यह वीडियो है किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत पौआखाली नगर पंचायत के रहने वाले राजपाल मलिक का, जो अपने कटे-फटे और कंपकंपाते हाथों के साथ पंखे बना रहे हैं। और यह काम वह पिछले 10-15 सालों से करते आ रहे हैं। पंखा बनाने के लिए वे पहले बांस खरीदते हैं उसके बाद बांस को अलग-अलग तरीके से छीला जाता है, उसकी रंगाई की जाती है और फिर बड़ी बारीकी से हाथ से बांस की छिली हुई पत्तियों को आपस में पिरो कर एक पंखा बनाया जाता है। इतनी मेहनत करने के बाद एक पंखा कभी तो ₹30 में बिकता है, तो कभी 20 और कभी ₹15 में ही बेचना पड़ता है। लाइट और इनवर्टर की सुविधा होने के बाद से हाथ से झलने वाले पंखों की बिक्री भी कम हो गई है, इसीलिए इतनी मेहनत के बावजूद राजपाल मलिक और उनके परिवार को बहुत ही कम कमाई हो पाती है।
राजपाल मलिक बताते हैं कि उनके पास इसके अलावा रोजगार का और कोई साधन नहीं हैं। वह गर्मियों में हाथ से झलने वाले पंखे बनाते हैं। इसके अलावा वह झाड़ू और शादियों में इस्तेमाल होने वाली बांस की डलिया वगैरह भी बनाते हैं।
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राजपाल मलिक चाहते हैं कि उनकी आने वाली पीढ़ी से उनके बेटे या पोते इस काम को ना करें, बल्कि कोई और रोजगार करे ताकि जिंदगी थोड़ी बेहतर हो।
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