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सुपौल: आध्यात्मिक व पर्यटन स्थल के रूप में पहचान के लिए संघर्ष कर रहा परसरमा गांव

Bihar Diwas 2023: हिन्दू-मुस्लिम एकता और बेहतरीन पत्रकारिता के बल पर बना था बिहार

क्या है इस ऑस्कर विजेता अभिनेत्री का किशनगंज कनेक्शन?

Virasat की अन्य ख़बरें

जर्जर हो चुकी है किशनगंज की ऐतिहासिक बज़्म ए अदब उर्दू लाइब्रेरी

किशनगंज नगर क्षेत्र के चूड़ीपट्टी स्थित बज़्म ए अदब उर्दू लाइब्रेरी, जिले के सबसे पुरानी सार्वजनिक पुस्तकालयों में से एक है। इस पुस्तकालय की नींव स्वतंत्रता से भी पहले रखी गई थी।

कौमी एकता का प्रतीक है बाबा मलंग शाह की मजार

अररिया के फारबिसगंज में केसरी टोला स्थित बाबा मलंग शाह का मजार मुस्लिम हिन्दू समुदाय की एकता का प्रतीक है। इस मजार पर सभी धर्म के लोग माथा टेकने आते हैं।

अलता एस्टेट: सूफ़ी शिक्षण केंद्र और धार्मिक सद्भाव का मिसाल हुआ करता था किशनगंज का यह एस्टेट

मुज़फ्फर कमाल सबा के अनुसार, 1790 में अलता एस्टेट की प्राचीन मस्जिद की बुनियाद रखी गई थी, जो 1800 के दशक में मस्जिद की शक्ल में तैयार हुई।

‘मिनी पंजाब’ लगता है अररिया का यह गांव

फारबिसगंज अनुमंडल की हलहलिया पंचायत के इस गांव का नाम भी लोगों ने सरदार टोला रख दिया है। दरअसल, इस गांव में अभी 300 के करीब सिख धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं।

सुभाष चंद्र बोस जयंती विशेष: दार्जिलिंग की पहाड़ियों में नेता जी ने बनाई थी ‘द ग्रेट एस्केप’ की योजना!

ब्रिटिश हुकूमत से भारत की आजादी के लिए नेता जी की जर्मनी से मदद की चाहत व गतिविधियों को अंग्रेज सरकार भी भांप गई थी, इसलिए उन्हें आए दिन गिरफ्तार किया जाता था।

सुपौल: क्यों कम हो रहा पिपरा के खाजा का क्रेज

आजादी से पहले पिपरा में खाजा बनाने की शुरुआत की गई थी। स्वर्गीय गौनी शाह ने यहां खाजा के कारोबार की शुरुआत की थी।

जॉर्ज एवरेस्ट की पहल पर 1854 में बना मानिकपुर टीला उपेक्षा का शिकार

फारबिसगंज अनुमंडल अंतर्गत मानिकपुर स्थित ऐतिहासिक बुर्ज आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। देखरेख और रख-रखाव के अभाव में अब ये बुर्ज जर्जर होने लगा है।

वफ़ा मालिकपुरी: वह शायर जो वैश्विक उर्दू साहित्य में था सीमांचल का ध्वजधारक

वफ़ा मालिकपुरी का जन्म 1922 में दरभंगा जिला के मालिकपुरी नामक गांव में हुआ। कहा जाता है कि उन्होंने महज़ 13 साल की उम्र से शायरी शुरू कर दी थी।

अररिया: 200 साल पुराना काली मंदिर क्यों है विख्यात

अररिया का प्राचीन मां खड़गेश्वरी काली मंदिर जिले में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान रखता है। इसकी वजह यह है कि इस काली मंदिर को सबसे ऊंचा होने का गौरव प्राप्त है।

क्या इतिहास के पन्नो में सिमट कर रह जाएगा किशनगंज का ऐतिहासिक खगड़ा मेला?

खगड़ा मेले की शुरुआत सन 1883 में की गई थी। उस समय के खगड़ा एस्टेट के नवाब सैय्यद अता हुसैन खान ने इस मेले को शुरू किया था।

सहरसा का बाबा कारू खिरहर संग्रहालय उदासीनता का शिकार

बिहार के सहरसा में रक्त काली मंदिर स्थित बाबा कारू खिरहर संग्रहालय का बुरा हाल है। इस संग्रहालय में जितनी भी मूर्तियां रखी हुई थीं, सभी जमींदोज होती जा रही हैं।

आजादी से पहले बना पुस्तकालय खंडहर में तब्दील, सरकार अनजान

सरस्वती पुस्तकालय देश की आजादी से भी पहले बना था और किसी जमाने में यह पुस्तकालय आसपास के जिलों का शिक्षा व कला के साथ सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों का भी केंद्र हुआ करता था।

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