दुर्गापूजा को लेकर पूर्णिया शहर के कई पंडालों व मंदिरों में नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गा-पूजा के ये पंडाल पूर्णिया में लोगों को कर रहे आकर्षितसे ही पट खुलने के साथ लोगों की भीड़ उमड़ रही है। दुर्गा-पूजा के आयोजन को लेकर मंदिर से जुड़ी कमेटी ने पंडालों की सज्जा से लोगों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है।
पूर्णिया मुख्यालय के तीन किलोमीटर की परिधि में करीब डेढ़ दर्जन से अधक मंदिरों में माता दुर्गा की पूजा कलश स्थापना के बाद मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ विधिवत की जा रही है।
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भट्ठा दुर्गाबाड़ी, रजनी चौक पर बना पंडाल, सिपाही टोला के शक्तिनगर में दुर्गा मंदिर में बना पंडाल, मरंगा का माता-स्थान मंदिर, पूर्णिया कारागार, पंचमुखी मंदिर से दक्षिण की ओर चंद कदमों की दूरी पर स्थित मंदिर, कटिहार मोड़ के पास रिवेरा हाईट्स और रामबाग में बने पंडाल हर उम्र के भक्तों को अपनी ओर लुभा रहे हैं।
इस बार के दुर्गा-पूजा उत्सव को कुछ मंदिर कमेटी ने आस्था के साथ-साथ पूर्णिया की जरूरतों से भी जोड़ने की कोशिश की है। पूर्णिया में हवाई अड्डे का निर्माण दूर की कौड़ी साबित होती दिख रही है। इसलिए पूर्णिया मुख्यालय के कुछ पंडालों में पूर्णियावासियों की हवाई अड्डे की बहुप्रतीक्षित माँग को बैनर के रूप में जगह दी गयी है।
पूर्णिया एयरपोर्ट की मांग
रिवेरा हाइट्स में बने पंडाल को इस्कॉन मंदिर की तर्ज़ पर बनाया गया है। थर्मोकॉल से बने पंडाल पर भगवान कृष्ण की जीवन-यात्रा के विभिन्न पड़ावों को उकेरा गया है। भक्तों की भीड़ को सही तरीके से नियंत्रित करने के लिए पंडाल में दो द्वार बनाये गये हैं जिसमें से एक प्रवेश और दूसरा निकासी के लिए है।
इस्कॉन मंदिर की तर्ज़ पर बने पंडाल के किनारे मंदिर कमेटी ने शारदीय नवरात्र के अलग-अलग दिनों में किशोरियों और महिलाओं के लिए तरह-तरह की प्रतियोगिता का आयोजन किया है। इसमें सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के साथ दिलचस्प खेलों को जगह दी गयी जिसमें विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं ने हिस्सा लिया।
एयरपोर्ट4पूर्णिया के बैनर को अपने पंडाल के समीप जगह देकर मंदिर कमिटी ने पूर्णियावासियों के सरोकार से खुद को जुड़ा दिखाने की कोशिश की है। रिवेरा हाइट्स के परिसर में ही आगंतुकों के लिए म्युजिक शो का आयोजन किया गया है जहाँ एक ओर मधुबनी पेंटिंग आधारित सामानों की खरीद-बिक्री के लिए करीब आधा दर्जन स्टॉल लगाए गये हैं और लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
इंडिया गेट का स्वरूप
पंचमुखी मंदिर से दक्षिण चंद कदमों की दूरी पर अवस्थित मंदिर में देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित की गयी है। पंचमुखी मंदिर के पास बने दुर्गा-पूजा पंडाल की भव्यता उसकी सजावट, उसकी लाइटिंग से है। इस पंडाल की सजावट अलग-अलग उम्र के लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। यहाँ आने वाले लोग देवी दुर्गा की मूर्ति के साथ सेल्फी लेते दिख जाते हैं।
पूर्णिया समाहरणालय से थोड़ी ही दूर मरंगा के रास्ते में अवस्थित माता-स्थान मंदिर को भी शारदीय नवरात्र के अवसर पर सजाया गया है। यह पंडाल सोमनाथ अवस्थित भगवान शिव के मंदिर की तर्ज़ पर बनाया गया है। इस पंडाल की सजावट का मुख्य आकर्षण इस पर उकेरी गयी विभिन्न कलाकृतियाँ हैं। इसके पंडाल के शीर्ष को भगवान शिव की प्रतिकृति के साथ लाल ध्वज से सजाया गया है। डॉलर हाउस चौक से दक्षिण न्यू सिपाही टोला अवस्थित यह मंदिर चौराहे के किनारे अवस्थित है।
रामबाग में दुर्गा-पूजा के अवसर पर सत्यसारथी माँ दुर्गा-पूजा समिति ने पंडाल को इंडिया गेट का स्वरूप देने की कोशिश की है। पंडाल के निर्माण में ईंटों की प्रतिकृति झलकती है। दुर्गा-पूजा के निमित्त बने इस पंडाल के ऊपर देवनागरी लिपि में भारत उकेरा गया है जब कि पंडाल का सबसे ऊपरी हिस्सा का आकार गोल है जिस पर भारत का ध्वज झलकता है। व्यस्ततम सड़क मार्ग के किनारे बने इस पंडाल में भक्तों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए पुलिस बल की व्यवस्था की गयी है।
ओडिशी नृत्य शैली
भट्ठा दुर्गाबाड़ी में हर साल की तरह इस बार भी दुर्गा-पूजा धूमधाम से मनायी जा रही है। यहाँ बने पंडाल पश्चिम बंगाल के प्राचीन मंदिर की तर्ज़ पर बने हैं। यहाँ शारदीय नवरात्र की षष्ठी को मंदिर का पट खुला।
यहाँ होने वाली देवी दुर्गा की पूजा में बंगाल के रस्मों की प्रधानता रहती है। पूर्णिया के मधुबनी में होने वाली दुर्गा-पूजा और भट्ठा दुर्गाबाड़ी की दुर्गा-पूजा नामचीन है। भट्ठा दुर्गाबाड़ी में दुर्गा-पूजा के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की परम्परा रही है।
इस बार यहाँ आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ओडिशी नृत्य शैली के प्राचीन रूप और समय के साथ उसके विकास का नृत्य के माध्यम से प्रदर्शन किया गया। इसकी प्रस्तुति पश्चिम बंगाल से आने वाले कलाकारों ने दी जिनमें अर्चिता चक्रवर्ती, अद्रीजा मुखर्जी, अहेली मुखर्जी आदि ने हिस्सा लिया।
पूर्णिया में दुर्गा-पूजा के अवसर पर माहौल भक्तिमय है। महिला व पुरूष भक्तों के द्वारा सुबह-शाम मंदिर में पूजा की जा रही है। शारदीय नवरात्र के अंतिम या नौवें दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप सिदद्धिदात्री की पूजा की जाती है। अष्टमी की तरह नौवें दिन भी कन्या-भोजन की परम्परा है जहाँ छोटी-छोटी कन्याओं को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दी जाती है।
नवमी को मंदिरों में बलि प्रदान करने की भी परम्परा है जिसमें चूनापुर गोआसी का माता स्थान मंदिर, सिपाही टोला पूर्णिया के दुर्गा मंदिर प्रमुख हैं जहाँ देवी को बलि प्रदान की जाती है।
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