सिलीगुड़ी: पूर्वोत्तर भारत के प्रवेश द्वार सिलीगुड़ी शहर की एक बिटिया ऋचा घोष की महिला प्रीमियर लीग के लिए 1.90 करोड़ रुपए में नीलामी हुई है। मात्र 19 वर्ष उम्र की रिचा भारतीय महिला क्रिकेट टीम की जानदार व शानदार विकेटकीपर व बल्लेबाज है।
बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) के तत्वावधान में पहली बार इसी वर्ष क्रिकेट की इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के तर्ज पर वीमेंस प्रीमियर लीग (WPL) होने जा रहा है। इसके लिए बीते सोमवार को मुंबई में महिला खिलाड़ियों की नीलामी हुई थी। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली की फ्रेंचाइजी टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) ने 1.90 करोड़ रुपए की बोली लगाकर ऋचा को अपनी फ़्रेंचाइज़ी में शामिल किया है।
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इस डब्ल्यूपीएल की नीलामी में ऋचा की बोली 50 लाख रुपये के आधार मूल्य से शुरू हुई। अपनी टीम में उसे पाने को लेकर दिल्ली व बैंगलोर टीम की फ्रेंचाइजीज के बीच मानो एक तरह से बोली-युद्ध छिड़ गया था। यह युद्ध तब तक चलता रहा जब तक कि ऋचा की कीमत बढ़ कर 1.70 करोड़ रुपए नहीं हो गई। अंततः आरसीबी ने अधिकतम 1.90 करोड़ रुपए की बोली लगा कर ऋचा को अपने नाम कर लिया।
टी20 विश्व कप में शानदार खेल रही ऋचा
अपनी ‘पावर हिटिंग’ के लिए मशहूर ऋचा की इतनी ऊंची बोली उस एक दिन के बाद ही लगी जब ऋचा ने दक्षिण अफ्रीका में आईसीसी विमेंस टी20 वर्ल्ड कप क्रिकेट के अपने पहले मैच में ही कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान पर भारत की सात विकेट से जीत में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
युवा ऋचा के लिए यह मैच एक बड़ी चुनौती था। क्योंकि, भारत बनाम पाकिस्तान मैच का मतलब अतिरिक्त दबाव होता है। इसके बावजूद टीम में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी ऋचा ने न सिर्फ विकेट के पीछे रह कर बल्कि विकेट के आगे आकर भी बहुत दमदार प्रदर्शन किया व अपनी टीम को जिताने में सफल रही। उसने विकेट के पीछे से दो कैच लपके। निदा डार और अमीन को बाहर का रास्ता दिखाया। वहीं, सलामी बल्लेबाज मुनीबा अली को स्टंप आउट किया। जब बल्लेबाजी की पारी आई तो कुल 150 रनों का लक्ष्य था। पाकिस्तान के खिलाफ बल्लेबाजी करने रिचा मैदान पर उतरी, तो हाल यह था कि भारतीय टीम अपनी कप्तान हरमनप्रीत को खो चुकी थी।
तब, पाकिस्तान को हराने के लिए भारत को 39 गेंदों में 57 रन चाहिए थे। वहां से ऋचा ने जेमिमाह रोड्रिग्स के साथ जबरदस्त पारी खेली। एक बार अंपायर ने उसे एलबीडब्ल्यू आउट दिया। पर, ऋचा ने तुरंत रिव्यू लिया और सौभाग्य से उसे जीवनदान मिल गया। तब, डगआउट में बेचैन कप्तान हरमनप्रीत को चैन आया और उनके चेहरे पर बड़ी मुस्कान खिल उठी। क्योंकि, कप्तान को पूरा भरोसा था कि ऋचा जब तक मैदान पर है तब तक कोई चिंता नहीं है। ऋचा भी कप्तान के भरोसे पर खरी उतरी। मैदान पर फिर, ऋचा को रोका नहीं जा सका। उसने 20 गेंदों पर 31 रनों की नाबाद पारी खेली, जिसमें कि शानदार पांच चौके भी शामिल रहे। उसे देख कर जेमिमा ने भी बड़े शॉट मारने शुरू कर दिए और अंततः भारत ने छह गेंद शेष रहते सात विकेट से पाकिस्तान को हराकर मैच जीत लिया।
इस जोड़ी के उस दमदार प्रदर्शन के बिना भारत के लिए मैच जीत पाना संभव नहीं था। उस मैच को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा ऋचा घोष और जेमिमाह रोड्रिग्स की ही हुई।
ऋचा घोष 2021-22 सीज़न में ऑस्ट्रेलिया के वीमेंस बिग बैश लीग के होबार्ट हरिकेन्स टीम का हिस्सा थीं। इसके अलावा वह बीसीसीआई द्वारा कराये जाने वाले वीमेंस टी20 चैलेंज में भी स्मृति मंधाना की टीम ट्रेलब्लेज़र में पिछले तीन सीज़न से खेल रहीं हैं। बीसीसीआई यह वीमेंस टी20 चैलेंज प्रतियोगिता 2018 से 2022 तक हर वर्ष आईपीएल के प्ले-ऑफ मैचों के दौरान आयोजित करवा रहा था। वीमेंस प्रीमियर लीग इसी प्रतियोगिता को विस्तार रूप दे कर शुरू किया गया है।
‘कोलकाता में एक फ्लैट खरीदना चाहती हूं’
इधर, डब्ल्यूपीएल में अपनी इतनी ऊंची बोली से ऋचा बहुत अभिभूत है। क्रिकेट की दुनिया में अपनी इस सफलता का श्रेय ऋचा ने अपने माता-पिता को दिया है। उसका कहना है, ‘यह मेरे माता-पिता का बड़ा सपना था कि मैं भारत के लिए खेलूं। मेरी भी चाहत यही थी जो पूरी हुई। अब मैं चाहती हूं कि मैं अपनी टीम की कप्तानी करूं और अपने देश भारत के लिए बड़ी-बड़ी ट्रॉफियां जीत लाऊं।”
“इसके साथ ही अब मैं कोलकाता में एक फ्लैट भी खरीदना चाहती हूं, जहां मेरे माता-पिता आराम से रहें। मेरे लिए उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। अब मेरी बारी है कि मैं उनके लिए संघर्ष करूं और वे आराम करें, अपने जीवन का आनंद लें,” उन्होंने कहा।
‘गर्व है कि ऋचा मेरी बेटी है’
वहीं, रिचा के पिता, व्यवसायी व पार्ट-टाइम क्रिकेट अंपायर, सिलीगुड़ी शहर के सुभाष पल्ली निवासी मानवेंद्र घोष भी अपनी बिटिया की इस सफलता से गदगद हैं।
उनका कहना है, “रिचा से हमें बहुत सारी उम्मीदें हैं। वह अब कुछ सबसे बड़े नामों के साथ आरसीबी ड्रेसिंग रूम साझा करेगी। इसे लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं। मैं आशावादी हूं कि डब्ल्यूपीएल से भारतीय महिला क्रिकेट में नई क्रांति आएगी।”
उन्होंने यह भी कहा, “यह खुशी का क्षण है लेकिन अभी हम सभी वर्ल्ड कप जीतना चाहते हैं। हमारी टीम अच्छी है। हमें उम्मीदें हैं। मुझे गर्व है कि ऋचा मेरी बेटी है, लेकिन मुझे टीम की सभी बेटियों पर गर्व है। अभी यह एक यात्रा की शुरुआत मात्र है। ऋचा हमेशा अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहती है। अभी उसका एक ही लक्ष्य है और उसी पर उसे ध्यान केंद्रित करना है और वह लक्ष्य वर्ल्ड कप जीत कर देश लौटना है।”
ऋचा घोष की मां स्वप्ना घोष भी अपनी बिटिया की सफलता से बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा, ”अब हमारी चाहत है कि ऋचा डब्ल्यूपीएल में भी अच्छा प्रदर्शन करे और हम सब स्टेडियम में बैठ कर वह मैच देखें।”
12वीं की छात्रा है ऋचा घोष
याद रहे कि कुछ दिनों पहले ही वीमेंस अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप में भी भारतीय टीम के चैंपियन होने में भी ऋचा घोष ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी।
हालांकि, उसके बाद वह वापस कोलकाता या सिलीगुड़ी नहीं लौट सकी। क्योंकि उसे सीनियर वीमेंस टी20 वर्ल्ड कप के लिए दक्षिण अफ्रीका की उड़ान भरनी पड़ी। अभी आईसीसी वीमेंस टी-20 वर्ल्ड कप क्रिकेट ऋचा जबरदस्त फॉर्म में है। वहां से वह अपनी टीम के लिए वर्ल्ड कप जीत कर ही देश लौटे और अपने शहर आए उसी का पूरे सिलीगुड़ी को बेसब्री से इंतजार है। 26 फरवरी को आईसीसी वीमेंस टी20 वर्ल्ड कप क्रिकेट का फाइनल खेला जाएगा।
उसके बाद जब रिचा यहां लौटेगी तो अगले महीने मार्च में वह पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित होने जा रही उच्च माध्यमिक परीक्षा-2023 में भी सम्मिलित होगी। उल्लेखनीय है कि, रिचा सिलीगुड़ी शहर के प्रधान नगर स्थित मार्ग्रेट सिस्टर निवेदिता इंग्लिश स्कूल की 12वीं की छात्रा है।
अपनी उच्च माध्यमिक परीक्षा के बाद ऋचा को मुंबई में बीसीसीआई की वीमेंस प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) में भी धमाल मचाना है। पहली बार इस वर्ष आयोजित होने जा रही डब्ल्यूपीएल के पहले सीजन में कुल पांच फ्रेंचाइजी टीमें भाग लेंगी। उनमें रिचा रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम में शामिल है।
संघर्ष से भरा सफर
क्रिकेट की दुनिया में ऋचा की सफलता का यह सफर कोई आसान सफर नहीं रहा। उसे बहुत संघर्ष करना पड़ा। विकेटकीपिंग से क्रिकेट की शुरूआत करने वाली ऋचा आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम में लंबे-लंबे चौके-छक्के लगाने के लिए जानी जाती है। उसे रन-मशीन भी कहा जाने लगा है। ऋचा ने मात्र चार वर्ष की आयु से ही क्रिकेट के गुर सीखना शुरू किया था। इसके लिए उसने लगातार 12 वर्षों तक कड़ी साधना की। हर दिन स्कूल से लौटने के बाद दो से तीन घंटे तक क्रिकेट का अभ्यास ऋचा आदत में शामिल था। उसी मेहनत व लगन और कड़ी साधना की बदौलत रिचा पहले अंडर-19 टीम, फिर सीनियर टीम और अब डब्ल्यूपीएल के लिए चयनित हुई है।
महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानने वाली ऋचा अपने पिता को ही अपना पहला कोच मानती है। उसके पिता ने बताया कि बचपन से ही ऋचा में क्रिकेट के प्रति दीवानगी थी। इसीलिए जब वह मात्र चार वर्ष की ही थी तभी हमने बाघाजतिन एथेलेटिक्स क्लब में प्रैक्टिस के लिए उसे भर्ती करा दिया। वह अपने स्कूल से घर भी लौटती थी और अपने बस्ते के साथ अभ्यास करने क्लब पहुंच जाती थी। उसकी रूचि व लगन को बनाने-बढ़ाने में परिवार व शिक्षकों का भी भरपूर सहयोग मिला। प्रधान नगर स्थित मार्ग्रेट सिस्टर निवेदिता इंग्लिश स्कूल के शिक्षक विश्वजीत राय ने भी कहा कि रिचा क्रिकेट के साथ पढ़ाई को भी महत्व देती है। पहले कक्षा में उसकी हाजिरी शत-प्रतिशत रहती थी। इस बार मार्च महीने में उच्च माध्यमिक की परीक्षा देने वाली है। क्रिकेट की दुनिया में ऋचा के लगातार सफलतम प्रदर्शन से केवल स्कूल, परिवार ही नहीं बल्कि पूरा सिलीगुड़ी शहर गौरवान्वित है।
क्रिकेट करियर की शुरुआत में लगभग 10 साल तक ऋचा के कोच रहे गोपाल साहा ने कहा कि अपने पहले व अंतिम अंडर-19 वीमेंस टी-20 वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारतीय टीम को चैंपियन बनाकर रिचा ने उन्हें सबसे बड़ी गुरु दक्षिणा दे दी है।
उन्होंने यह भी कहा कि ऋचा इस जीत तक ही सीमित नहीं रहने वाली है बल्कि सीनियर वीमेंस टी-20 वर्ल्ड कप में भी रिकॉर्ड कायम करेगी। वह चाहते हैं कि वर्ल्ड कप व डब्ल्यूपीएल दोनों में रिचा अपनी गहरी छाप छोड़े।
इधर, सिलीगुड़ी शहर के मेयर गौतम देव ने भी कहा है कि रिचा ने न सिर्फ सिलीगुड़ी शहर बल्कि पूरे पश्चिम बंगाल राज्य का नाम रौशन किया है। इससे हम सब अभिभूत हैं। अब जब रिचा शहर लौटेगी तो नगर निगम की ओर से उसका नागरिक अभिनंदन किया जाएगा।
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