“बाबाजी परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाई को मिथिला क्षेत्र में लोग भगवान की तरह पूजते है। मिथिला क्षेत्र के अलावा दिल्ली, रांची और जमशेदपुर में बाबाजी की कुटी स्थित है। लगभग सभी जगह बाबाजी की कुटी को एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। लेकिन परसरमा गांव में बाबाजी की कुटी आज भी उपेक्षित है, जो बाबाजी का जन्मस्थली है। गांव के जनप्रतिनिधि की मदद से ग्रामीणों ने बाबाजी कुटी को आध्यात्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग को प्रस्ताव भेज दिया है। जिला प्रशासन के द्वारा भी पहल की गई है। उम्मीद है कि हमारा गांव भी एक पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा,” परसरमा गांव के ग्रामीण नयन झा बताते है।
एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म में बाबा जी का किरदार निभाने वाले संजीव झा सुपौल के स्थानीय निवासी है। वह बताते हैं, “18वीं शताब्दी में तत्कालीन भागलपुर जिला और वर्तमान सुपौल जिला के परसरमा गांव में बाबा जी का जन्म पंडित बच्चा झा के पुत्र के रूप में हुआ था। बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई संस्कृत, मैथिली, नेपाली, अंगिका और बज्जिका भाषा के प्रकांड विद्वान थे।”
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“वह वेद शास्त्र के अलावा ज्योतिष शास्त्र के भी ज्ञाता थे। उन्होंने अपने विवाहित जीवन को त्याग कर कई क्षेत्रों में साधना और धार्मिक स्थलों की यात्रा की। इस वजह से बाबा जी की कुटी कई जगहों पर मिल जाती है। दरभंगा और मधुबनी जिले में भी बाबाजी की कई कुटी है। परसरमा गांव के ही बगल में बनगांव गांव में भी बाबा जी ने साधना की। आज बनगांव गांव की पहचान बाबाजी की कुटी है। लेकिन, दुर्भाग्य है कि बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई के पैतृक गांव में ही बाबाजी कुटी धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पा रहा है।”
बाबाजी के नाम पर 19 बीघा जमीन
बाबाजी जिस वक्त बनगांव में रहते थे, उस वक्त मुंगेर जिला स्थित शकरपुरा स्टेट के राजा को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था। संतान प्राप्ति के बाद राजा ने बनगांव में बाबाजी की कुटी के लिए काफी जमीन दान में दी थी।
इसके बाद बाबाजी कुटी का निर्माण हुआ। आज बनगांव में बाबाजी कुटी बहुत ही खूबसूरत बनाई गई है। स्थानीय लोग पर्यटन और धार्मिक वजहों से वहां जाते है।
“आपको आश्चर्य होगा कि बनगांव की तुलना में परसरमा में बाबाजी के नाम पर तीन-चार गुना अधिक जमीन है। पहले बाबाजी कुटी के नाम पर 22 बीघा जमीन थी। इसमें से कुछ जमीन सरकार ने ले ली,” मंदिर के स्थानीय पुजारी दिनेश झा बताते है।
“अभी भी बाबाजी कुटी के नाम पर 19 बीघा जमीन है, जो एक ही जगह है। इस जमीन पर सरकारी स्कूल भी खुला है। इस जमीन पर कहीं आम लगा हुआ है, तो कहीं गेहूं और चावल की खेती हो रही है। गांव के आम जनमानस के लिए जमीन का उपयोग किया जाता है,” दिनेश झा ने कहा।
ग्रामीणों के मुताबिक पर्यटन स्थल बनाने के लिये 8-9 बीघा जमीन चाहिए, जबकि बाबाजी कुटी के नाम पर 18-19 बीघा जमीन है।

जिला प्रशासन की मदद से स्थानीय लोगों के द्वारा बाबाजी जन्मभूमि में विकास कार्य के लिए चिह्नित भूमि का पूरा ब्यौरा देते हुए पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए विस्तृत रिपोर्ट पर्यटन विभाग को प्रस्ताव के रूप में भेजा गया है।
क्या पर्यटन स्थल के रूप में उभर पाएगा?
बाबा जी की कुटी में पुजारी दिनेश झा के अलावा एक और व्यक्ति रहते हैं। वह बताते हैं, “मिथिलांचल के बहुसंख्यक लोगों में बाबाजी के प्रति अपार श्रद्धा है। उनकी कुटी को गोसाईं कुटी के नाम से जाना जाता है। उनकी समाधि में जाने के इतने दिन बाद आज भी उन्हें भोग लगाया जाता है और रात में सोने के लिए बिछावन लगाया जाता है।”
उन्होंने कहा, “कुटी में बाबाजी के चिमटा व छड़ी के अलावा उनके खड़ाऊ के अवशेष आज भी सुरक्षित हैं। वर्तमान कुटी से पश्चिमी भाग में बाबाजी की असली कुटी थी। साल 1934 के भूकंप में पुरानी कुटी ध्वस्त हो गई थी। उस कुटी का अवशेष आज भी जमीन के नीचे दबा हुआ है।”

गांव के दो-तीन युवक नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं,,”इस पंचायत में ब्राह्मण और राजपूत जाति बहुसंख्यक हैं। तेजस्वी यादव अभी पर्यटन मंत्री है। हमें तो डर है कि सवर्ण बहुसंख्यक इलाका होने की वजह से हमारे प्रस्ताव पर कोई विचार भी ना हो। हालांकि, तेजस्वी यादव की नई राजनीति सभी जातियों को एकत्रित करना है। देखिए क्या होता है।”
गांव के 27 वर्षीय राहुल कुमार बताते हैं, “सुपौल क्षेत्र पर्यटन की दृष्टिकोण से बहुत पिछड़ा है। खास कर यह इलाका। कोसी बराज और गणपतगंज मंदिर को छोड़ दिया जाए, तो कहीं भी आप परिवार के साथ घूमने नहीं जा सकते हैं। बाबाजी कीकुटी के पास पर्याप्त जमीन है। साथ ही बहुसंख्यक लोगों का जुड़ाव है। परसरमा गांव भौगोलिक दृष्टिकोण से भी बहुत समृद्ध है। प्रशासन अगर मदद करे, तो यह एक पर्यटन स्थल के रूप में उभर सकता है।”
जनप्रतिनिधि और अधिकारी ने क्या कहा
गांव के मुखिया रिंकु शेखावत बताते हैं, “उपेक्षित पड़ी जन्मभूमि को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में हम लोग पुरजोर तरीके से लगे हुए हैं। इससे हमारी पंचायत की अर्थव्यवस्था का विकास होगा। इससे रोजगार के नए अवसर भी बढ़ेंगे।”
स्थानीय विधायक और राज्य के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने मीडिया को कहा कि बाबाजी लक्ष्मीनाथ गोसाई की जन्मभूमि में पर्यटकीय सुविधाओं का विकास बड़ी बात होगी।
लक्ष्मीनाथ गोसाई जन्मभूमि परसरमा के मुख्य संरक्षक भगवान मिश्र बाबाजी के वंशज है। वह बताते हैं, ” हम चाहते हैं कि बनगांव और अन्य जगहों की भांति परसरमा में बाबाजी की कुटी भी लोगों के लिए पर्यटन और धार्मिक स्थल के रूप में उभरे।”
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