दिघलबैंक ग्राम पंचायत अंतर्गत बैरबन्ना गांव के कई नौजवान मज़दूर नेपाल के इलाम ज़िले में लेबर-मिस्त्री का काम करते हैं। इन्हीं में से चार मजदूर थे अजीमुद्दीन, अब्दुल, तौसीफ और मुजफ्फर। बीते 5 मई की शाम काम के दौरान एक निर्माणाधीन मकान के धंसने से चारों की मौत हो गई। चारों मृतक एक ही खानदान से थे।
महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट के तहत जल्द ही किशनगंज के टेढ़ागाछ प्रखंड स्थित रतुआ नदी में तटबंध का निर्माण कार्य शुरू होना है। जहां तटबंध का निर्माण होना है उसके आस-पास एक बड़ी आबादी बसती है। पिछले दिनों यहाँ के लोगों को विभाग द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिस भेजा गया है जिससे ग्रामीण चिंतित हैं।
कटिहार जिले के गोगरा, ललगांव और पीरगंज गांव के लोग सालों से एक अधूरे पल के निर्माण की आस में बैठे हैं। नेताओं के खोखले वादों से तंग आकर ग्रामीणों ने पुल न बनने की सूरत में आने वाले लोकसभा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार करने की ठान ली है।
अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड के मधुरा उत्तर के सिंह टोला निवासी श्रीनारायण सिंह पिछले कई दशकों से चित्रकारी कर रहे हैं। श्री नारायण सिंह स्वतंत्रता सेनानी सह चित्रकार विश्वनाथ सिंह के पुत्र हैं।
बहादुरगंज का नेहरू कॉलेज 5 जून, 1965 को अस्तित्व में आया। यह कॉलेज किशनगंज ज़िले के मात्र दो सरकारी कॉलेजों में से एक है। मारवाड़ी कॉलेज किशनगंज शहर में है, वहीं नेहरू कॉलेज ग्रामीण क्षेत्र में है।
ग़रीब तबके से ताल्लुक रखने वाले ये परिवार राशन कार्ड न होने से परेशान हैं। गांव वासियों का कहना है कि करीब 2 साल पहले आवेदन पत्र देने के बाद अब तक उन्हें राशन कार्ड नहीं दिया गया है।
किशनगंज से होकर गुजरनेवाली नेशनल हाईवे 27 पर लोगों को जाम की समस्या से निजात दिलाने और सड़क हादसा रोकने के लिए लगभग तीन किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर का निर्माण किया गया है। यह फ्लाईओवर पिछले चार महीनों से बनकर तैयार है, लेकिन अब तक इसे इस्तेमाल के लिए नहीं खोला गया है।
कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस बात को एक बार फिर सही साबित किया है सहरसा के सौरबाजार प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बैजनाथपुर गांव के दिनेश कुमार यादव और उनके भतीजे शशि यादव ने।
जेपी आंदोलन में अब्दुल रहमान के साथ रहे वचन देव मोदी अपने मित्र रहमान के घर उनका हाल चाल पूछने आए हुए हैं। वह बताते हैं कि रहमान एक मिलनसार इंसान होने के साथ-साथ बेहतरीन कलाकार भी हैं।
नेपाल में भूस्खलन के चलते मलबे में दबने से किशनगंज के चार मज़दूरों की मौत हो गई। नेपाल के इलाम जिले के फिकर पहाड़ पर पत्थर खिसकने से यह दर्दनाक हादसा हुआ।
पश्चिम बंगाल और असम में चाय बागान के श्रमिकों को फिलहाल 232 रुपए दिहाड़ी की दर से मज़दूरी दी जाती है। त्रिपुरा और बिहार के किशनगंज को छोड़ दें तो यह देश में बाकी राज्यों के मुक़ाबले काफी कम है।
नियोजित शिक्षकों के बीपीएससी परीक्षा विरोध के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि नियोजित शिक्षक पंद्रह से बीस सालों तक बच्चों को पढ़ाते आ रहे है। उन विषयों में से सवाल पूछा जाएगा तो आपलोगों को तकलीफ क्या है, आप की नौकरी नहीं जायेगी।