पूर्णिया जिले के चूनापुर में एक एयरफोर्स स्टेशन है। इस स्टेशन की स्थापना साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के वक्त भारतीय सेना को हथियार पहुंचाने के लिए की गई थी। बेहद बड़े रनवे वाले इस स्टेशन पर इसके बाद लम्बे समय तक कोई काम नहीं हुआ।
अलबत्ता, पूर्णिया के लोग इसे एयरपोर्ट में तब्दील कर उड़ान सेवा शुरू करने की मांग करते रहे हैं। इसे देखते हुए साल 2012 में ही तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने इसे एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की घोषणा की।
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बताया जाता है कि उस वक्त काम शुरू भी हुआ, लेकिन अंदरूनी राजनीति के चलते यह काम धीमा पड़ गया। इस बीच, केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी और पीएम नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2015 में बिहार पैकेज में पूर्णिया एयरपोर्ट को शामिल किया। इसके बाद इसे उड़ान-4 स्कीम में शामिल कर लिया गया।
लेकिन, यह प्रस्तावित एयरपोर्ट का मामला अब तक अटका हुआ है और इसके लिए भाजपा और जदयू एक दूसरे को दोषी ठहराते रहे हैं।
अमित शाह और नीतीश कुमार का बयान
सीमांचल में किसी बड़े नेता का दौरा हो, तो पूर्णिया एयरपोर्ट का जिक्र जरूर आ जाता है।
पिछले साल सितम्बर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सीमांचल के दौरे पर गए थे, तो उन्होंने मंच से कह दिया था कि पूर्णिया एयरपोर्ट तैयार हो गया है। इसको लेकर जदयू व राजद ने अमित शाह की जमकर आलोचना की थी।
पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार समाधान यात्रा के तहत पूर्णिया गए, तो उन्होंने पूर्णिया एयरपोर्ट का काम पूरा नहीं होने के लिए केंद्र सरकार को पूरी तरह जिम्मेवार बताया।
उन्होंने कहा था कि एयरपोर्ट को लेकर जो भी बाधा आ रही है, उसे राज्य सरकार दूर करने को तैयार है, बशर्ते केंद्र सरकार सहयोग करने को तैयार हो। “वह (केंद्र सरकार) क्यों नहीं सहयोग कर रहे, यह आश्चर्य की बात है जबकि यह एयरपोर्ट पहले ही बन जाना चाहिए था। एयरपोर्ट का अब तक नहीं बनना मेरे लिए तकलीफदेह है,” उन्होंने कहा था।
नीतीश कुमार ने आगे कहा था कि सबसे पहले पूर्णिया एयरपोर्ट बनना था। वह तैयार भी थे। साल 2017 में इसको लेकर बैठक हुई थी, दो बार केंद्र सरकार के लोग यहां आकर बैठक किए थे। बैठक में एक एक बात तय हो गई, फिर इतनी देर क्यों हो रही है?
केंद्रीय मंत्री से मुलाकात पर जदयू व भाजपा के सुर अलग
पिछले दिनों कांग्रेस, जदयू और भाजपा के कुल 7 सांसदों ने इसको लेकर केंद्रीय नगर विमानन व स्टील मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की।
इस मुलाकात के बाद भाजपा सांसद प्रदीप कुमार सिंह और जदयू सांसद दुलालचंद्र गोस्वामी के अलग अलग बयान आए। अररिया सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने जहां पूर्णिया एयरपोर्ट चालू नहीं होने देने के लिए बिहार की राजद-जदयू महागठबंधन सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं, कटिहार सांसद दुलालचंद्र गोस्वामी ने इसका दोष केंद्र सरकार के मत्थे मढ़ा।
प्रदीप सिंह ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर वीडिया डालकर कहा, “मुलाकात में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि एयरपोर्ट चालू करने को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पिछले डेढ़ साल में 15 बार कॉल किया, लेकिन नीतीश कुमार बातचीत के लिए उपलब्ध नहीं हुए।”
उन्होंने आगे कहा कि एयरपोर्ट का मामला सिर्फ रास्ते की जमीन को लेकर अटका हुआ है। वह कहते हैं, “एयरपोर्ट के लिए 52 एकड़ जमीन चाहिए, लेकिन जिस तरफ जमीन की मांग की गई थी, उस तरफ नहीं दी गई। केंद्र सरकार तब भी तैयार हो गई। लेकिन रास्ते के लिए 15 एकड़ जमीन चाहिए, जो बिहार सरकार ने नहीं दी है। अगर 15 एकड़ का मसला हल कर दें, तो आज एयरपोर्ट चालू हो जाएगा।”
उधर, जदयू की तरफ से केंद्रीय मंत्री से मुलाकात को लेकर अलग ही बयान आया। जदयू सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा, “पूर्णिया एयरपोर्ट के लिए 52.18 एकड़ जमीन दे दी गई है। फोरलेन सड़क निर्माण के लिए तैयार हैं, लेकिन अब नये सिरे से अतिरिक्त 15 एकड़ जमीन की मांग की जा रही है। एयरपोर्ट चालू करने के लिए अब और क्या चाहिए, एक ही बार में बता दें, तो अच्छा रहेगा।”
पूर्णिया एयरपोर्ट की क्या है स्थिति
इन दोनों बयानों को देखें, तो सांसद प्रदीप सिंह की बातें सच्चाई के ज्यादा करीब हैं। बताया जाता है कि किन्हीं जदयू नेता की निजी महात्वाकांक्षा के चलते पूर्णिया एयरपोर्ट ठंडे बस्ते में चला गया और उसकी जगह दरभंगा एयरपोर्ट को वरीयता दी गई, जबकि दरभंगा एयरपोर्ट केंद्र सरकार की स्कीम में था भी नहीं।
मगर यह बात भी सही है कि अतिरिक्त 15 एकड़ जमीन और रास्ते को लेकर मामला अटका हुआ है।
दरअसल, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने जितनी गहराई वाली जमीन टर्मिनल के लिए मांगी थी, उतनी गहरी जमीन बिहार सरकार ने मुहैया नहीं कराई, बल्कि दूसरी तरफ की कम गहराई वाली जमीन उपलब्ध कराई, मगर वह सीधे रोड से नहीं जुड़ती है। इस जमीन को रोड से कनेक्ट कराने का राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है, मगर कार्गो के लिए 15 एकड़ का मामला अब भी अटका हुआ है।
पूर्णिया एयरपोर्ट के लिए लम्बे समय से आंदोलन कर रहे विजय श्रीवास्तव कहते हैं, “बिहार सरकार ने मंत्रालय को आश्वस्त किया है कि रोड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जाएगी। नगर विमानन मंत्री से सांसदों की मुलाकात में मंत्री रोड कनेक्टिविटी के आश्वासन से आश्वस्त हो गए, लेकिन कार्गो गतिविधियों के लिए 15 एकड़ जमीन और चाहिए, जो बिहार सरकार की तरफ से उपलब्ध नहीं कराई गई है। जब तक कार्गो के लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराई जाती है, तब तक पूर्णिया एयरपोर्ट चालू करना संभव नहीं।”
श्रीवास्तव आगे कहते हैं, “अगर दोनों सरकारें चाहतीं, तो पूर्णिया एयरपोर्ट का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ सकता था। साल 2017 से पिछले साल तक बिहार में भाजपा सरकार में शामिल थी, तो क्यों नहीं उन्होंने मिल बैठकर पूर्णिया एयरपोर्ट के जमीन से जुड़े मसले हल नहीं किए?”
“अभी भले ही भाजपा सांसद मौजूदा बिहार सरकार को जिम्मेवार ठहरा लें, सच यह है कि पूर्णिया एयरपोर्ट का काम अगर अटका हुआ है, तो इसमें भाजपा भी बराबर जिम्मेवार है,” उन्होंने कहा।
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