फीफा वर्ल्ड कप या फुटबॉल वर्ल्ड कप इस बार खाड़ी के देश क़तर में खेला जा रहा है। इस वर्ल्ड कप में भारत की भागीदारी महज़ एक दर्शक की है, लेकिन क़तर से करीब चार हज़ार किलोमीटर दूर पहाड़ों पर बसा दार्जिलिंग इन दिनों किसी मिनी क़तर से कम नहीं है। कतर विश्व कप शुरू होते ही पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग में फुटबॉल का खुमार प्रशंसकों के सिर चढ़कर बोल रहा है। घाटी में फुटबॉल विश्व कप को एक त्यौहार की तरह देखा जाता है। ऐसा त्यौहार जिसके लिए प्रशंसक 4 साल तक पूरी श्रद्धा से इंतजार करते हैं। स्थानीय लोगों में विदेशी खिलाडियों के पोस्टर और अपने मनपसंद फुटबॉल टीम के झंडे खरीदने की होड़ मची है।
स्थानीय निवासी विकास तमांग फुटबॉल खिलाड़ियों की जर्सी और विदेशी टीमों के झंडे सिलते हैं। वह कहते हैं कि दार्जिलिंग में सुनील छेत्री और श्याम थापा को खूब पसंद किया जाता रहा है, फुटबॉल विश्व कप शुरू होते ही क्षेत्र के लोग बहुत उत्साहित हैं।
दार्जिलिंग में जिधर देखिये उधर फुटबॉल खिलाड़ियों के पोस्टर और उनके देशों के झंडे दिखेंगे। खासतौर पर जर्सी और झंडे बेचने वाली दुकानों में काफी भीड़ देखी जा रही है।
दार्जीलिंग में फुटबॉल का कोई बहुत बड़ा क्लब नहीं हैं लेकिन यहाँ के हाई स्कूल और कॉलेजों में फुटबॉल खेलने की परंपरा दशकों पुरानी है। 70 और 80 के दशक में दार्जीलिंग में ‘गोरखा गोल्ड कप’ नामक एक फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था। तब उस टूर्नामनेट में मोहन बागान जैसी और भी बड़ी टीमें हिस्सा लिया करती थीं। किसी कारणवश साल 1985 के बाद इस टूर्नामेंट का आयोजन नहीं किया जा सका । आज दार्जिलिंग में कई ऐसे युवा हैं जो भारत के लिए फुटबॉल खेलने के सपने संजोए हुए हैं।
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भले ही फुटबॉल विश्व कप में भारत की टीम भाग नहीं लेती, मगर यहाँ के लोग अपने प्रिय विदेशी खिलाड़ियों को खूब समर्थन देते हैं। दार्जीलिंग में मेसी की अर्जेंटीना और नेमार की ब्राज़ील टीम की ज़बरदस्त लोकप्रियता है। फुटबॉल मैचों के दौरान लोग देश विदेश से आए पर्यटकों के साथ मॉल में इकट्ठा होते हैं जहां पुलिस बैंड, सिंगा डांस के साथ गीत बजाए जाते हैं।
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