Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

कटिहार के कुर्सेला एस्टेट का इतिहास, जहां के जमींदार हवाई जहाज़ों पर सफर करते थे

पूर्णिया गज़ेटियर में कुर्सेला एस्टेट के हवाई जहाज़ों और रनवे का ज़िक्र मिलता है। 1968 में छपे गज़ेटियर के संस्करण में लिखा गया, “कुर्सेला गांव में लैंडिंग फील्ड है जहां से कुछ छोटे विमान उड़ाए जाते हैं। यह विमान कुर्सेला एस्टेट की निजी संपत्ति है जो लगातार उपयोग में है।”

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :

बिहार के कटिहार जिले में कभी कुर्सेला गांव हुआ करता था जो अब नगर पंचायत बन गया है। कुर्सेला, कटिहार के 16 प्रखंडों में से एक है। करीब डेढ़ सौ साल पहले कुर्सेला में ज़मींदारी की शुरुआत हुई और कुर्सेला गांव कुर्सेला एस्टेट बन गया। इसके संस्थापक राजा अयोध्या प्रसाद सिंह थे। कुर्सेला एस्टेट के बारे में कहा जाता है कि बैलगाड़ी के जमाने में वहां के जागीरदार हवाई जहाज़ में सफर किया करते थे।

समय के पहिये को पीछे कर इतिहास में झांकने ‘मैं मीडिया’ कुर्सेला एस्टेट पहुंचा। कुर्सेला एस्टेट की नई ड्योढ़ी में आज भी जमींदारी की अनेक निशानियां मौजूद हैं। नई ड्योढ़ी में एक शानदार हवेली है जहां आज भी अयोध्या सिंह के वंशज रहते हैं।

पुरानी ड्योढ़ी में हैं कुर्सेला स्टेट की शुरुआती दिनों की झलकियां

कुछ ही दूरी पर कुर्सेला एस्टेट की पुरानी ड्योढ़ी है जहां एस्टेट के यादगार के तौर पर एक मुख्य द्वार, पुराना राम मंदिर और एस्टेट के संस्थापक अयोध्या प्रसाद सिंह का स्मारक बना हुआ है। यह कुर्सेला नगर पंचायत के वार्ड संख्या 4 का हिस्सा है जिसे ठाकुरबाड़ी कहा जाता है।


पुरानी ड्योढ़ी करीब 6 एकड़ के प्रांगण में फैला हुई थी जहां कुर्सेला एस्टेट के संस्थापक राजा अयोध्या प्रसाद सिंह रहते थे। उनके एकलौते पुत्र राय बहादुर रघुवंश प्रसाद सिंह पुरानी ड्योढ़ी से नई ड्योढ़ी आकर बस गए थे। नई ड्योढ़ी आने के बाद उन्होंने कुर्सेला एस्टेट में काम करने वालों के लिए पुरानी ड्योढ़ी में घर बनवाए। वे लोग आज भी वहीं रहते हैं।

ayodhya singh memorial located in purani deodhi where his statue is kept
पुरानी ड्योढ़ी स्थित अयोध्या सिंह का स्मारक जहां उनकी प्रतिमा रखी गई है

इतिहासकार पी.सी. रॉय चौधरी ने 1968 में छपे ‘बिहार डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर पूर्णिया’ में लिखा कि कुर्सेला एस्टेट के संथापक के नाम पर कुर्सेला के सबसे बड़े मार्केट अयोध्या बाजार का नाम रखा गया था जहां बड़े स्तर पर पटुआ, तम्बाकू, मक्का, मछली, गेहूं और चावल की खरीदारी होती है।

कुर्सेला एस्टेट की हवेली के बारे में उन्होंने लिखा, “15 एकड़ में फैली कुर्सेला एस्टेट की हवेली में आकर्षक बगीचा और निजी बिजली व्यवस्था है। एस्टेट के जागीरदार अपनी मेहमाननवाज़ी के लिए मशहूर हैं।”

नई ड्योढ़ी में दिखी कुर्सेला एस्टेट की शान-ओ-शौकत

आज नई ड्योढ़ी में कुर्सेला एस्टेट के संस्थापक अयोध्या सिंह के परपोते पंकज सिंह का परिवार रहता है। रघुवंश के तीन बेटे थे अवधेश कुमार सिंह, अखिलेश कुमार सिंह और दिनेश कुमार सिंह। इनके परिवार के अधिकतर लोग बाहर जाकर बस गए। एस्टेट के कुछ वंशज विदेश चले गए जबकि कुछ ने देश के बड़े शहरों में अपना आशियाना बना लिया।

नई ड्योढ़ी में एक आलीशान हवेली मौजूद है जो 1950 में बनकर तैयार हुई थी। वहां पहुंचने पर हमारी मुलाक़ात कुर्सेला एस्टेट के संस्थापक राजा अयोध्या प्रसाद सिंह के वंशज अद्वैत सिंह से हुई। अद्वैत, अयोध्या प्रसाद सिंह की पांचवीं पुश्त हैं। उन्होंने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि 1881 में जोधन सिंह ने कुर्सेला एस्टेट की शुरुआत की थी। बाद में एक संत बाबा के कहने पर उन्होंने अपना नाम बदल कर अयोध्या सिंह रख लिया।

the luxurious mansion of the new porch of kursela estate was completed in 1950
कुर्सेला एस्टेट के नई ड्योढ़ी की आलीशान हवेली 1950 में बन कर तैयार हुई थी

अयोध्या प्रसाद सिंह पटना के पास रुपस से 1880 में कुर्सेला आए थे। वह रुपस में एक बड़े जमींदार घराने से ताल्लुक रखते थे। कहा जाता है कि कुर्सेला आकर वह 32,000 एकड़ जमीन का जागीरदार बने। अद्वैत सिंह की मानें तो अयोध्या प्रसाद सिंह, महाराणा प्रताप सिंह के वंशज थे। महाराणा प्रताप के दो भाइयों ने मुग़ल बादशाह अकबर के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किये थे जिसके एवज़ में उन्हें मुजफ्फरपुर और रुपस की जमींदारी मिली थी।

इस बारे में अद्वैत सिंह ने ‘मैं मीडिया’ को बताया, “भूपा सिंह के बेटे जोधन सिंह कुर्सेला आए और वह सबसे पहले 10,000 एकड़ जमीन अर्जित की। यहां एक बाबा हुआ करते थे, उन्होंने कहा कि आप अयोध्या का नाम ले लीजिए तो वह जोधन सिंह से अयोध्या प्रसाद सिंह हो गए। उनका एक बेटा था रघुवंश प्रसाद सिंह। एक ज़माने में एस्टेट की 30,000 से लेकर 50,000 एकड़ जमीन हो गई। उस समय वे अंग्रेज़ों को टैक्स देते थे।”

अद्वैत सिंह ने आगे बताया कि महात्मा गांधी, डॉ राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी कुर्सेला स्टेट आए थे। नई ड्योढ़ी में जब हवेली बनाई गई तो उसके साथ साथ कई और चीज़ों का निर्माण हुआ। हवेली के बाहर बैठने के लिए फूलों का बगीचा तैयार किया गया और एस्टेट के संस्थापक अयोध्या प्रसाद सिंह, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की मूर्तियां लगाई गईं।

statue of raja ayodhya prasad singh founder of kursela estate built in new deodhi
नई ड्योढ़ी में बनी कुर्सेला एस्टेट के संथापक राजा अयोध्या प्रसाद सिंह की प्रतिमा

हवेली के सामने करीब 100 मीटर की दूरी पर एक बैंड स्टैंड बनाया गया था जहां बैठकर संगीतकार म्यूजिकल यंत्र बजाया करते थे। बैंड स्टैंड के बिलकुल सामने कई पेड़ लगाए गए थे जो आज काफी विशाल हो चुके हैं। इनमें से कुछ अशोक के पेड़ हैं जिनके बारे में अद्वैत सिंह ने बताया कि हवेली के उद्घाटन के अवसर पर नोबल पुरस्कार से सम्मानित विश्व विख्यात साहित्यकार रबीन्द्रनाथ ठाकुर को न्यौता दिया गया था। वह आ तो नहीं सके थे लेकिन उन्होंने भेंट के तौर पर शांतिनिकेतन से अशोक के पेड़ भेजे थे।

रघुवंश प्रसाद सिंह: कुर्सेला एस्टेट का सबसे प्रसिद्ध जमींदार

अयोध्या प्रसाद सिंह के बाद उनके पुत्र रघुवंश प्रसाद सिंह कुर्सेला एस्टेट के दूसरे जमींदार बने। उनके दौर में कुर्सेला एस्टेट चरम पर था। उन्हें अंग्रेज़ों द्वारा ‘राजा बहादुर’ की उपाधि दी गई थी लेकिन उन्होने अपने नाम के आगे राजा नहीं लगाया।

इस पर अद्वैत सिंह ने ‘मैं मीडिया’ से बताया, “रघुवंश प्रसाद सिंह को राजा बहादुर का टाइटल मिला हुआ था लेकिन उन्होंने उसे नहीं स्वीकारा। वह कहते थे कि मैं राजा नहीं हूँ न ही राजा जैसा काम करता हूँ। राजा का काम है कि उसके क्षेत्र में हर इंसान सुखी रहे। हममें वो क्षमता नहीं है कि हम हर व्यक्ति को सुखी रख पाएं।”

रघुवंश को ‘दानवीर राय बहादुर’ क्यों कहा जाने लगा

रघुवंश प्रसाद सिंह को दानवीर जमींदार के तौर पर याद किया जाता है। इंडियन राजपूत्स डॉट कॉम नामक वेबसाइट पर अभिनय राठौड़ ने कुर्सेला एस्टेट के जागीरदारों की वंशावली लिखी है। उसमें उन्होंने लिखा कि रघुवंश प्रसाद सिंह ने राजा बहादुर की जगह खुद को राय बहादुर कहलाना पसंद किया। वह कुर्सेला एस्टेट के दानवीर जमींदार के तौर पर जाने गए।

अभिनय राठौड़ ने आगे लिखा कि विनोबा भावे के भूदान आंदोलन के दौरान राय बहादुर रघुवंश प्रसाद सिंह ने 4,000 एकड़ जमीन दान में दी थी। रघुवंश कांग्रेस से जुड़े थे, उन्होंने पार्टी को जमीन दान दी जिसमें कांग्रेस दफ्तर गोकुल आश्रम शामिल है।

raghuvansh prasad singh of kursela state became famous as rai bahadur danveer
कुर्सेला स्टेट के रघुवंश प्रसाद सिंह ‘राय बहादुर दानवीर’ के नाम से मशहूर हुए

अद्वैत सिंह ने बताया कि पूर्णिया का कला भवन और एसबीआई मुख्यालय के लिए भी जमीन रघुवंश प्रसाद सिंह ने दी थी। कला भवन में रघुवंश प्रसाद सिंह की मूर्ति भी लगाई गई है। कुर्सेला का पहला डाक घर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना का श्रेय उन्हें ही जाता है।

कुर्सेला के अयोध्या प्रसाद हाईस्कूल को राय बहादुर नाम से मशहूर रघुवंश प्रसाद सिंह ने ही बनवाया था। इस स्कूल का नाम उन्होंने अपने पिता अयोध्या प्रसाद सिंह के नाम पर रखा था। कुर्सेला का अयोध्या बाजार इलाके का सबसे बड़ा व्यावसायिक क्षेत्र है। बाजार के लिए जमीन कुर्सेला एस्टेट ने ही दी थी। कुर्सेला हाट भी एस्टेट की जमीन पर ही लगाया जाता है।

रघुवंश प्रसाद सिंह ने बीसवीं सदी में कुर्सेला एस्टेट का काफी विस्तार किया और बिहार से बंगाल तक एस्टेट की जागीरदारी को फैलाया। कुर्सेला और आसपास के गांव के लोग उन्हें ‘दानवीर राय बहादुर’ कहा करते थे। राय बहादुर उनकी उपाधि थी जबकि दानवीर उन्हें सामाजिक और दान कार्यों के लिए कहा गया। एक कहानी मशहूर है कि एक बार रघुवंश प्रसाद सिंह ने ट्रेन रोक कर सभी यात्रियों को खाना खिलवाया था।

Also Read Story

मलबों में गुम होता किशनगंज के धबेली एस्टेट का इतिहास

किशनगंज व पूर्णिया के सांसद रहे अंबेडकर के ‘मित्र’ मोहम्मद ताहिर की कहानी

पूर्णिया के मोहम्मदिया एस्टेट का इतिहास, जिसने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाई

पूर्णिया: 1864 में बने एम.एम हुसैन स्कूल की पुरानी इमारत ढाहने का आदेश, स्थानीय लोग निराश

कर्पूरी ठाकुर: सीएम बने, अंग्रेजी हटाया, आरक्षण लाया, फिर अप्रासंगिक हो गये

हलीमुद्दीन अहमद की कहानी: किशनगंज का गुमनाम सांसद व अररिया का ‘गांधी’

बनैली राज: पूर्णिया के आलिशान राजमहल का इतिहास जहाँ आज भी रहता है शाही परिवार

अररिया के लाल सुब्रत रॉय ने बनाया अद्भुत साम्राज्य, फिर हुई अरबों रुपये की गड़बड़ी

उत्तर प्रदेश और बंगाल के ज़मींदारों ने कैसे बसाया कटिहार का रसूलपुर एस्टेट?

कुर्सेला में शिक्षा और कला के विकास में एस्टेट का योगदान

रघुवंश प्रसाद के पर पोते अद्वैत सिंह के अनुसार रघुवंश प्रसाद सिंह हमेशा से महिला सशक्तीकरण के बड़े पक्षधर रहे। वह चाहते थे कि महिलाओं को भी समान अधिकार मिले। शिक्षा के क्षेत्र में वह महिलाओं की भागेदारी चाहते थे इसके लिए उन्होंने कुर्सेला में सम्पत राज देवी कन्या उच्च विद्यालय बनवाया। इसके अलावा उन्हें कला से भी खास लगाव था। पूर्णिया का कला भवन उसकी एक मिसाल है।

रघुवंश प्रसाद सिंह के तीन बेटे थे। उनमें से एक अवधेश कुमार सिंह का रुझान कला की तरफ था। वह चित्रकार थे और इस कला ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। पी.सी. रॉय चौधरी 1968 में छपे पूर्णिया गज़ेटियर में कुर्सेला एस्टेट के अवधेश कुमार की प्रदर्शनी कला के बारे में लिखते हैं, “कुर्सेला के पास एक युवा कलाकार था। रघुवंश प्रसाद सिंह के बेटे सांसद अवधेश कुमार के चित्रों को दिल्ली में प्रदर्शित किया गया था, तब देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णनन भी उस प्रदर्शनी में शामिल हुए थे।”

जवाहरलाल नेहरू ने संसद भवन में लगवाई थी कुर्सेला एस्टेट की पेंटिंग

अवधेश कुमार सिंह के बारे में उनके छोटे भाई अखिलेश कुमार सिंह के पोते अद्वैत सिंह ने कहा, “वह चित्रकला में निपुण थे। उनके पिता जवाहरलाल नेहरू के काफी करीब थे। नेहरू जी अवधेश सिंह के प्रदर्शनी में आया करते थे। उनकी कई पेंटिंग नेहरू जी ने संसद बिल्डिंग में लगवाई थी। आप पुराने वाले संसद भवन जाइएगा तो वहां उनकी पेंटिंग आपको दिखाई देगी।”

पूर्णिया गज़ेटियर में पी.सी. रॉय चौधरी ने कुर्सेला के ‘गांधी घर’ और ‘धनरक्षणी डिस्पेंसरी’ के बारे में लिखा, “कुर्सेला में हायर सेकेंडरी स्कूल, धनरक्षणी औषधालय, तीन पुस्तकालय और ‘गांधी घर’ नामक ग्रामीण इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने के लिए बनाया गया एक सेंटर है।”

रघुवंश प्रसाद सिंह के वंशज अद्वैत सिंह ने बताया कि ‘धनरक्षणी औषधालय’ धनरक्षणी सार्वजनिक ट्रस्ट के अंदर आता था। यह संस्था शिक्षा, स्वास्थ और कला के क्षेत्र में काम करने के लिए बनाई गई थी। उन्होंने कहा, “पूर्णिया का कला भवन, पूर्णिया यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक मुख्यालय, कुर्सेला का सम्पत राज देवी गर्ल्स हाईस्कूल, अयोध्या प्रसाद हाई स्कूल और धनरक्षणी औषधालय, ये सब धनरक्षणी सार्वजनिक ट्रस्ट में आया। धनरक्षणी राय बहादुर रघुवंश प्रसाद की मां का नाम था।”

कुर्सेला एस्टेट नई ड्योढ़ी के प्रांगण में स्मारक के तौर पर महात्मा गांधी की एक मूर्ति लगाई गई है। अद्वैत सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी के निधन के बाद, जहां जहां उत्तरवाहिनी गंगा बहती थी वहां वहां उनकी अस्थियां बहाई गयी थीं। इसी क्रम में कुर्सेला के बटेसर स्थान में भी उनकी अस्थियां बहाई गई थीं। उन्होंने आशंका जताई कि ‘गांधी घर’ उनके मृत्यु के बाद उनकी याद में बनाई गई होगी।

वर्षों से राजनीति में सक्रिय है कुर्सेला एस्टेट

कुर्सेला एस्टेट का शाही परिवार दशकों से राजनीति से जुड़ा हुआ है। रघुवंश प्रसाद सिंह गांधी विचारों से काफी प्रेरित थे और नेहरू परिवार से उनके पुराने संबंध थे। कुर्सेला एस्टेट का परिवार हमेशा से कांग्रेस से जुड़ा रहा है।

रघुवंश प्रसाद सिंह के छोटे पुत्र दिनेश कुमार सिंह कांग्रेस विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रहे। वह 1980 में रुपौली विधानसभा सीट से विधायक बने और 1985 में एक बार फिर इस सीट में उन्हें जीत मिली। वह 10 साल तक रुपौली के विधायक रहे और कुर्सेला एस्टेट के सबसे सफलतम राजनेता रहे।

दिनेश के बड़े भाई अवधेश कुमार सिंह 1957 में कांग्रेस के टिकट पर कटिहार के पहले लोकसभा सांसद बने। इस चुनाव में उन्हें 54,006 वोटों से जीत मिली। इस बड़ी जीत के कुछ ही महीनों के अंदर 32 वर्षीय अवधेश कुमार सिंह का निधन हो गया। इसके बाद कांग्रेस के भोला नाथ विश्वास कटिहार के अगले सांसद बने।

रघुवंश सिंह के मंझले बेटे अखिलेश कुमार सिंह कुर्सेला के मुखिया रहे। अखिलेश के पोता अद्वैत सिंह ने कहा कि उनके दादा जब तक जीवित रहे कुर्सेला पंचायत के निर्विरोध मुखिया रहे। अखिलेश के बेटे पंकज सिंह की पत्नी संयोगिता सिंह सन 2000 में कुर्सेला से जिला परिषद् सदस्य बनीं।

उसके बाद उन्होंने 2005 में बरारी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। वर्तमान में संयोगिता सिंह बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस से जुड़ी हैं। वहीं, उनके पुत्र अद्वैत सिंह कांग्रेस वार रूम के प्रभाग प्रमुख हैं।

कैसे हुआ करता था हवाई जहाज़ों वाला कुर्सेला एस्टेट

कुर्सेला एस्टेट अपने जहाज़ों के लिए काफी मशहूर है। कुछ दशकों पहले तक एस्टेट का अपना रनवे हुआ करता था जो अब खेत में तब्दील हो चुका है।

पूर्णिया गज़ेटियर में भी कुर्सेला एस्टेट के हवाई जहाज़ों और रनवे का ज़िक्र मिलता है। 1968 में छपे गज़ेटियर के संस्करण में लिखा गया, “कुर्सेला गांव में लैंडिंग फील्ड है जहां से कुछ छोटे विमान उड़ाए जाते हैं। यह विमान कुर्सेला एस्टेट की निजी संपत्ति है जो लगातार उपयोग में है।”

कुर्सेला एस्टेट की नई ड्योढ़ी से थोड़ी ही दूर विमानों के लिए रनवे बनाया गया था। अद्वैत सिंह ने बताया कि रघुवंश प्रसाद निजी हवाई विमान खरीदने वाले तीसरे भारतीय थे। भारतीयों में सबसे पहले पटियाला के महाराज भूपिंदर सिंह ने 1910 में निजी हवाई विमान खरीदा था।

अद्वैत सिंह के अनुसार कुर्सेला एस्टेट के पास कुल 8 हवाई जहाज़ थे। एस्टेट की जमीनें काफी दूर-दराज के इलाकों में फैली हुई थी जहां आने जाने में काफी समय लग जाता था। रघुवंश प्रसाद सिंह अपने पिता के एकलौते बेटे थे। उन्हें ही सारी जमीनों को देखने के लिए जाना पड़ता था इसीलिए उन्होंने विमान खरीदने का फैसला किया। कटिहार और आसपास आने वाले राजनेता कुर्सेला हवाई पट्टी का उपयोग किया करते थे। रघुवंश प्रसाद के तीनो बेटे लाइसेंस प्राप्त पायलट थे।

1940 से 1950 के बीच उन्होंने इंग्लैंड से कई विमान मंगवाए थे उनमें से एक विमान कुर्सेला बाज़ार से थोड़ी दूरी पर बने एक पुराने हैंगर में जर्जर हालत में पड़ा है। विमान का अधिकतर हिस्सा टूट चुका है और उसके काफी पुर्ज़े चोरी हो चुके हैं।

इस पर अद्वैत सिंह ने कहा, “जब सीलिंग (एक्ट) लागू हुआ तो हमें कहा गया कि आप हवाई जहाज़ तो रख सकते हैं लेकिन हवाई पट्टी निजी नहीं हो सकती है। सरकार ने कहा हम इसका अधिग्रहण करेंगे। उस समय लालू यादव बोले कि हम यहां चरवाहा विद्यालय बनाएंगे। रातों रात उस जमीन को जोता गया। रनवे रहा नहीं तो हवाई जहाज़ कैसे उड़ता और देखते देखते ये सब जर्जर हो गया।”

कुर्सेला एस्टेट के वंशज ने इन विमानों को बचाकर क्यों नहीं रखा, इस सवाल पर अद्वैत ने कहा कि उन विमानों में कुर्सेला एस्टेट के कई लोगों के हिस्से थे इस लिए उसको किसी एक जगह पर सुरक्षित नहीं किया जा सका और समय के साथ विमान व हैंगर जर्जर हो गए।

“कुर्सेला एस्टेट की धरोहर उसकी परंपरा है”

कुर्सेला में गंगा और कोसी नदी का संगम होता है। यहां दूर दूर से श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। करीब डेढ़ सौ वर्ष पुराने इस एस्टेट के इतिहास के तौर पर अभी भी कई निशानियां बाकी हैं। पुरानी परंपरा के तौर पर कुर्सेला एस्टेट में हर वर्ष दुर्गा पूजा में बड़ा महोत्सव होता है। नई ड्योढ़ी में दुर्गा पूजा महोत्सव के दौरान बकरी बलि की परंपरा है। पुरानी ड्योढ़ी के राम मंदिर में रामनवमी पर श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ उमड़ती है।

कुछ वर्षों बाद कुर्सेला बाज़ार के पास एक पुराने हैंगर में रखे विमान के अवशेष ख़त्म हो जाएंगे। हवाई जहाज़ों के लिए मशहूर कुर्सेला एस्टेट के इतिहास को एस्टेट संस्थापक के वंशज कैसे संजोते हैं यह समय ही बताएगा। स्टेट संस्थापक अयोध्या प्रसाद सिंह के वंशज अद्वैत सिंह ने एस्टेट की विरासत के बारे में कहा, “हमारी धरोहर जमीनें नहीं है। हमारे पूर्वजों ने जो लोगों के साथ अपना रिश्ता बनाया और जो यहां विकास और समानता की परंपरा कायम की, वही हमारी धरोहर है। हमें इसको बचाना है और आगे लेकर चलना है।”

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

Related News

भोला पासवान शास्त्री: बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तीन बार बैठने वाला पूर्णिया का लाल

134 वर्ष पुराने अररिया उच्च विद्यालय का क्या है इतिहास

रामलाल मंडल: कैसे बापू का चहेता बना अररिया का यह स्वतंत्रता सेनानी

पनासी एस्टेट: समय के चक्र में खो गया इन भव्य इमारतों का इतिहास

सुपौल: आध्यात्मिक व पर्यटन स्थल के रूप में पहचान के लिए संघर्ष कर रहा परसरमा गांव

Bihar Diwas 2023: हिन्दू-मुस्लिम एकता और बेहतरीन पत्रकारिता के बल पर बना था बिहार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?