किशनगंज ज़िले के पोठिया प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय डेहलबाड़ी में वर्ग 1-8 के साढ़े तीन सौ से अधिक बच्चों के लिये मात्र तीन कमरे हैं। एक ही कमरे में दो-दो क्लॉस के बच्चों को बिठाया जाता है। जो बच्चे बच जाते हैं उनको खुले आसमान के नीचे बिठाकर पढ़ाया जाता है।
बिहार के कटिहार में बीच धार पर करोड़ों की लागत से बना यह बेकार पुल सीमांचल में विकास के दावों की पोल खोल रहा है। जिले के बलरामपुर अन्तर्गत सोनातोला गांव में कारधो धार पर लगभग 12 वर्ष पहले इस पुल का निर्माण किया गया था, लेकिन, अप्रोच पथ नहीं बनाने के कारण अब तक इसका उपयोग नहीं हो सका। स्थानीय धीरेंद्र सहनी कहते हैं कि अप्रोच पथ के निर्माण नहीं होने से लगभग पंद्रह सालों से यह पुल बेकार पड़ा है।
किशनगंज डाकघर स्थित पासपोर्ट सेवा केन्द्र में मौजूद अधिकारियों ने अपने विभाग के माथे पर सारा ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि यूपीएस की खराबी के चलते सर्वर डाउन हो गया है। लेकिन, मशीन कब दुरुस्त होगी इस संबंध में कुछ नहीं बता सकते। उन्होंने बताया कि विभाग को सूचना दे दी गयी है, मशीन ठीक करने के लिये इंजीनियर कब पहुचेंगे, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
मामले को लेकर अररिया ज़िला पदाधिकारी इनायत ख़ान ने ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता को जांच कर रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। डीएम इनायत ख़ान ने बताया कि निर्माण से पहले ज़मीन की उपलब्धता और ज़मीन का प्रकार इत्यादि देख लेना चाहिये था।
योजना के तहत प्रत्येक परिवार को दो बाल्टियाँ दी जाती हैं - एक में जैविक (गलने योग्य) कचरा और दूसरी में अजैविक (न गलने योग्य) कचरा जमा करने के लिए। ये बाल्टियाँ परिवारों को इस उद्देश्य से दी जाती हैं कि वे कचरे को अलग-अलग रख सकें, जिससे कचरे के निपटान में आसानी हो। पंचायत स्तर पर एक सुपरवाइजर और प्रत्येक वार्ड में एक सफाई कर्मी की नियुक्ति की गई है, जो कचरे को इकट्ठा कर उसे वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुँचाते हैं।
पुल ना रहने से किसानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिन किसानों के खेत नदी की दूसरी तरफ हैं, उनको अपनी फ़सल इस तरफ़ लाने में काफी दुश्वारी होती है। चूंकि, तिपहिया और चार पहिया वाहन चचरी पुल से गुज़र नहीं पाता है, इसलिये सिर पर बोझा उठा कर ही किसान अपनी फ़सल घर तक ला पाते हैं।
दल्लेगांव के कलीमुद्दीन किशनगंज में इलाज के दौरान इंतकाल कर गये। लेकिन, नदी में पुल नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। नाव के ऊपर चारपाई पर शव को रखकर नदी के उस पार ले जाया गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि पुल नहीं रहने के कारण वे ज़िल्लत की ज़िंदगी जीने को मजबूर हैं।
पप्पू झा के भाई राकेश कुमार झा ने तीन नामजद और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है। नामजद आरोपियों में सुनील कुमार झा, संजीव कुमार मिश्र और रौशन कुमार ठाकुर शामिल हैं। राकेश का कहना है कि पप्पू झा अक्सर इन्हीं लोगों के साथ पार्टी करते थे और घटनास्थल से शराब की बोतलें भी बरामद हुई हैं।
आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 से लेकर अब तक बिहार में एक दर्जन से अधिक निर्माणाधीन पुल गिर चुके हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि ये हादसे तब हुए जब पुलों को आम जनता के लिए खोला नहीं गया था, वरना बड़ी दुर्घटना हो जाती।
निर्मल जोट में करीब 80 मुस्लिम परिवार रहते हैं, लेकिन किसी के घर में कुर्बानी नहीं हुई। बच्चे, बूढ़े, नौजवान, महिलाएं सभी सुबह से शाम तक यात्रियों की सेवा में लगे रहे। यहाँ तक कि शुरुआती कुछ घंटे तक ग्रामीणों ने ही घायलों का फर्स्ट ऐड किया और उन्हें चाय-पानी पिलाया।
अगरतला से सियालदह जा रही 13174 कंचनजंघा एक्सप्रेस निजबाड़ी स्टेशन पर खड़ी थी कि तभी पीछे से आती एक मालगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। मालगाड़ी के चालक ने सिग्नल की अनदेखी की। प्राथमिक अनुमान है कि सिग्नल के अनुसार मालगाड़ी को रुकना था लेकिन वह सिग्नल की अनदेखी कर आगे बढ़ गई। मालगाड़ी के चालक की गलती से ही यह दुर्घटना हुई।
रुइया में करीब दो दर्जन बच्चे किसी न किसी दिव्यांगता के शिकार हैं। गांव के लोग लंबे समय से APHC यानी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में छोटी-मोटी बीमारी के इलाज के लिए भी 10 से 12 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गांव में न APHC है न HSC, जिसके कारण गर्भवती महिला व नवजात बच्चों को सामान्य इलाज नहीं मिल पाता है।