इन दिनों एक मजदूर की दर्द भरी आवाज में पलायन के ऊपर गाए गए इस गाने को खूब पसंद किया जा रहा है। इसका वायरल वीडियो आपने किसी ना किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जरूर देखा होगा जिसमें यह मजदूर दो ट्रेनों के बीच खड़ा होकर इस गाने के माध्यम से अपना दुख व्यक्त कर रहा है।
ये नज़ारा है सहरसा जंक्शन पर खड़ी सहरसा - अमृतसर एक्सप्रेस के जेनरल डब्बे का। ट्रैन के किसी भी जनरल डब्बे में पैर रखने तक की जगह नहीं है। ट्रेन में भारी भीड़ होने से रोज़ी रोटी के लिए बिहार से बाहर जा रहे मज़दूरों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
क्या कभी आपने सोचा है कि जो लोग चाय पत्ती बनाते हैं उनको कितनी थकान हो जाती होगी। चाय बागान में हाथों से एक एक पत्ती तोड़ तोड़कर इकट्ठा करने में कितनी मेहनत लगती होगी, और फैक्ट्री में चाय पत्ती की प्रोसेसिंग करने वाले मजदूरों को कितना पसीना बहाना पड़ता होगा?
राजपाल मलिक का, जो अपने कटे-फटे और कंपकंपाते हाथों के साथ पंखे बना रहे हैं। और यह काम वह पिछले 10-15 सालों से करते आ रहे हैं।
संत बाबा कारू खिरहरी मंदिर की दानपेटियां पिछले 4 साल से बंद थी। यहां कुल 8 दान पेटियां हैं जो पिछले 4 सालों से खोली नहीं गई थीं।
कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड अंतर्गत जंगलाटार पंचायत में मौजूद गोगाबिल झील प्रवासी पक्षियों के लिए मशहूर है। इस झील पर कैस्पियन सागर और साइबेरियाई क्षेत्र से लगभग 300 प्रवासी पक्षी मानसून और सर्दियों के दौरान आते हैं।
किशनगंज एसडीपीओ गौतम कुमार ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई कर स्कूल वैन को रोका गया, तलाशी करने पर स्कूल वैन से लगभग तीन सौ पच्चास लीटर विदेशी शराब बरामद की गयी।
38 साल पहले इस सड़क के कुछ हिस्से में पत्थर डाले गये थे लेकिन तब से आज तक इसे पक्का नहीं किया गया और न ही कोई मरम्मत ही हुई। सड़क की हालत एकदम जर्जर हो चुकी है।
लगभग ज़मीन में धस चूका यह पुल किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड के कांटाबाड़ी में स्थित है। मंगुरा पंचायत में आने वाला यह जर्जर पुल आधा दर्जन गांवों के लोगों के लिए प्रखंड मुख्यालय तक पहुँचने का मुख्य मार्ग है।
भारत सरकार ने पूरे भारत में एक वेबसाइट लांच किया है। इस वेबसाइट के माध्यम से आप किसी भी खोये हुए मोबाइल को ब्लॉक कर सकते हैं।
दिघलबैंक ग्राम पंचायत अंतर्गत बैरबन्ना गांव के कई नौजवान मज़दूर नेपाल के इलाम ज़िले में लेबर-मिस्त्री का काम करते हैं। इन्हीं में से चार मजदूर थे अजीमुद्दीन, अब्दुल, तौसीफ और मुजफ्फर। बीते 5 मई की शाम काम के दौरान एक निर्माणाधीन मकान के धंसने से चारों की मौत हो गई। चारों मृतक एक ही खानदान से थे।
महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट के तहत जल्द ही किशनगंज के टेढ़ागाछ प्रखंड स्थित रतुआ नदी में तटबंध का निर्माण कार्य शुरू होना है। जहां तटबंध का निर्माण होना है उसके आस-पास एक बड़ी आबादी बसती है। पिछले दिनों यहाँ के लोगों को विभाग द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए नोटिस भेजा गया है जिससे ग्रामीण चिंतित हैं।