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बिहार में 75 फीसदी आरक्षण संबंधी विधेयक पर राज्यपाल की लगी मुहर

अब राज्य सरकार की सेवाओं और पदों की सभी नियुक्तियां, जो सीधी भर्ती के द्वारा भरी जानेवाली हों, उनमें 65 फीसद सीटें आरक्षित होंगी। इसमें पिछड़ा वर्गों के लिये 18 प्रतिशत, अत्यन्त पिछड़ा वर्गों के लिये 25 प्रतिशत, अनुसूचित जातियों के लिये 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिये 2 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
governor approves bill related to 75 percent reservation in bihar

बिहार के राज्यपाल ने ‘बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) (संशोधन) अधिनियम-2023’ पर मुहर लगा दी है।


अब राज्य सरकार की सेवाओं और पदों की सभी नियुक्तियां, जो सीधी भर्ती के द्वारा भरी जानेवाली हों, उनमें 65 फीसद सीटें आरक्षित होंगी। इसमें पिछड़ा वर्गों के लिये 18 प्रतिशत, अत्यन्त पिछड़ा वर्गों के लिये 25 प्रतिशत, अनुसूचित जातियों के लिये 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिये 2 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी।

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इसके अलावा 10 फीसदी सीटें आर्थिक रूप से कमज़ोर अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रहेंगी। यह आरक्षण सिर्फ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिये उपलब्ध रहेगा।


इसके अलावा राज्यपाल ने ‘बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन) आरक्षण अधिनियम-2023’ पर भी मुहर लगा दी है। इसके तहत राज्य के सभी सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में 65 फीसदी सीटें पिछड़े, अत्यंत पिछड़े, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों के लिये आरक्षित होंगी।

जाति आधारित गणना के बाद लिया गया था फैसला

सरकार द्वारा जारी गज़ट नोटिफिकेशन में कहा गया कि जाति सर्वेक्षण के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों के विश्लेषण से ये स्पष्ट है कि अवसर और स्थिति में संविधान में समानता के पोषित लक्ष्य को पूरा करने के लिए पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बड़े हिस्से को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

नोटिफिकेशन के मुताबिक, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति व अन्य पिछड़े वर्गों के सदस्य सदियों से वंचित और हाशिये पर रहे हैं। हालांकि, संविधान के अंतर्गत साकारात्मक उपाय व अनेक कल्याणकारी योजनाओं के द्वारा इनके जीवन में उत्थान के लिये कुछ हद तक प्रयास किये गये हैं, लेकिन अभी तक यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है।

नोटिफिकेशन के अनुसार, जाति सर्वेक्षण में सामने आये तथ्य इस धारणा को मजबूत करते हैं कि राज्य सरकार को पहले से मौजूद उपायों के अतिरिक्त अनुपातिक समानता के अंतिम उद्देश्य में तेजी लाने के लिये और अतिरिक्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

इसके अलावा जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य सरकार की सेवाओं में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़े वर्गों के सदस्यों का प्रतिनिधित्व अनुपातिक रूप से कम है।

बताते चलें कि बिहार विधानसभा में आरक्षण संबंधी संशोधन विधेयक 9 नवंबर को पास हुआ था। उल्लेखनीय है कि सदन में विधेयक बिना किसी विरोध के सर्वसम्मति से पास हुआ था।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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