सिलीगुड़ी: पूर्वोत्तर भारत का प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी शहर ट्रांजिट प्वाइंट के रूप में ही ज्यादा जाना जाता है। मतलब, देश-दुनिया से सैलानी यहां आते हैं और फिर तुरंत ही गाड़ी पकड़ कर आगे दार्जिलिंग, सिक्किम व पूर्वोत्तर राज्यों की हसीन वादियों की सैर को बढ़ जाते हैं।
वे यहां जरा भी नहीं ठहरते। मगर, अब इस शहर से एक ऐसा नया आयाम जुड़ गया है जो बरबस ही देश-दुनिया के सैलानियों के कदम अपनी जमीन पर भी रोक लेता है। वह नया आयाम है ‘नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क’ उर्फ ‘बंगाल सफारी’।
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यहां न सिर्फ मन को लुभाते मनोरम, घने जंगल व वन्यजीव दिलों को छू जाते हैं। यहां हर दम, राॅयल बंगाल टाइगर विभान, शीला, कीका, रीका, शेरा, शिवा, तेजल, तारा, तेंदुए सौरव, शीतल, सिम्बा, काजल, हिमालयी भालू ध्रुवा व फूर्बू और हजारों खूबसूरत हिरणों के झुंड, हाथी, गैंडा, गौर, सांभर, बंदर, बिल्ली, मगरमच्छ, घड़ियाल, मोर, कोयल व बेशुमार पंछी अपने पूरे वजूद और अपनी पूरी कायनात के साथ आपके स्वागत में पलकें बिछाए बैठे हैं।

सबसे खास बात यह है कि ये सारे जानवर वहां आजाद घूमते हैं और उन्हें देखने गए इंसान पिंजड़े व खांचानुमा शीशाबंद गाड़ियों में बैठे कैद रह कर या हाथी पर सवार होकर जंगल की सैर करते हुए उनका दीदार करते हैं।
इसके साथ ही सफारी से इतर आम पार्क के भ्रमण के लिए टॉय ट्रेन की भी व्यवस्था है। यह बात सिर्फ देखने और दिखाने तक ही महदूद नहीं है बल्कि जो कोई चाहे उनमें से किसी भी प्यारे से जानवर को चुन कर गोद भी ले सकता है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी हाल ही में वहां एक राॅयल बंगाल टाइगर को साल भर के लिए गोद लिया है। उन्होंने उस प्यारे से बाघ का नाम अपनी ओर से ‘अग्निवीर’ रखा है।
वहीं, भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान अर्जुन पुरस्कार विजेता, पद्मश्री बाइचुंग भुटिया ने भी बंगाल सफारी के एकमात्र एक सींग वाले गैंडे को साल भर के लिए गोद लिया है। ऐसे और भी कई आम व खास नाम हैं जिन्होंने वहां कई जानवरों को गोद ले रखा है।
सिलीगुड़ी शहर से थोड़ी दूर सेवक रोड के पांच माइल इलाके में विशाल बैकुंठपुर वन क्षेत्र अंतर्गत महानंदा वन्य अभ्यारण्य में विकसित किया गया यह नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क उर्फ ‘बंगाल सफारी’ अब छह साल का हो चुका है। कुल 297 एकड़ वन क्षेत्र में फैला यह ‘बंगाल सफारी’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में ही विकसित हुआ।
उन्होंने ही 22 जनवरी 2017 को इसका उद्घाटन कर इसे देश-दुनिया के लोगों को समर्पित किया था। उसके बाद से इसने फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा बल्कि निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर है। बंगाल सफारी में न सिर्फ वनस्पति की विविधताएं हैं बल्कि जैव विविधता भी भरपूर है। यही वजह है कि पूरे पश्चिम बंगाल और पड़ोसी राज्य बिहार व सिक्किम समेत पूर्वोत्तर के राज्य एवं देश के अन्य हिस्सों के साथ ही साथ विदेशों से भी लोग यहां जैव विविधता का अध्ययन करने आते हैं।

एक ओर जहां इससे वन संरक्षण को संबल मिला है वहीं रॉयल बंगाल टाइगर की प्रजाति के विकास के साथ ही साथ अन्य जीव-जंतुओं के संरक्षण को भी काफी फायदा पहुंचा है। यही वजह है कि यह न सिर्फ सैर-सपाटे व मनोरंजन का केंद्र है बल्कि शोध व अध्ययन का भी केंद्र होता जा रहा है।
इस विशाल फॉरेस्ट पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुआ, हिमालयी भालू, गैंडा, हाथी, जंगली सूअर, बंदर, गौर, सांभर, तरह-तरह के हिरण, जंगली बिल्ली, मगरमच्छ, घड़ियाल, जंगली मुर्गा-मुर्गी व एक से एक पहाड़ी और जंगली पक्षियों की चहल-पहल का आनंद उठाया जा सकता है। एकमात्र सोमवार को छोड़ कर हर दिन सुबह से शाम तक यह खुला रहता है जहां हजारों-हजार सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ी रहती है।
कैसे लें बंगाल सफारी का मजा
नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क की आधिकारिक वेबसाइट www.northbengalwildanimalspark.in के जरिये ऑनलाईन या फिर सीधे वहां पहुंचकर टिकट काउंटर से ऑफलाइन टिकट लिया जा सकता है। इस पार्क में ‘मिक्सड हर्वीवोर सफारी’, ‘टाइगर सफारी’, ‘एशियाटिक ब्लैक बीयर सफारी’, ‘ल्योपर्ड सफारी’, ‘एलिफेंट सफारी’ आदि उपलब्ध हैं। यहां से एक से बढ़कर एक वनस्पति व आयुर्वेदिक उत्पादों की सस्ती खरीदारी का भी लाभ उठाया जा सकता है।
मिक्सड हर्वीवोर सफारी
इस मिश्रित शाकाहारी सफारी में चित्तीदार हिरण, भौंकने वाले हिरण, सांभर, हॉग हिरण, दलदली हिरण, एक सींग वाले गैंडे, मयूर, लाल जंगली मुर्गी, काली आइबिज, किंगफिशर, पन्ना, कबूतर, ड्रोंगो, हॉर्नबिल और अन्य पक्षियों के दीदार किए जा सकते हैं। कुल 91 हेक्टेयर भू-भाग में फैले इस शाकाहारी सफारी की सैर में 20-30 मिनट का समय लगता है।
टाइगर सफारी
इस सफारी में फिलहाल रॉयल बंगाल टाइगर जोड़ी विभान व शीला और उनके 11 शावकों में से जीवित बचे नौ शावक, यानी कुल मिलाकर 11 रॉयल बंगाल टाइगर हैं। पहले, यहां एक रॉयल बंगाल टाइगर स्नेहाशीष भी हुआ करता था जो कि मादा शीला के साथ ही नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क, उड़ीसा से यहां लाया गया था। मगर, चूंकी स्नेहाशीष की उम्र ज्यादा थी तो स्नेहाशीष को कोलकाता के अलीपुर जूलॉजिकल पार्क भेज दिया गया। उसकी जगह यहां शीला के लिए टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क (जमशेदपुर-झारखंड) से जवान टाइगर ‘विभान’ लाया गया।

शीला ने पहले वर्ष एक साथ तीन शावकों को जन्म दिया। उन शासकों का नाम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इका, कीका व रीका रखा था जिसमें इका की मौत हो चुकी है।
उसके बाद 12 अगस्त 2020 को शीला ने एक साथ और तीन शावकों को जन्म दिया। उनका नामकरण अभी तक नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी भेजी गई है। उनकी ओर से नाम आते ही नामकरण कर दिया जाएगा। वे तीनों शावक फिलहाल बंगाल सफारी प्रबंधन द्वारा दिए गए नामों टी1, टी2 व टी3 के नाम से जाने जाते हैं।
इधर, इसी वर्ष 2022 के मार्च महीने में शीला ने फिर एक साथ पांच शावकों को जन्म दिया। हालांकि, उसमें एक की कुछ दिन बाद ही मौत हो गई। मगर, बाकी चार अभी पूरी तरह स्वस्थ हैं।
बंगाल सफारी प्रबंधन की ओर से चंद दिनों पहले ही उनका नामकरण भी किया गया है। दो नर का नाम शेरा व शिवा और दो मादा का नाम तेजल व तारा रखा गया है। इन रॉयल बंगाल टाइगरों का दीदार करने हेतु 20 हेक्टेयर में फैले इस टाइगर सफारी की सैर में 15 से 20 मिनट का समय लगता है।
एशियाटिक ब्लैक बीयर सफारी
इस सफारी में पद्मजा नायडू जूलॉजिकल पार्क, दार्जिलिंग से लाए गए दो एशियाई काले भालू हैं। इन हिमालयी काले भालू में नर ध्रुबा और मादा जेनिफर हैं। इस सफारी का क्षेत्रफल भी 20 हेक्टेयर है और इसके भ्रमण में 15-20 मिनट का समय लगता है।
ल्योपर्ड सफारी
इस सफारी में एक नर तेंदुआ सौरव और दो मादा तेंदुआ शीतल व काजल पर्यटकों को अपने दीदार का अलग ही रोमांच देते हैं। यह सफारी भी 20 हेक्टेयर भू-भाग में फैला हुआ है जिसकी सैर में 15-20 मिनट का समय लगता है।

इन सफारियों के अलावा ‘एवियरी ट्रेल पार्क’ में पैदल भ्रमण कर लाल जंगली मुर्गी, मोर, सफेद मोर, विभिन्न मिश्रित उड़ने वाले पक्षियों एवं विभिन्न विदेशी पक्षियों का दीदार किया जा सकता है।
वहीं, बिल्लियों का भी एक पार्क है जहां जंगली बिल्ली, ताड़ी बिल्ली, मछली पकड़ने वाली बिल्ली आदि और घड़ियाल व मगरमच्छों के तालाब में घड़ियाल और मगरमच्छों का भी लोग आनंद उठा सकते हैं।
वन्यजीवों को ले सकते हैं गोद
पर्यावरण संरक्षण व जैव विविधता संरक्षण के लिए मानव व पशु प्रेम बहुत ही आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल्स पार्क (बंगाल सफारी) ने ‘एडॉप्शन प्रोग्राम’ (दत्तक ग्रहण कार्यक्रम) शुरू किया है। बंगाल सफारी की निदेशक एसएस शेर्पा बताती हैं कि जानवरों को गोद लेने की इस योजना को लोग हाथों हाथ ले रहे हैं।
अब तक अनेक लोग पशु पक्षियों को यहां गोद ले चुके हैं। इस योजना के तहत ऑनलाइन या ऑफलाइन रूप में बंगाल सफारी प्रबंधन के समक्ष आवेदन कर देश-दुनिया का कोई भी इच्छुक व्यक्ति वहां के किसी भी पशु पक्षी को महीने, दो महीने, तीन महीने, छह महीने या साल, दो साल या जितनी लंबी अवधि के लिए चाहे गोद ले सकता है।
उसके लिए उसे कुछ शुल्क अदा करना होगा। उस शुल्क की राशि से बंगाल सफारी प्रबंधन उस जानवर का पालन-पोषण करेगा। जिस पशु-पक्षी को जो व्यक्ति जितनी अवधि के लिए गोद लेगा वह पशु-पक्षी उतनी अवधि के लिए उसी व्यक्ति के नाम से संबद्ध कर दिया जाएगा।
गोद लेने की योजना के तहत सर्वाधिक सालाना शुल्क 2,00,000 रुपये रॉयल बंगाल टाइगर व हाथी को गोद लेने के लिए है। जबकि, इनको गोद लेने का मासिक शुल्क मात्र 20,000 रुपये ही है। वहीं, तेंदुआ और गैंडा को गोद लेने का सालाना शुल्क 1,00,000 रुपये और मासिक शुल्क 10,000 रुपये है। भालू व जंगली बिल्ली/तेंदुआ बिल्ली को गोद लेने का सालाना शुल्क 30,000 रुपये और मासिक शुल्क 3,000 रुपये है।

मगरमच्छ और घड़ियाल को गोद लेने का सालाना शुल्क 15,000 और मासिक शुल्क 1500 रुपये है। इसी तरह अन्य पशु-पक्षियों को गोद लेने के लिए अलग-अलग अवधि हेतु शुल्क अलग-अलग है। यहां पशु-पक्षियों को गोद लेने वालों को फोटो पहचान प्रमाण के साथ आधिकारिक गोद लेने का प्रमाण पत्र और सदस्यता कार्ड प्रदान किया जाता है।
गोद लिए गए जानवरों के बाड़ों के सामने एक साइनेज में गोद लेने वाले के नाम व संस्था के नाम प्रकाशित किए जाते हैं। उन्हें चिड़ियाघर में मुफ्त प्रवेश की सुविधा दी जाती है। यह दत्तक ग्रहण सदस्यता शुल्क आयकर अधिनियम, 1961 के 80 जी के तहत आयकर से मुक्त है। बंगाल सफारी की इस योजना का लाभ कोई भी उठा सकता है।
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