15 जून 2005 को संसद में सूचना का अधिकार बिल यानी राईट टू इन्फॉर्मेशन एक्ट पास किया गया। इस अधिनयम के तहत देश का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी संस्थान से जुड़ी जानकारी मांग सकता है। इस लॉ को भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनता का सबसे मज़बूत हथियार के तौर पर देखा जाता रहा है।
कटिहार ज़िले के गामिटोला निवासी 78 वर्षीय जगदीश प्रसाद शाह जिले के सबसे पुराने आरटीआई कार्यकर्ताओं में से एक हैं। जगदीश बताते हैं कि उन्होंने 2007 से अब तक 10,000 से अधिक आरटीआई आवेदन दिया है जिसमें उन्होंने पांच हज़ार से अधिक आरटीआई केवल रेल विभाग के विरुद्ध लगाए हैं।
उन्होंने रेलवे में भ्रष्टाचार, रेल यात्रियों की सुविधा में बढ़ोतरी और यात्रियों की सुरक्षा जैसे मामलों को उजागर किया।
3 दशक से भी लंबे समय के लिए कटिहार की केहूनिया पंचायत के मुखिया रह चुके जगदीश का कहना है कि भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध लंबे समय से लड़ने के कारण उनको कई बार डराया धमकाया गया और केस मुकदमा भी किया गया लेकिन वह आज भी आरटीआई कार्यकर्त्ता के रूप में सक्रिय हैं।
78 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता जगदीश बताते हैं कि उन्होंने सिविल क्षेत्रों में भी आरटीआई लगाई है जिसमें सीडीपीओ, डीपीओ , शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण से जुड़े मामले शामिल हैं। इसी वर्ष उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी करने वाली आंगनबाड़ी सेविका और सहायक के मामले को भी आरटीआई के माध्यम से उजागर किया है।
उनके अनुसार कटिहार ज़िले में आज भी 70-80 मामले ऐसे हैं जहां कर्मचारी जाली सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे हैं। जगदीश कहते हैं कि सबूतों के साथ शिकायत दर्ज करने के बावजूद ऊंचे पद पर बैठ अधिकारी निचले स्तर पर काम करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने से बचते नज़र आते हैं।
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