सरकारी स्कूलों में सुधार लाने के लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक कड़े कदम उठा रहे हैं। स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए लगातार स्कूलों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है। उनके सख्त रवैये से स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति काफी हद तक सुधरी है। लेकिन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं रहने की वजह से बच्चों को पठन-पाठन में काफी परेशानी हो रही है।
किशनगंज के कोचाधामन प्रखंड स्थित आदर्श प्लस टू कारकुन लाल उच्च विद्यालय अलता हाट के बच्चों को भी ऐसी ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नौंवीं कक्षा की छात्रा निकिता कुमारी कहती है कि स्कूल में शिक्षकों की कमी की वजह से खेलकूद विषय के शिक्षक संस्कृत और हिंदी विषय पढ़ाते हैं।
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शिक्षा विभाग द्वारा इस विद्यालय में कुल 13 शिक्षकों को पदस्थापित किया गया था। इनमें से एक शिक्षिका विद्यालय छोड़ चुकी हैं और विभाग द्वारा तीन शिक्षकों को अन्य स्कूलों में डेपुटेशन पर भेज दिया गया है।
हाई स्कूल और प्लस टू दोनों को मिलाकर मात्र 10 शिक्षकों के भरोसे बच्चों का भविष्य टिका हुआ है। छात्राओं ने बताया कि शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई बाधित होती है और सिलेबस भी आगे नहीं बढ़ पाता है। इससे छात्र-छात्राओं को प्राइवेट कोचिंग का सहारा लेना पड़ता है। स्कूल की छात्रा रखशंदा सदफ बताती है कि फिजिक्स, हिंदीं, संस्कृत, इकोनॉमिक्स और अंग्रेजी विषयों के शिक्षक स्कूल में नहीं हैं, जिस वजह से इन विषयों में उनको काफी दिक्कत होती है।
स्कूलों में शिक्षकों के न होने से अभिभावक बच्चे-बच्चियों को स्कूल भेजने से कतराते हैं। अभिभावक नूर आजम बताते हैं कि स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की कमी से बच्चों को परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि किसी भी जनप्रतिनिधि का सरकारी स्कूलों की तरफ ध्यान नहीं जाता है।
प्लस टू उच्च माध्यमिक विद्यालय का दर्जा देकर स्थानीय छात्र-छात्राओं के लिए राज्य सरकार ने सहुलियत तो जरूर दे दी है, लेकिन विद्यालय आज भी संसाधनों की घोर कमी से जूझ रहा है। स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक नईम अख्तर रब्बानी बताते हैं कि प्लस टू स्कूल में मात्र चार ही शिक्षक हैं, उसमे भी एक लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। साइंस विषयों के लिए एक भी टीचर नहीं हैं। बायोलॉजी विषय के एक शिक्षक हैं, वह भी अतिथि शिक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
प्लस टू के अलावा हाई स्कूल में भी विषय शिक्षकों की कमी है। प्रधानाध्यापक नईम अख्तर रब्बानी ने बताया कि हाई स्कूल में कुल 12 शिक्षक होने चाहिए, जिसमें अभी सिर्फ 7 शिक्षक हैं। वह कहते हैं कि शिक्षकों की कमी को लेकर उन्होंने विभाग को कई बार पत्र भी लिखा है।
प्लस टू स्कूल में शिक्षकों की कमी की वजह से एक ही शिक्षक को दूसरे विषयों की क्लॉस भी लेनी पड़ती है। प्लस टू स्कूल के शिक्षक मो. इकबाल बताते हैं कि वह उर्दू के शिक्षक हैं, लेकिन उनको कभी-कभी अंग्रेज़ी भी पढ़ानी पड़ती है।
मामले को लेकर जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि स्कूल में विषयवार शिक्षकों की कमी के बारे में उनको जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस मामले की जानकारी प्राप्त कर विषयवार शिक्षकों की कमी को दूर करने का प्रयास किया जायेगा।
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