लगातार आग लगने की घटना सामने आ रही है।