विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने भाषण में जाति आधारित गणना को प्रदेश के लिए ऐतिहासिक बताया और कहा कि इससे बिहार में सभी वर्गों में हुए विकास की बात खुलकर सामने आई।
उन्होंने कहा कि राज्य के हर इलाके में रह रहे लोगों की जातीय, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति की संपूर्ण जानकारी सबके सामने रख दी गई है। इस दौरान उन्होंने भाजपा के नेताओं से कहा कि भाजपा के साथ मिलकर जो हमने काम किया, वो आप लोग क्यों भुला देते हैं, वो सब भी याद रखा किया कीजिये।
“1990 से ही करना चाहते थे जातीय गणना”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जाति आधारित गणना के लिए उन्होंने 1990 में ही सोच लिया था। ” जब हम लोग केंद्र में थे, तो उस समय कांग्रेस ने ज्ञानी ज़ैल सिंह को राष्ट्रपति बनाया था। जब हम बने थे न मंत्री, 70 की बात है। तब ज्ञानी ज़ैल सिंह हमको खबर दिए कि वह हम से मिलना चाहते हैं तो हम खुद उनके पास चले गए। उन्होंने कहा कि देश में जाति आधारित गणना होनी चाहिए। यह 1990 की बात है, उसी समय हम इस बात को समझे। तुरंत हम सभी पार्टी के बड़े नेताओं से मिले। उस समय के माननीय प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप जी से मिले और उनसे अनुरोध किया कि जाति आधारित गणना होनी चाहिए,” नीतीश कुमार बोले।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि 2019 से ही जातीय गणना के लिए कोशिशें शुरू हुईं थीं लेकिन कोरोना काल के कारण यह काम पूरा नहीं हो सका। वह कहते हैं, ”फिर अलग अलग हो गए। यह अलग बात है लेकिन सबकी सहमति से हुई है। इसके लिए बड़े पैमाने पर लोगों को लगाया गया। जो भी गणना के आधार पर रिपोर्ट आई उसके आधार पर 9 पार्टी के लोगों ने मिलकर बात की। याद करिये हम लोगों ने तय किया था सिर्फ गणना नहीं करेंगे। हमलोग सभी परिवारों की आर्थिक स्थिति की जानकारी लेंगे।”
विपक्ष, खास तौर पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से जाति आधारित गणना पर यह कहा गया था कि कुछ जातियों कि संख्या जान बुझ कर घटा बढ़ा कर पेश की गई है। इस पर उन्होंने कहा, ”कहीं कहीं कोई बोल देता है कि इ जात का बढ़ गया ऊ जाट का बढ़ गया। हमको ज़रा बताइए जब इससे पहले जाति आधारित गणना हुई ही नहीं, तो यह आप कैसे कह रहे हैं कि ई जात का घट गया ऊ जात बढ़ गया। ई बहुत बोगस बात है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय गणना होने के समय वह अपने घर गए थे, ताकि गणना में शामिल हो सकें। आगे उन्होंने कहा कि जो लोग कहते हैं कि हमसे नहीं पूछा गया, वह अपने घर क्यों नहीं गए।
सदन में मुख्यमंत्री ने पेश किए जातीय गणना के आंकड़े
सदन में उन्होंने जाति आधारित कई आंकड़े पेश किये। उन्होंने बताया कि बिहार में कुल 2 करोड़ 76 लाख परिवार पाए गए जिसमें 59.13% लोगों के पास पक्के मकान हैं और 39 लाख परिवार झोपड़ियों में रहते हैं। इसके अलावा 63,850 ऐसे परिवार पाए गए जिनके पास रहने को घर नहीं हैं। परिवार की आय के आधार पर 94 लाख से अधिक परिवार आर्थिक रूप से ग़रीब मिले हैं।
गणना के अनुसार, राज्य में सभी वर्गों में 34.14% गरीब लोग पाए गए हैं। सामान्य वर्ग के 25.09% लोग गरीब हैं। पिछड़ा वर्ग की आबादी में 33.16% जबकि अति पिछड़े वर्ग के 33.58% लोग राज्य में गरीब पाए गए हैं। अनुसूचित जाति 42.93% और अनुसूचित जनजाति वर्ग में 42.70% गरीब लोग पाए गए हैं।
“महिला की साक्षरता दर बढ़ने से प्रजनन दर में कमी आई”
साक्षरता दर 61.80% से बढ़कर 79.70% हुई। साक्षर महिलाओं की संख्या 51.50% से बढ़कर 73.91% हुई जबकि मैट्रिक पास महिलाओं की संख्या 24 लाख 81 हज़ार से बढ़कर 55 लाख 11 हज़ार हो गई। इंटर पास महिलाओं की संख्या 42 लाख 11 हज़ार हो गयी है। स्नातक महिलाओं की संख्या 4 लाख 35 हज़ार से बढ़कर 34 लाख 61 हज़ार हो गई है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रजनन दर 4.3 की जगह 2.9 पर पहुंच गया है। उन्होंने तर्क दिया कि महिलाओं की साक्षरता बढ़ने से प्रजनन दर में कमी आई है और आगे यह दर और भी नीचे जाएगा।
”यदि पत्नी मैट्रिक पास है तो देश में उसका प्रजनन दर 2 था बिहार में भी 2 था। अगर पत्नी इंटर पास है तो देश में प्रजनन दर 1.7 था और बिहार में 1.6, यह हमको रिपोर्ट मिला। हमको यूरेका की भावना आई, इतनी ख़ुशी हुई थी कि भाई हमलोग तेज़ी से काम कराएँगे और इसी का नतीजा है कि हमलोग 2.9 पर आये,” नीतीश कुमार ने कहा।
75% आरक्षण का रखा प्रस्ताव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने राज्य में आरक्षण का दायरा 50% से बढ़ाकर 75% करने का प्रस्ताव रखा और कहा कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 16 प्रतिशत की जगह 20 प्रतिशत होना चाहिए। वहीं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 30 की जगह 43 प्रतिशत देने का प्रस्ताव रखा। अनुसूचित जनजाति के लिए 2 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया जो पहले 1 प्रतिशत था।
मुख्यमंत्री ने कमज़ोर आर्थिक वर्ग में पहले जैसा 10 प्रतिशत का आरक्षण रहने की बात कही। ”मेरा यह कहना है कि जो 50 प्रतिशत (आरक्षण) है उसे कम से काम हम 65 प्रतिशत कर दें और 10 प्रतिशत पहले से अपर कास्ट का है तो 65 और 10, 75 तो बचेगा 25, पहले 40 सबको फ्री था अब 25 सबको फ्री हो जाएगा, लेकिन बाकी पिछड़ा, अति पिछड़ा, एससी एसटी को मिलाकर जो 50 है उसको 65 हमलोग कर दें, यही परामर्श है,” नीतीश कुमार बोले।
बिहार के 94 लाख गरीब परिवारों को 2 लाख की राशि का एलान
मुख्यमंत्री ने कुछ विशेष योजना का भी एलान किया। उन्होंने बताया कि सभी जातियों के 94 लाख परिवार गरीब हैं और उनके पास रोज़गार नहीं है। ऐसे परिवारों को रोज़गार शुरू करने के लिए 2 लाख की राशि किश्तों में मुहैया कराई जाएगी। राज्य में 63,850 ऐसे परिवार हैं जिनके पास आवास नहीं है। इन परिवारों के लिए ज़मीन खरीदने के लिए 1 लाख रुपये की सहायता मिलेगी और घर बनाने के लिए 1 लाख 20 हज़ार रुपये दिए जाएंगे।
नीतीश ने आगे कहा, ”अगर ये दोनों चीज़ किया जाएगा, तो हमने एक एक आंकड़ा देखा। दोनों कामों के लिए 2 लाख 50 हज़ार करोड़ रुपये लगेंगे इसीलिए हमने सोचा कि इसको पांच साल के अंदर हमलोग पूरा कर दें ताकि 50 -50 हज़ार रुपये दें। लेकिन बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाएगा तो दो -ढाई साल में ही सबका हो जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि महिलाओं के लिए जीविका स्वयं सहायता समूह की संख्या 10 लाख से अधिक है। इसमें डेढ़ लाख और बढ़ाने की योजना है जिससे जीविका दीदियों की संख्या 1 करोड़ 30 लाख से 1 करोड़ 50 लाख हो जाएगी।
उन्होंने आगे यह भी बताया कि राज्य की ऐसी पंचायतों को चिन्हित किया जा रहा है जहां साक्षरता दर राज्य के औसत से कम है। इन पंचायतों में विशेष अभियान चलाया जाएगा।
“खाली जातीय गणना नहीं कराए हैं बल्कि सबका आर्थिक का भी अध्ययन करवा लिए। इन दोनों के आधार पर नीति और योजना बना कर समाज के हाशिये पर अवस्थित लोगों का विकास होगा और न्याय के साथ विकास का हमारा संकल्प है। यह काम हम करेंगे। यह सारी रिपोर्ट आज यहां दी जा रही है , विधान परिषद में लिया जाएगा और केंद्र सरकार को भी हम लोग यह सब भेज देंगे,” नीतीश कुमार ने कहा।
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