किशनगंज के टेढ़ागाछ प्रखंड की झुनकी मुसहरा पंचायत स्थित धप्परटोला गाँव हर बरसात में रतुआ नदी का कहर झेलता है। गाँव की हालत इतनी खराब है कि लोग पलायन कर गांव से जाने पर मजबूर हैं। जो लोग रह गए हैं, वो अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
धप्परटोला गांव वार्ड संख्या 1 के निवासी 75 वर्षीय अमीज़ुद्दीन बताते हैं कि पिछली बार आई बाढ़ में 8 -10 घर कटाव की भेंट चढ़ गए। अमीज़ुद्दीन के बेटे पंजाब में मज़दूरी करते हैं, तो उनका घर चलता है। वह कहते हैं कि इस बार कटाव रोधी कार्य न हुआ, तो उनका परिवार भी बेघर हो जाएगा।
महसेरी के परिवार का घर एक साल पहले नदी में विलीन हो गया। इसी सदमे में उनकी सांस का निधन, ससुर की हालत दयनीय है, आँगन में जो भी आता है उसे अपने ज़मीन के बारे में बताने लगते हैं। घर काट जाने के बाद परिवार ने गाँव के स्कूल में शरण ली थी। अब घर के मर्द बाहर कमाने गए, तो अपनी खुची ज़मीन पर परिवार ने थे तो कच्चा मकान बनाया है, जिसकी लिपाई-पुताई अभी बाकी है। इस नए ठिकाने और नदी के बीच भी बस एक सड़क है।
ग्राम पंचायत सदस्य हाबेरा खातुन के बेटे नशीद आलम ने बताया कि इस बार भी 5-6 घर नदी कटाव की ज़द में आ गए। हर बार बांस का कटाव विरोध बनाया जाता है लेकिन हर बार वह कटाव रोकने में फेल हो जाता है।
स्थानीय शौकत आलम की 10 बीघा ज़मीन नदी में समा चुकी है। उन्होंने बताया कि धप्परटोला गांव के ज़्यादातर लोग ज़मींदार थे, लेकिन नदी ने धीरे धीरे बहुत से लोगों की ज़मीन निगल ली है।
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इस पूरे मामले पर बहादुरगंज के विधायक मोहम्मद अंज़ार नईमी का कहना है कि रतुआ नदी के कटाव से प्रभावित कई परिवारों को 5-5 डिसमिल ज़मीन दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दिनों पटना से एक टीम प्रभावित इलाकों का सर्वे कर गयी है और उनका प्रयास है कि जल्द कटाव रोधी कार्य की शुरुआत हो सके।
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