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अररिया: नहर पर नहीं बना पुल, गिरने से हो रही दुर्घटना

स्थानीय किशोर श्रवण कुमार यादव ने बताया कि हर साल नहर में गिरने से 3 से 4 लोगों की मौत हो जाती है। कई बार मवेशी भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

ved prakash Reported By Ved Prakash |
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अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड मुख्यालय के पास मधुरा नार्थ से पासवान टोला और लक्ष्मीपुर को जोड़ने वाले रास्ते में एक नहर पड़ती है। नहर के ऊपर से गुजरने के लिए पुल का निर्माण नहीं हो सका है। नहर के ऊपर साइफन की पतली दीवार से होकर लोग आना-जाना करते हैं।

आम दिनों में नहर की एक तरफ सूखा होता है जिससे लोग वाहन लेकर निकल जाते हैं लेकिन बरसात के मौसम में पानी भर जाने से आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। पुल न होने के कारण साइफन की दीवार के सहारे नहर पार करने में काफी खतरा रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हाल ही में साइफन पार कर रहे दो दोस्त नहर में गिर गए थे, जिसमें दोनों की मौत हो गई।

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स्थानीय किशोर श्रवण कुमार यादव ने बताया कि हर साल नहर में गिरने से 3 से 4 लोगों की मौत हो जाती है। कई बार मवेशी भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।


नहर के पास ही स्वतंत्रता सैनानियों का गांव बसता है जहां सिंह टोला के विश्वनाथ सिंह, केशव प्रसाद सिह, रामजी सिंह, डोमी सिंह और यादव टोला के बोका यादव रहा करते थे।

साइफन की दीवार से बाइक पर पत्नी और बच्चे को लेकर लक्ष्मीपुर जा रहे अभिनंदन प्रसाद यादव ने कहा कि बारिश के मौसम में नहर का पानी काफी बढ़ जाता है जिसके कारण 7, 8 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है। वहीं, एक और राहगीर तव्वाब आलम कहते हैं कि पुल न होने से मरीज़ों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

नहर वाला यह इलाका पहले पंचायत में आता था, लेकिन अब इसे नरपतगंज नगर पंचायत में बदल दिया गया है। नरपतगंज के ग्रामीण कार्य विभाग के जेई राजुकमार निराला ने बताया कि पुल को बनाने को लेकर प्रयास किया जा रहा है।

हमने नरपतगंज से विधायक जय प्रकाश यादव से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया। इसके बाद हम नरपतगंज नगर परिषद अध्यक्ष सन्नो कुमारी के घर पहुंचे पर वह वहां नहीं मिलीं। हालांकि घर पर मौजूद एक परिजन ने आश्वासन दिया कि पुल के निर्माण के लिए लगातार कोशिश की जा रही है।

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अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

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