अररिया जिले के नगरीय क्षेत्र स्थित आश्रम चौक के रहने वाले आदर्श सिन्हा को बिहार अंडर 16 टीम का कप्तान बनाया गया है। आदर्श को बीसीसीआई द्वारा आयोजित विजय मर्चेंट ट्रॉफी में बिहार की अगुवाई करने का मौका मिला है। घरेलू क्रिकेट में बिहार की वापसी के बाद यह पहला मौका है जब सीमांचल के किसी क्रिकेटर को बिहार का कप्तान बनाया गया है और संभवतः यह बिहार क्रिकेट के इतिहास में भी पहली बार हुआ है।
मध्यक्रम बल्लेबाज़ आदर्श ने शुक्रवार को पुणे में विजय मर्चेंट ट्रॉफी में छत्तीसगढ़ के विरुद्ध बिहार टीम की अगुवाई की। बीसीसीआई द्वारा आयोजित विजय मर्चेंट ट्रॉफी में 16 वर्ष तक के बच्चे भाग ले सकते हैं। यह प्रतियोगिता टेस्ट फॉर्मेट में खेली जाती है जिसमें हर मैच 3 दिनों का होता है।
पिता ने कहा- बचपन से था क्रिकेट का जुनून
आदर्श के पिता विवेक सिन्हा अपने बेटे की इस सफलता से काफी प्रसन्न हैं। उन्होंने हमें आदर्श का कमरा दिखाया, जहां उसकी जीती कई ट्रॉफियां रखी थीं। विवेक ने बताया कि आदर्श 6 वर्ष की आयु से क्रिकेट खेल रहा है और वह पिछले साल भी बिहार की टीम में एक सामान्य खिलाड़ी के तौर पर खेला था और काफी अच्छा प्रदर्शन किया था।
उन्होंने कहा, “पिछले साल भी वह बिहार अंडर 16 में खेला था। उसमें उसका काफी अच्छा प्रदर्शन रहा। उसने 3 पारियों में 200 से अधिक रन बनाए और अर्धशतक भी बनाया। इस बार उसको बहुत बड़ी ज़िम्मेवारी दी गई है। हमारे इलाके से कप्तान बनना बहुत बड़ी बात है। वह काफी छोटी आयु से खेल रहा है। उसके दादा ही उसे सब बताते हैं कि कैसे खेलना है, कहां खेलना है। वह उसके कोच हैं।”
आदर्श के दादा गोपेश सिन्हा ही आदर्श के कोच हैं। बचपन से उन्होंने ही आदर्श को क्रिकेट सिखाया और उसके इस सफर में उसके मार्गदर्शक बने रहे। आदर्श के पिता ने बताया कि आदर्श बचपन से ही खेल के प्रति बहुत इच्छुक था। वह इस समय नौवीं कक्षा का छात्र है और शुरू से ही पढ़ाई और क्रिकेट दोनों में बहुत अच्छा रहा है।
“पिछले साल वह एसजीएफआई भी खेला था सहरसा में, उसमें वह “मैन ऑफ़ द सीरीज़” रहा। इस बच्चे को क्रिकेट से बहुत लगाव था शुरू से ही। इसके दादा इसकी प्रतिभा को समझे। उन्हें लगा कि यह क्रिकेट में कुछ करेगा। हमलोग शुरू से इस पर ध्यान दिए कि बच्चे की प्रतिभा किस में है और उसका झुकाव किधर है उसी में उसको ले जाना है,” विवेक सिन्हा बोले।
आगे उन्होंने कहा, “वैसे वह पढ़ाई में भी काफी प्रतिभाशाली था, लेकिन ज़्यादातर उसका झुकाव क्रिकेट की तरफ था इसलिए क्रिकेट की तरफ उसको बढ़ाए। हम तो सभी अभिभावक से कहेंगे कि किसी चीज़ के लिए ज़बरदस्ती न करें। बच्चा जिधर जाना चाहता है उसे उसी क्षेत्र में बढ़ाएंगे, तो वह जल्दी सफलता हासिल करेगा।”
आदर्श के दादा ने ही सिखाई क्रिकेट की बारीकियां
आदर्श के दादा गोपेश सिन्हा कई सालों से अररिया के नेताजी सुभाष स्टेडियम में बच्चों को क्रिकेट सिखा रहे हैं। गोपेश स्टेडियम में अररिया क्रिकेट अकादमी नाम से एक क्रिकेट कोचिंग चलाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी क्रिकेट अकादमी में और भी ऐसे प्रतिभाशाली बच्चे हैं, जो आनेवाले समय में बिहार की टीम के लिए खेल सकते हैं।
गोपेश सिन्हा ने कहा, “वह 6-7 साल का था तब बगल में एक मैदान था। उसको हम वहीं अभ्यास कराते थे। वह काफी मेहनत किया और बाद में हमारी अकादमी की टीम में आया। वह बहुत क्लासिकल खेलता है। हम अपने ज़माने में 1975-76 में कोच मूर्तिलाल राय से क्रिकेट सीखे और अब वही शिक्षा हम बच्चे को दे रहे हैं। आदर्श की यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।”
उन्होंने आगे कहा, “पहली बार ऐसा हुआ है कि सीमांचल से एक लड़का बिहार का कप्तान बना। यह बहुत प्रशंसा की बात है। सीमांचल के इस इलाके में जहां भूख, गरीबी, अशिक्षा, बाढ़, सुखाड़ जैसी समस्या है, अगर यहां से कोई लड़का बिहार की कप्तानी करता है तो यह बड़ी बात है इसको कम करके नहीं आंकना चाहिए। इस इलाके से इससे पहले किसी ने राज्य के लिए कप्तानी नहीं की है।”
भारतीय घरेलु क्रिकेट में बिहार की मान्यता रद्द होने के बाद निराश होकर क्रिकेट कोच गोपेश सिन्हा ने 2005 में अपनी क्रिकेट अकादमी बंद कर दी। 2016 में बिहार को मान्यता मिलने के बाद उन्होंने दोबारा क्रिकेट कोचिंग शुरू की।
कप्तानी के पहले मैच में आदर्श का बल्ला रहा खामोश, गेंद से निकाला विकेट
आदर्श सिन्हा ने शुक्रवार को विजय मर्चेंट ट्रॉफी 2023-24 के पहले मैच में बिहार अंडर 16 का नेतृत्व किया। इस मैच में छत्तीसगढ़ अंडर 16 ने बिहार अंडर 16 को 9 विकटों से हरा दिया। आदर्श बल्ले के साथ कोई कमाल नहीं कर सका और पहली पारी में 6 जबकि दूसरी पारी में बिना खाते खोले आउट हो गया। आदर्श ने गेंदबाज़ी की और दोनों परियों में एक एक विकेट हासिल किया। चौथी पारी में बिहार की टीम ने छत्तीसगढ़ को 232 रनों का लक्ष्य दिया था जिसे छत्तीसगढ़ अंडर 16 ने 1 विकेट खोकर हासिल कर लिया। पारी में गिरा एकमात्र विकेट आदर्श ने लिया।
आदर्श सिन्हा दाएं हाथ का मध्यक्रम बल्लेबाज़ और दाएं हाथ का लेग स्पिनर गेंदबाज़ है। पिछले साल उसने 15 साल की आयु में आदर्श विजय मर्चेंट ट्रॉफी में बिहार अंडर 16 में एक खिलाड़ी के तौर पर खेला। 2021 में सहरसा में हुई एसजीएफआई (स्कूल गेम्स फेडेरशन ऑफ़ इंडिया) प्रतियोगिता में अररिया की अंडर 14 टीम के लिए खेलते हुए आदर्श ने खूब रन बनाये और उस प्रतियोगिता के सबसे अच्छे खिलाड़ी का पुरस्कार जीता।
आदर्श के दादा ने बताया कि विजय मर्चेंट ट्रॉफी के ट्रायल में आदर्श सिन्हा को दो बार खिलाया गया। पहली बार उसे अंडर 16 के गेंदबाज़ों की गेंद खिलाई गई, जिसमें उसने बेहद अच्छी बल्लेबाज़ी की। बाद में ट्रायल में आए कोच कुंदन कुमार ने आदर्श को दोबारा पैड पहनने को कहा और अंडर 23 के गेंदबाज़ों को खेलने को कहा। आदर्श ने उन सभी गेंदबाज़ों को बिना आउट हुए खेला और कई कलात्मक शाॅट भी लगाए।
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आदर्श पर क्या बोले अररिया अकादमी के युवा खिलाड़ी
अररिया अकादमी में क्रिकेट की ट्रेनिंग ले रहे पंकज साह ने आदर्श के चयनित होने पर कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि हम लोगों के साथ खेलने वाला खिलाड़ी राज्य के अंडर 16 का कप्तान बना है।
पंकज ने कहा, “हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हमारी अकादमी से, आदर्श जो हम लोगों के साथ खेला करता था, अभी बिहार की कप्तानी कर रहा है। इससे पहले सीमांचल ज़ोन से कोई बिहार के लिए कप्तानी नहीं किया है। हमें काफी ख़ुशी है। हमारी भी यही सोच है कि हमलोग आगे जाएं और बिहार क्या बल्कि भारत के लिए खेलें। यहां सभी भारत के लिए खेलना चाहते हैं।”
पंकज ने आगे कहा कि बिहार में पहले क्रिकेट को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा था। अब कुछ लड़के आगे बढ़ रहे हैं और अब सीमांचल के जिलों से भी बच्चे क्रिकेट में आगे जा रहे हैं। बाकी जिलों की नज़र अब सीमांचल के खिलाड़ियों पर पड़ रही है जिससे अब यहां खिलाड़ी उत्साहित हैं।
आदर्श के साथ अकादमी में अभ्यास करने वाले एक और खिलाड़ी मोहम्मद मरगुब ने भी आदर्श की इस सफलता पर ख़ुशी जताई और आदर्श को शुभकामनाएं दीं। मरगूब ने कहा, “हमें बहुत अच्छा लग रहा है कि हमारे अररिया जिले और हमारी अकादमी से निकल कर एक लड़का बिहार का कप्तान बना है। इस बात की बहुत ख़ुशी है। हम लोग भी अभ्यास कर रहे हैं पूरी मेहनत से। अच्छे से अभ्यास और बिहार के लिए तैयारी करनी है।”
जिला प्रशासन से नाराज़ दिखे कोच गोपेश सिन्हा
अररिया क्रिकेट अकादमी के कोच गोपेश सिन्हा ने कहा कि 2021-22 की एसजीएफआई (स्कूल गेम्स फेडेरशन ऑफ़ इंडिया) प्रतियोगिता में जब अररिया की अंडर 14 टीम फाइनल खेलकर आई तो उन बच्चों की हौसला अफ़ज़ाई के लिए जिला प्रशासन ने कुछ नहीं किया। “जब बच्चे इतनी बड़ी प्रतियोगिता में फाइनल खेल कर आए तो जिला प्रशासन ने न तो बच्चों को पुरस्कृत किया, न कोई प्रेस कॉन्फ्रेन्स रखी और न बच्चों का हौसल बढ़ाया। अरे, कुछ नहीं तो कम से कम एक टॉफी ही दे देते बच्चों को,” गोपेश सिन्हा बोले।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके पोते को बिहार तक का सफर तय करने में कोई दिक्कत नहीं आई, न किसी तरह की रिश्वत किसी को देनी पड़ी। आदर्श ने अपने दम पर राज्य की टीम तक का सफर किया और इसमें एक पैसा किसी को घूस के तौर पर नहीं देना पड़ा। इसके लिए उन्होंने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन और बीसीआई को धन्यवाद दिया।
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