सड़क पर बैठे ये लोग भूख हड़ताल पर हैं। मामला सहरसा नगर निगम क्षेत्र के गंगजला इलाके का है जहां एक मिस्त्री ने इंजीनियर समेत ठेकेदार और मुंशी पर लाखों रुपये के गबन का आरोप लगाया है।
नियामत टोला वार्ड संख्या 15 के रहने वाले मोहम्मद कलाम का कहना है कि उन्होंने अपने मज़दूरों के साथ 11 लाख रुपये का काम किया था। इंजीनियर आशीष कुमार, ठेकेदार रंजन सिंह और मुंशी पंडित उर्फ़ संजीव कुमार ने उन्हें केवल 5 लाख रुपये दिये और बाकी पैसा देने से इनकार कर दिया और उनके शटरिंग का सामान किसी दूसरे आदमी को बेच दिया।
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कलाम ने आगे कहा कि उन्होंने पुलिस से लेकर कई प्रशासनिक अधिकारीयों से इसकी लिखित शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को भी उन्होंने आवेदन दिया लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया जिसके बाद वह आखिरी विकल्प के तौर पर परिवार सहित भूख हड़ताल पर बैठ गये।
कलाम का आरोप है कि थाना प्रभारी भी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं और उन्हें थाना आने से मना कर रहे हैं।
जिला पदाधिकारी को दिये आवेदन पत्र में कलाम ने लिखा कि ठेकेदार आशीष और मुंशी पंडित उर्फ़ संजीव ने समसपुर में एक स्कूल के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया है। स्कूल भवन में बिना छड़ के ही कुछ पिलरों की ढलाई की कर दी गई।
आवेदन में कलाम ने यह भी लिखा कि इंजीनियर आशीष कुमार उन्हें किसी जगह काम पर लगने नहीं देते हैं और अगर कहीं काम करते हैं, तो उनका पैसा रुकवा देते हैं।
बेटे के साथ अनशन पर बैठी कलाम की मां अनीसा खातून कहती हैं कि उनके बेटे ने ज़मीन बेचकर मज़दूरों का बकाया पैसा चुकाया। तीन साल से उनकी हालत बेहद खराब है और उनका परिवार दाने दाने का मोहताज हो चुका है।
मोहम्मद कलाम ने जिन लोगों पर पैसों के गबन का आरोप लगाया। उनमें से एक इंजीनियर आशीष कुमार से हमने बात की। आशीष कुमार ने कहा कि मोहम्मद कलाम ने जितने दिन उनके यहां काम किया था उन्हें उसका पैसा दिहाड़ी के रूप में दिया गया था। आशीष के अनुसार मोहम्मद कलाम के शटरिंग का कुछ सामान उनके पास है लेकिन उनके एक लाख अठारह हज़ार रुपये भी कलाम के पास बकाया है जो वह नहीं दे रहे हैं।
मामले में अन्य दो आरोपी ठेकदार रंजन सिंह और मुंशी पंडित उर्फ़ संजीव कुमार के नंबर पर हम ने कई बार कॉल किया, लेकिन कॉल का उत्तर नहीं मिला।
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