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कभी नामचीन रहे पीयू के कॉलेजों में स्पोर्ट्स खस्ताहाल

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय से काट कर बनाए गए पीयू के कॉलेजों में न तो उत्कृष्ट स्तरीय खेल सामग्रियाँ हैं न ही खेल कूद को प्रोत्साहन देने वाला अव्वल दर्जे का परिवेश।

Novinar Mukesh Reported By Novinar Mukesh |
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badminton court in purnea university

पूर्णिया यूनिवर्सिटी (पीयू) अधिकार क्षेत्रांतर्गत इंदिरा गांधी स्टेडियम में एथलेटिक्स के लिए साढ़े सात करोड़ की लागत से 400 मीटर के सिंथेटिक ट्रैक का निर्माण काम जारी है।


पीयू कुलपति प्रो. राजनाथ यादव विभिन्न मंचों से लगातार दावा करते रहे हैं कि सिंथेटिक ट्रैक का निर्माण काम पूरा होने पर राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं की मेजबानी के लिए दावेदारी की जाएगी। इस ट्रैक का निर्माण भारत सरकार के खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत कराया जा रहा है। सिंथेटिक ट्रैक के निर्माण के प्रति पीयू प्रशासन का प्रयास प्रशंसा के लायक है। लेकिन,पीयू प्रशासन के इस प्रयास से इतर कभी नामचीन रहे पीयू के कॉलेजों में खेल विधा से जुड़ी आधारभूत संरचनाओं का विकास, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को तैयार करने, खेल को अलग व अनिवार्य रूप से एक पाठ्यक्रम के रूप में संचालित करने, सुविख्यात शिक्षकों को प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त करने के प्रति विश्वविद्यालय प्रशासन गम्भीर नहीं है।

पीयू को बने करीब पाँच साल गुजर चुके हैं। पीयू के मातहत पूर्णिया कॉलेज, महिला कॉलेज जैसे पुराने नामचीन संस्थान हैं। भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय से काट कर बनाए गए पीयू के कॉलेजों में न तो उत्कृष्ट स्तरीय खेल सामग्रियाँ हैं न ही खेल कूद को प्रोत्साहन देने वाला अव्वल दर्जे का परिवेश।


इन कॉलेजों में स्थायी खेल प्रशिक्षक तो दूर, जरूरत के हिसाब से अस्थायी प्रशिक्षकों की ही भारी कमी है। खेलकूद जैसी विधाओं जिसमें, पेशेवरों की जरूरत होती है, पूर्णिया विश्वविद्यालय में उसका जिम्मा पारम्परिक विषयों के शिक्षकों के कंधे पर डालकर बजटीय आय-व्यय के बीच संतुलन साधने की कोशिश हर साल की मौसमी आदत बन चुकी है।

एक अलग पाठ्यक्रम के रूप में खेल की पढ़ाई

पीयू में एक अलग विषय के रूप में खेल विधाओं के औपचारिक पाठ्यक्रमों का अस्तित्व नहीं है। पीयू की आधिकारिक वेबसाइट पर भावी पाठ्यक्रम खंड में शारीरिक शिक्षा विभाग और उसके तहत शारीरिक शिक्षा में स्नातक (बी.पी.एड) व परास्तनातक स्तरीय (एम.पी.एड) पाठ्यक्रम और स्पोर्ट मेडिसीन में परास्नातक पाठ्यक्रम खोले जाने की बात दर्ज़ है। मौजूदा हालत ये है कि सीमांचल के युवा शारीरिक शिक्षा में स्नातक या परास्नातक स्तरीय पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों का रूख करते हैं। इससे एक ओर जहाँ उच्च शिक्षा के लिए उन्हें अपने परिवार से दूर होना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर राज्य के निवासियों की गाढ़ी कमाई दूसरे राज्य की आमदनी का माध्यम बन जाती है। स्कूली पढ़ाई पूरी कर चुके कई युवा खेल में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी कॉलेजों, विश्वविद्यालय में विषय के रूप में खेल की पढ़ाई नहीं कर पाते।

शारीरिक शिक्षा के लिए कोई कोशिश नहीं

पीयू के मातहत अधिकांश कॉलेज खेलकूद के लिए जरूरी आधारभूत संरचनाओं से वंचित हैं। कॉलेजों में पारम्परिक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। व्यावसायिक पाठ्यक्रम जैसे एमबीए, बीबीए संचालित करने के लिए विश्वविद्यालय के पदाधिकारी तिकड़मों का सहारा लेते हैं। बिना सरकार की अनुमति के ये पाठ्यक्रम शुरू कर दिए जाते हैं, छात्र-छात्राओं को नामांकित कर लिया जाता है। पाठ्यक्रम पूरी करने के बाद छात्रों का भविष्य अधर में लटक जाने के नाम पर सरकार से अनुमति ले ली जाती है। लेकिन, पीयू प्रशासन की ओर से शारीरिक शिक्षा, खेल विधाओं से जुड़े पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए न्यूनतम वैधानिक कोशिश किए जाने का नामोनिशाँ नहीं मिलता।

पीयू के कॉलेजों में खेल से जुड़ी सुविधाएं

पूर्णिया कॉलेज के पास बास्केटबॉल कोर्ट, बैडमिंटन के लिए इन-डोर कोर्ट है, जिसमें पीयू के विभिन्न कॉलेजों के बीच खेल प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। पूर्णिया कॉलेज का अपना एक मैदान है, जिसमें क्रिकेट, फुटबॉल, खो-खो, कबड्डी आदि खेल गतिविधियाँ नियमित रूप से कराई जा सकती हैं।

पूर्णिया के महिला कॉलेज के परिसर में एक बास्केटबॉल कोर्ट है, लेकिन जरूरी मरम्मत के अभाव में ज्यों का त्यों सरकारी मदद की बाट जोह रहा है। कॉलेज में एक फुटबॉल ग्राउंड है जिसमें फुटबॉल के अलावा कबड्डी, खो-खो आदि खेल गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है।

inter college badminton championship in purnea university

किशनगंज स्थित मारवाड़ी कॉलेज में खेल का एक मैदान है जिसमें फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी, खो-खो आदि खेल विधाओं का आयोजन किया जा सकता है। साथ ही एक छोटा इंडोर हॉल है, जिसमें ताइक्वांडो, टेबल टेनिस आदि खेल आयोजित किये जा सकते हैं।

पीयू के अंतर्गत कुल 34 कॉलेज हैं, जिनमें से कुछ कॉलेजों में गिने-चुने खेल विधाओं के लिए पर्याप्त मैदान हैं। हालांकि, इन कॉलेजों में शारीरिक शिक्षक या खेल प्रशिक्षक के पद कई वर्षों से रिक्त हैं।

समूचे पीयू में छात्र-छात्राओं को खेल का प्रशिक्षण और खेल गतिविधियों का आयोजन महज दो खेल शिक्षकों(पीटीआई) के भरोसे है। इनमें से एक फारबिसगंज कॉलेज और एक के.बी झा कॉलेज, कटिहार में हैं।

फारबिसगंज कॉलेज में नियुक्त पीटीआई अनिल राठौड़ को डेप्युटेशन पर पूर्णिया कॉलेज में स्थानांतरित किया गया है। पीयू के सभी कॉलेजों में खेल के लिए जरूरी आधारभूत संरचनाओं, प्रशिक्षकों का ब्यौरा, खेल विधा में छात्र-छात्राओं की उपलब्धियाँ, अन्य जरूरी संसाधनों की समुचित जानकारियां आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं की गई हैं।

खेल व अन्य जुड़ी गतिविधियों के विकास के लिए बजट

बिहार विधानमंडल के सामने रखे गए कला, संस्कृति व युवा विभाग के विस्तृत व्यय (खर्च) सत्र 2023-24 के मुख्य शीर्ष ‘खेलकूद और युवा सेवाएँ’ के तहत आय-व्यय की अनुमानित राशि 94 करोड़ 10 लाख 39 हजार रुपये है। साल 2022-23 के लिए पुनरीक्षित राशि 14 करोड़ 86 लाख 81 हजार रुपये है। लघु शीर्ष ‘खेल-कूद’ के तहत प्रशिक्षण मद में 2022-23 के लिए व्यय का पुनरीक्षित अनुमान 10 करोड़ 20 लाख रुपये तय किया गया, जिसे 2023-24 में बढ़ाकर 15 करोड़ कर दिया गया।

साल 2022-23 के लिए ‘संविदा सेवाओं’ का पुनरीक्षित अनुमान 56 लाख 16 हजार रहा जिसमें साल 2023-24 के लिए अनुमानित बढ़ोत्तरी 60 लाख 48 हजार कर दी गई। लघु शीर्ष ‘व्यायाम शिक्षा’ और उप-शीर्ष ‘शारीरिक शिक्षा’ के तहत साल 2022-23 के लिए प्रशिक्षण पर पुनरीक्षित खर्च महज 20 हजार रुपये रही। साल 2023-24 के लिए प्रशिक्षण पर आय-व्यय की अनुमानित राशि महज 20 हजार रुपये रखी गई।

इसी लघु शीर्ष ‘व्यायाम शिक्षा’ और उप-शीर्ष ‘शारीरिक शिक्षा’ के तहत साल 2022-23 के लिए संविदा सेवाओं का पुनरीक्षित व्यय 40 लाख और साल 2023-24 के लिए आय-व्यय की अनुमानित राशि 50 लाख रुपये तय की गई।

साल 2022-23 के लिए शारीरिक शिक्षा और व्यायाम शिक्षा का योग एक समान पाँच करोड़ 30 लाख 38 हजार रुपये रखा गया। वहीं साल 2023-24 के लिए आय-व्यय की राशि पाँच करोड़ 68 लाख 58 हजार रुपये अनुमानित की गई।

कॉलेजों में खेलों के विकास के प्रति बिहार सरकार की तत्परता का अंदाज़ा लगाने का एक आधार यह भी है कि अब तक खेल गतिविधियों के लिए एक अलग विभाग तक नहीं है।

बिहार में खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और खेल से जुड़ी आधारभूत संरचनाओं के विकास का जिम्मा निदेशालय के ऊपर है जिसे कला, संस्कृति व युवा विभाग के मातहत रखा गया है। इस विभाग के तहत चार निदेशालय हैं जिनमें से छात्र व युवा कल्याण निदेशालय के जिम्मे स्कूल-कॉलेजों में खेल गतिविधियाँ का आयोजन है।

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वहीं, हरियाणा जैसे राज्य में खेलकूद व युवा मामलों से जुड़ा अलग विभाग है, जिसकी बदौलत खेल व एथलेटिक्स विधाओं में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसकी अपनी अलग पहचान है।

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मधेपुरा में जन्मे नोविनार मुकेश ने दिल्ली से अपने पत्रकारीय करियर की शुरूआत की। उन्होंने दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर , एडीआर, सेहतज्ञान डॉट कॉम जैसी अनेक प्रकाशन के लिए काम किया। फिलहाल, वकालत के पेशे से जुड़े हैं, पूर्णिया और आस पास के ज़िलों की ख़बरों पर विशेष नज़र रखते हैं।

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