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बिहार जातीय गणना रिपोर्टः सरकारी नौकरियों में कायस्थ सबसे अधिक, राज्य में सिर्फ 7 फीसद लोग ग्रेजुएट

सामान्य वर्ग के 25.09% परिवार गरीबी में जीवन बसर कर रहे हैं। वहीं पिछड़ा वर्ग के 33.16%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 33.58%, अनुसूचित जाति 42.93%, अनुसूचित जनजाति के 42.70% और अन्य जातियों के 23.72% परिवार गरीबी में जीवन गुजार रहे हैं।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
bihar caste census economic survey report

बिहार विधानसभा में शीत सत्र चल रहा है। आज का सत्र शुरू होते ही विपक्ष के हंगामा के बाद दूसरे दिन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। 12 बजे के बाद फिर से सत्र की कार्यवाही शुरू हुई तो सभी विधायकों को जातीय आधारित गणना रिपोर्ट की कॉपी दी गई। इस रिपोर्ट में विभिन्न जातियों की आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट है।


नौकरी में विभिन्न जातियों का हिस्सा

बिहार में सरकारी नौकरियों में सबसे अधिक लोग कायस्थ जाति के हैं। राज्य के सरकारी नौकरियों में कायस्थों का प्रतिशत 6.68 है।

कायस्थों के बाद भूमिहार (4.99%), राजपूत (3.81%), ब्राह्मण (3.60%), कुर्मी (3.11%), सैयद (2.43%), कुशवाहा (2.04%), बनिया (1.96%), यादव (1.55%), दुसाध (1.44%), पठान (1.07%) और शेख (0.79%) जातियों का नंबर आता है।


सामान्य वर्ग के 25 फीसद परिवार गरीब

सामान्य वर्ग के 25.09% परिवार गरीबी में जीवन बसर कर रहे हैं। वहीं पिछड़ा वर्ग के 33.16%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 33.58%, अनुसूचित जाति 42.93%, अनुसूचित जनजाति के 42.70% और अन्य जातियों के 23.72% परिवार गरीबी में जीवन गुजार रहे हैं।

अगर सामान्य वर्ग में देखा जाये तो सबसे अधिक गरीब परिवार (27.58%) भूमिहार समाज के हैं। वहीं, ब्राह्मणों के 25.32%, राजपूतों में 24.89%, शेख के 25.84%, पठानों के 22.20%, सैयदों के 17.61% और कायस्थों के 13.83%, परिवार गरीब हैं।

वहीं, अनुसूचित जाति में कुल 42.93 फीसदी परिवार गरीब हैं। इनमें दुसाध के 39.36%, चमार के 42.06%, मुसहर के 54.56%, पासी समाज के 38.24%, धोबी के 35.82%, डोम के 53.10% और नट के 49.06% परिवार गरीबी में जी रहे हैं।

इसी प्रकार, अनुसूचित जनजाति में 42.70 फीसदी परिवार गरीब हैं। इनमें संथाली गरीब परिवारों का प्रतिशत 52.09, गोंड का 32.45, उरांव का 45.36 और थारू गरीब परिवारों प्रतिशत 41.35 है।

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किस जाति की कितनी मासिक आय

बिहार में सामान्य वर्ग के लगभग 25 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार रुपए, 23 फीसदी की आय 6-10 हजार रूपये, 19 फीसद की आय 10-20 हजार रूपये, 16 फीसद की मासिक आय 20-50 हजार रूपये और 9 फीसद आबादी की मासिक आय 50 हजार रूपये से अधिक है।

अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33 फीसद आबादी की मासिक आय 6 हजार रूपये, 32 फीसद आबादी की मासिक आय 6-10 हजार रूपये, 18 फीसद आबादी की मासिक आय 10-20 हजार रूपये, 2.5 फीसद आबादी की मासिक आय 20-50 हजार रूपये और 2 फीसद आबादी की मासिक आय 50 हजार से ज्यादा है।

पिछड़ा वर्ग के 33 प्रतिशत आबादी की मासिक आय 6 हजार रूपये, 29 प्रतिशत आबादी की आय 6-10 हजार रूपये, 18 प्रतिशत आबादी की आय 10-20 हजार रूपये, 10 प्रतिशत आबादी की मासिक आय 20-50 हजार रूपये और पिछड़ा वर्ग में 4 प्रतिशत आबादी की मासिक आय 50 हजार से ज्यादा है।

अनुसूचित जनजाति वर्ग के 42 प्रतिशत आबादी की मासिक आय 6 हजार रूपये, 25 प्रतिशत आबादी की आय 6-10 हजार रूपये, 16 प्रतिशत की आय 10-20 हजार रूपये, 8 प्रतिशत की आय 20-50 हजार रूपये और 2.53 प्रतिशत आबादी की मासिक आय 50 हजार रूपये से अधिक है।

अनुसूचित जाति में 42 प्रतिशत आबादी की मासिक आय 6 हजार रूपये, 29 फीसदी की आय 6 -10 हजार, 15 फीसदी की आय 10-20 हजार, 5 फीसदी की आय 20-50 हजार रूपये और 1 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार से अधिक है।

बिहार में सिर्फ 7 प्रतिशत आबादी ग्रेजुएट

राज्य में 22.67 प्रतिशत आबादी के पास वर्ग 1-5 तक की शिक्षा है। वहीं, 14.33 प्रतिशत लोग वर्ग 6-8 तक, 14.71 प्रतिशत आबादी वर्ग 9-10 तक, 9.19 प्रतिशत आबादी वर्ग 11-12 तक और 7 प्रतिशत आबादी स्नातक तक शिक्षित हैं।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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