गुलाम देश में अंग्रेजों ने 1889 ईसवी में एचई स्कूल की स्थापना की थी। एचई का अर्थ है हायर इंग्लिश स्कूल। इस नाम को बहुत कम ही लोग जानते हैं कि क्यों ऐसा नाम अंग्रेजों ने रखा था। लेकिन, 134 वर्ष के बाद भी लोग इसे एचई स्कूल ही कहते हैं। जबकि अभी बोर्ड पर लिखा है अररिया उच्च विद्यालय।
अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड स्थित नवाबगंज पंचायत के एक छोटे से गांव भोड़हर के रहने वाले रामलाल मंडल अररिया के चंद सबसे प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। सन् 1883 में जन्मे रामलाल मंडल करीब 104 वर्षों तक जीवित रहे।
किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड स्थित पनासी एस्टेट का इतिहास करीब 2 सदी पुराना है। पनासी के ज़मींदार सैकड़ों एकड़ में फैले एस्टेट की जागीरदारी संभालते थे।
18वीं शताब्दी में तत्कालीन भागलपुर जिला और वर्तमान सुपौल जिला के परसरमा गांव में बाबा जी का जन्म पंडित बच्चा झा के पुत्र के रूप में हुआ था।
12 दिसंबर 1911 को ब्रिटेन के राजा जॉर्ज वी ने दिल्ली दरबार में बिहार-ओड़िसा को 'लेफ्टिनेंट-गवर्नर इन कॉउंसिल' के तहत नए राज्य का दर्जा देने का एलान कर दिया।
जुलाई 2018 में ऑस्कर विजेता अभिनेत्री ओलिविया कोलमन भारत आईं थीं और किशनगंज का दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने बीबीसी के एक डाक्यूमेंट्री 'हु डु यू थिंक यू आर' के लिए शूटिंग की थी।
किशनगंज नगर क्षेत्र के चूड़ीपट्टी स्थित बज़्म ए अदब उर्दू लाइब्रेरी, जिले के सबसे पुरानी सार्वजनिक पुस्तकालयों में से एक है। इस पुस्तकालय की नींव स्वतंत्रता से भी पहले रखी गई थी।
अररिया के फारबिसगंज में केसरी टोला स्थित बाबा मलंग शाह का मजार मुस्लिम हिन्दू समुदाय की एकता का प्रतीक है। इस मजार पर सभी धर्म के लोग माथा टेकने आते हैं।
मुज़फ्फर कमाल सबा के अनुसार, 1790 में अलता एस्टेट की प्राचीन मस्जिद की बुनियाद रखी गई थी, जो 1800 के दशक में मस्जिद की शक्ल में तैयार हुई।
फारबिसगंज अनुमंडल की हलहलिया पंचायत के इस गांव का नाम भी लोगों ने सरदार टोला रख दिया है। दरअसल, इस गांव में अभी 300 के करीब सिख धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं।
ब्रिटिश हुकूमत से भारत की आजादी के लिए नेता जी की जर्मनी से मदद की चाहत व गतिविधियों को अंग्रेज सरकार भी भांप गई थी, इसलिए उन्हें आए दिन गिरफ्तार किया जाता था।
आजादी से पहले पिपरा में खाजा बनाने की शुरुआत की गई थी। स्वर्गीय गौनी शाह ने यहां खाजा के कारोबार की शुरुआत की थी।