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Ground Report

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती किशनगंज की रमज़ान नदी

शहर के बीचोंबीच बहने वाली रमज़ान नदी के जीर्णोद्धार कार्य के लिए लगभग ₹12 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

तरारी उपचुनाव: क्या भाजपा व भाकपा-माले के मुकाबले को त्रिकोणीय बना पाएगा जन सुराज?

साल 2008 में परिसीमन के बाद तरारी सीट पर तीन बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से एक बार जदयू और दो बार भाकपा-माले की जीत हुई है।

बिहार के इस गांव में कुत्तों का आतंक, दर्जनों घायल, लाठी ले घूम रहे बच्चे

5 अक्टूबर को स्कूल से लौट रहे दर्जनों बच्चों पर अचानक कुत्तों ने हमला कर दिया, जिससे कई बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए।

बिहार भू-सर्वे के बीच कैथी में लिखे दस्तावेजों को लेकर लोग परेशान

जो कुछ मुट्ठीभर लोग कैथी जानते भी हैं, वे कैथी लिपि में लिखे दस्तावेज पढ़ने के लिए मोटी रकम की डिमांड कर रहे हैं।

किशनगंज में लो वोल्टेज की समस्या से बेहाल ग्रामीण, नहीं मिल रही राहत

किसानों का कहना है कि पर्याप्त वोल्टेज न मिलने के कारण उनके मोटर और पंप सही से काम नहीं कर पा रहे हैं, जिससे खेतों की सिंचाई मुश्किल हो गई है।

अप्रोच पथ नहीं होने से तीन साल से बेकार पड़ा है कटिहार का यह पुल

बिना अप्रोच वाला यह पुल कटिहार जिले के कदवा प्रखंड अंतर्गत भोगांव पंचायत का है। पुल अठनिया टोला से बघेला गांव के बीच एक धारा पर करोड़ों की लागत से बना हुआ है। लोगों ने बताया कि पुल बनने के तीन वर्ष बाद भी अप्रोच पथ का निर्माण नहीं हो सका है, जिस वजह से यह बेकार पड़ा है।

पैन से आधार लिंक नहीं कराना पड़ा महंगा, आयकर विभाग ने बैंक खातों से काटे लाखों रुपये

26 अगस्त को पेंशनधारियों के मोबाइल पर मोटी रकम कटने का मैसेज मिला। मैसेज देखकर लोगों ने अपना बैंक बैलेंस चेक किया तो पता चला कि वाक़ई पैसा कट चुका था, जिससे उन लोगों की नींद उड़ गई।

बालाकृष्णन आयोग: मुस्लिम ‘दलित’ जातियां क्यों कर रही SC में शामिल करने की मांग?

भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3 के अंतर्गत 6 अक्टूबर 2022 को तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था। इस आयोग के अध्यक्ष पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति केजी बालकृष्णन हैं और सदस्यों में पूर्व आईएएस डॉ रविंदर कुमार जैन और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की पूर्व सदस्य डॉ सुषमा यादव शामिल हैं।

362 बच्चों के लिए इस मिडिल स्कूल में हैं सिर्फ तीन कमरे, हाय रे विकास!

किशनगंज ज़िले के पोठिया प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय डेहलबाड़ी में वर्ग 1-8 के साढ़े तीन सौ से अधिक बच्चों के लिये मात्र तीन कमरे हैं। एक ही कमरे में दो-दो क्लॉस के बच्चों को बिठाया जाता है। जो बच्चे बच जाते हैं उनको खुले आसमान के नीचे बिठाकर पढ़ाया जाता है।

सीमांचल में विकास के दावों की पोल खोल रहा कटिहार का बिना अप्रोच वाला पुल

बिहार के कटिहार में बीच धार पर करोड़ों की लागत से बना यह बेकार पुल सीमांचल में विकास के दावों की पोल खोल रहा है। जिले के बलरामपुर अन्तर्गत सोनातोला गांव में कारधो धार पर लगभग 12 वर्ष पहले इस पुल का निर्माण किया गया था, लेकिन, अप्रोच पथ नहीं बनाने के कारण अब तक इसका उपयोग नहीं हो सका। स्थानीय धीरेंद्र सहनी कहते हैं कि अप्रोच पथ के निर्माण नहीं होने से लगभग पंद्रह सालों से यह पुल बेकार पड़ा है।

मशीन की ख़राबी से किशनगंज का पासपोर्ट सेवा केन्द्र ठप, आवेदकों का हंगामा

किशनगंज डाकघर स्थित पासपोर्ट सेवा केन्द्र में मौजूद अधिकारियों ने अपने विभाग के माथे पर सारा ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि यूपीएस की खराबी के चलते सर्वर डाउन हो गया है। लेकिन, मशीन कब दुरुस्त होगी इस संबंध में कुछ नहीं बता सकते। उन्होंने बताया कि विभाग को सूचना दे दी गयी है, मशीन ठीक करने के लिये इंजीनियर कब पहुचेंगे, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

अररिया में खेतों के बीच बना दिया पुल, ना सड़क है ना अप्रोच, डीएम ने कहा, ‘होगी कार्रवाई’

मामले को लेकर अररिया ज़िला पदाधिकारी इनायत ख़ान ने ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता को जांच कर रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। डीएम इनायत ख़ान ने बताया कि निर्माण से पहले ज़मीन की उपलब्धता और ज़मीन का प्रकार इत्यादि देख लेना चाहिये था।

बिहार के गाँव-गाँव में बन रहे कचरा घरों का कितना हो रहा है इस्तेमाल?

योजना के तहत प्रत्येक परिवार को दो बाल्टियाँ दी जाती हैं - एक में जैविक (गलने योग्य) कचरा और दूसरी में अजैविक (न गलने योग्य) कचरा जमा करने के लिए। ये बाल्टियाँ परिवारों को इस उद्देश्य से दी जाती हैं कि वे कचरे को अलग-अलग रख सकें, जिससे कचरे के निपटान में आसानी हो। पंचायत स्तर पर एक सुपरवाइजर और प्रत्येक वार्ड में एक सफाई कर्मी की नियुक्ति की गई है, जो कचरे को इकट्ठा कर उसे वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुँचाते हैं।

कटिहार में नये पुल निर्माण से पहले ही हटा दिया पुराना पुल, बाढ़ में डायवर्ज़न भी बहा, चचरी पर निर्भर

पुल ना रहने से किसानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिन किसानों के खेत नदी की दूसरी तरफ हैं, उनको अपनी फ़सल इस तरफ़ लाने में काफी दुश्वारी होती है। चूंकि, तिपहिया और चार पहिया वाहन चचरी पुल से गुज़र नहीं पाता है, इसलिये सिर पर बोझा उठा कर ही किसान अपनी फ़सल घर तक ला पाते हैं।

पुल नहीं होने से एम्बुलेंस भी नहीं पहुंचती किशनगंज का दल्लेगांव, शव ले जाने के लिये नाव ही सहारा

दल्लेगांव के कलीमुद्दीन किशनगंज में इलाज के दौरान इंतकाल कर गये। लेकिन, नदी में पुल नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। नाव के ऊपर चारपाई पर शव को रखकर नदी के उस पार ले जाया गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि पुल नहीं रहने के कारण वे ज़िल्लत की ज़िंदगी जीने को मजबूर हैं।

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