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“दलित-पिछड़ा एक समान, हिंदू हो या मुसलमान”- पसमांदा मुस्लिम महाज़ अध्यक्ष अली अनवर का इंटरव्यू

अली अनवर अंसारी करीब 25 सालों से मुस्लिम समाज की पिछड़ी जातियों को उनका हक़ दिलाने की क़वाइद कर रहे हैं। अली अनवर ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के अध्यक्ष हैं और 2006 से 2017 के बीच राज्यसभा के सदस्य रहे हैं।

Ariba Khan Reported By Ariba Khan |
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बिहार जाति गणना के आकड़े सामने आते ही राज्य में जातियों के आधार पर अलग-अलग राजनीति शुरू होगी। इस गणना में पहली बार मुस्लिम की कई जातियों के आकड़े सामने आए हैं।


आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ये आंकड़े अहम माने जा रहे हैं। मुस्लिम की कई जातियों को पहली बार उनकी संख्या का अहसास हुआ है। ऐसे में ‘मैं मीडिया’ ने पूर्व पत्रकार व पूर्व सांसद अली अनवर अंसारी के साथ एक खास बातचीत की।

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अली अनवर अंसारी करीब 25 सालों से मुस्लिम समाज की पिछड़ी जातियों को उनका हक़ दिलाने की क़वाइद कर रहे हैं। अली अनवर ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के अध्यक्ष हैं और 2006 से 2017 के बीच राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। 2017 में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से निकाले जाने के बाद उन्होंने शरद यादव के साथ अलग पार्टी बनाई थी, जो अब निष्क्रिय है।


इस बातचीत के दौरान अली अनवर अंसारी ने पसमांदा शब्द का मतलब समझाते हुए कहा कि यह एक रिलिजन न्यूट्रल और कास्ट न्यूट्रल शब्द है, पसमांदा नाम की न कोई बरादरी है और न ही मजहब, पसमांदा शब्द का मतलब है, “जो पीछे छूट गया।”

वह आगे कहते हैं कि हमारे देश में पसमांदा लोगों की पसमांदगी जाति से भी है और माली ऐतबार से भी है। व्यवस्था ये है कि जाति और गरीबी की रेखा बहुत सट के चलती है, मतलब जो जाति से हीन हैं वे ही माली ऐतबार से भी कमजोर हैं।

पसमांदा शब्द को मजहब और जाति से अलग बताने के बावजूद अपने संगठन के नाम में मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल करने की बात पर वह कहते हैं, “हमारी संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार किसी भी धर्म की कमजोर जाति के लोग, SC, ST, OBC चाहे वो मुस्लिम हों, हिंदू हों, सिख या ईसाई हों, हम उन सबको पसमांदा ही कहेंगे, और हमने इसमें मुस्लिम शब्द इसलिए लगाया क्योंकि हम जिस समाज में पैदा हुए हैं, पहले उसमें सुधार लाने के लिए, और उसमें सियासी बेदारी पैदा करने के लिए कदम उठा रहे हैं।

अली अनवर आगे कहते हैं, “जब जरूरत पड़ेगी और हमारे लोगों का विकास हो जाएगा, वो जाग जाएंगे तब तो हम एक पार्टी बना सकते हैं जिसमें हर धर्म के पसमांदा होंगे और पसमांदा लोगों की एक पार्टी होगी।”

अली अनवर अक्सर अपने इंटरव्यूज में यह दावा करते हुए सुने गए हैं कि मुसलमानों की अगड़ी जातियों की मस्जिदों में पिछड़ी जाति के लोगों को नमाज़ पढ़ने नहीं दिया जाता है, लेकिन ‘मैं मीडिया’ ने जब इससे से जुड़ा एक उदहारण उनसे मांगा, तो वह बात को गोलमोल घुमाते नज़र आए।

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अरीबा खान जामिया मिलिया इस्लामिया में एम ए डेवलपमेंट कम्युनिकेशन की छात्रा हैं। 2021 में NFI fellow रही हैं। ‘मैं मीडिया’ से बतौर एंकर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट जुड़ी हैं। महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर खबरें लिखती हैं।

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