थाने के बरामदे में कुछ पुलिसकर्मी बैठे जरूरी कागजात तलाश रहे हैं। पड़ोस के घर से तत्काल एक टेबल मांग कर लाया गया है और टेंट हाउस वाले से बैठने के लिए कुर्सियां मंगवाई गई हैं।
थाने के अंदर सामान चारों तरफ बिखरे पड़े हैं। टेबल और कुर्सियां एक दूसरे के ऊपर टूटे-फूटे गिरे हैं। एक भी टेबल और कुर्सी में पाया लगा हुआ नहीं है। एक इलेक्ट्रिशियन टूटे-फूटे तारों को आपस में जोड़कर पंखा और बल्ब लगाने की कोशिश कर रहा है। थाने की पेट्रोलिंग जीप को तहस-नहस कर दिया गया है। थाने के सारे कंप्यूटर, सीसीटीवी कैमरे, कागजात और सारे जरूरी सामान जमीन पर इधर-उधर बिखरे पड़े हैं, मानो यहां से तूफान गुजरा हो।
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यह तस्वीर कटिहार जिले के प्राणपुर थाना परिसर की है, जहां 1 दिन पहले काफी बड़ा बवाल हुआ था।
दरअसल, पुलिस कस्टडी में एक कथित शराब तस्कर प्रमोद सिंह की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने थाने को निशाना बनाया और थाने के पुलिसकर्मियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। उग्र भीड़ को देखते हुए और परिस्थिति को समझते हुए आसपास के थानों में सूचना दी गई और सभी पुलिसकर्मी फायरिंग कर भीड़ को तितर-बितर करते हुए जान बचाकर भाग निकले।
लेकिन, तब तक देर हो चुकी थी कई पुलिसकर्मी पिट चुके थे। घटना की जानकारी मिलते ही तत्काल डंडखोड़ा थाना प्रभारी दल बल के साथ प्राणपुर थाने की तरफ बढ़ ही रहे थे की भीड़ ने उन्हें घेर लिया और जमकर पीटा।
मृतक प्रमोद सिंह एक झोलाछाप डॉक्टर थे और गांव में इलाज करते थे। अपने घर में वह इकलौता पढ़ा लिखा व्यक्ति थे। हर दिन की तरह प्रमोद सिंह 16 सितंबर की सुबह 10 बजे घर से निकले लेकिन शाम होने तक घर नहीं पहुंचे। घरवालों को लगा कि आज गांव में विश्वकर्मा पूजा का मेला लगा है, इसलिए लेट से आएंगे।
लेकिन, दूसरे दिन पता चलता है कि उसे पुलिस ने शराब तस्करी के आरोप में पकड़ लिया था और अब मृत हालत में अस्पताल लाया गया है।
पुलिस कस्टडी में मौत की खबर सुनते ही गांव वाले भड़क गए और प्राणपुर थाने जाकर जवाब मांगने लगे, जिसके बाद मामला बढ़ गया और झड़प हुई।
पुलिस पर हत्या का आरोप
मृतक प्रमोद सिंह के पिता सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने पुलिस पर हत्या करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि प्रमोद सिंह के साथ गौतम सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था, जो पास के गांव का है। “लेकिन, पुलिस ने प्रमोद सिंह की इतनी पिटाई की कि वह मर गया। उसकी पीठ पर निशान साफ तौर पर मैंने देखा,” सुरेंद्र ने बताया।
उनके मर जाने के बाद आरोप है कि पुलिस ने गौतम सिंह को भगा दिया, जो अभी फरार है। गौतम सिंह इस मौत का चश्मदीद गवाह है, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल रहा है।
वहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में मृतक के पिता का कहना है, “हमें न तो पुलिस पर भरोसा है और ना ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भरोसा है। मेरा बेटा पूरी तरह से स्वस्थ था, कोई बीमारी नहीं थी। अस्पताल में पोस्टमार्टम से पहले बीमार लिखी हुई रिपोर्ट पर साइन करने के लिए बोल रहा था लेकिन हमने नहीं किया।”
“पुलिस ने 4-5 लाख रुपए मुआवजा देने की भी बात कही थी लेकिन मेरे बेटे की मौत की कीमत इतनी सस्ती नहीं है कि 4-5 लाख रुपए से हो जाए,” उन्होंने कहा।
बेटे-बेटी की पढ़ाई और भविष्य की चिंता
मृतक प्रमोद सिंह की पत्नी शेफाली देवी को अब अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है। वह बताती हैं कि प्रमोद सिंह अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर अफसर बनाना चाहता था, क्योंकि उसके घर में कोई ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है।
प्रमोद के दो बच्चे हैं। बेटा आकाश 13 साल का है जो पास के ही सरकारी स्कूल में आठवीं में पढ़ता है और बेटी कृष्णा कुमारी 10 साल की है, जो पांचवीं में पढ़ती है।
बेटे आकाश को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि उनके साथ क्या हो गया। अचानक से उसके शरीर पर सफेद कपड़ा पहना दिया जाता है। घर पर नेताओं और पत्रकारों का जमघट लग जाता है। कोई गोद में बैठा कर फोटो खिंचवाता है, तो कोई सांत्वना देता है। लेकिन, वह समझ नहीं पा रहा है कि उसे न्याय कौन और कैसे दिला पाएगा।
थाने में पिस्टल दिखाने का लगाया आरोप
मृतक की पत्नी और उनके पिता ने मैं मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रमोद सिंह की मृत्यु की खबर होने के बाद जब ग्रामीण शव देखने के लिए थाने पहुंचे, तो उन्हें घुसने नहीं दिया गया। पुलिस द्वारा पिस्टल निकाल कर ग्रामीणों की तरफ दिखाते हुए कहा गया कि जो भी थाने के अंदर घुसने की कोशिश करेगा, उसे गोली मार दी जाएगी।
यह बात सुनते ही ग्रामीण काफी आक्रोशित हो गए और पुलिस पर हमला कर दिया।
आगे मृतक के पिता ने बताया कि कुछ दिन पहले पुलिस की वजह से लाभा पुल में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। उससे पहले भी पुलिस की वजह से और दो व्यक्ति की मौत हुई थी। जिसका गुस्सा ग्रामीणों में पहले से था। इस थाना क्षेत्र में यह चौथा मामला है इसलिए यह झड़प हुई। लेकिन, पुलिस पर हमला करने वालों में से ज्यादातर लोग बाहर के गांव से थे।
पुलिस ने प्रमोद सिंह पर गुस्सा निकाला?
मृतक के भाई मनोज कुमार सिंह कहते हैं, “उसके भाई पर पुलिस ने गुस्सा निकाला है। प्रमोद सिंह को प्राणपुर थाने के छोटा बाबू रोहित कुमार ने मारा है क्योंकि कुछ दिनों पहले कुछ शराब तस्करों द्वारा रोहित कुमार को जमकर पीटा गया था। कई जगह पर जख्म के निशान थे, जिसका गुस्सा उन्होंने मेरे भाई पर निकाला। उन्होंने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। शरीर पर चोट के गहरे निशान थे, पीठ में निशान थे।”
“लेकिन हमें पता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह सब नहीं आएगा। रिपोर्ट को बदल दिया होगा। अगर थाने के सीसीटीवी कैमरे की जांच की जाए तो पता चल जाएगा,” उन्होंने कहा।
आगे मनोज कुमार सिंह ने कहा कि थाने में तोड़फोड़ करने के आरोप में पुलिस ने ऐसे लोगों के भी नाम शामिल कर लिए हैं, जो काफी उम्रदराज हैं। “हमारे पिताजी और मेरा नाम भी शामिल कर लिया है क्योंकि हम लोगों ने पोस्टमार्टम के लिए साइन करने से मना कर दिया था और मुआवजे के पैसे के मामले को भी आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था। हमलोग पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं करते हैं। हम सीबीआई या सीआईडी जांच की मांग करते हैं,” मनोज ने कहा।
गौरतलब हो कि कुछ ही दिनों पहले प्राणपुर थाना अंतर्गत लाभा पुल चेकिंग पॉइंट के पास रोशना ओपी पुलिस के चेकिंग अभियान के दौरान पुलिस के डर से एक शराब तस्कर नदी में कूद गया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी।
ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने भागने पर गोली मारने की बात कही थी इसलिए डर से कूद गया था।
प्रमोद की हत्या सरकार को बदनाम करने की साजिश- महबूब आलम
कटिहार के बलरामपुर विधायक महबूब आलम ने पुलिस को इस हत्या का जिम्मेदार बताते हुए कहा कि प्रमोद की हत्या सरकार को बदनाम करने की एक साजिश है।
उन्होंने कहा कि सरकार बदली है, लेकिन पुलिस का रवैया नहीं बदला है। प्राणपुर थाना क्षेत्र में 10 दिनो के अंदर पुलिस की वजह से दो लोगों की मौत हो गई।
विधायक ने कटिहार एसपी से प्राणपुर थाना अध्यक्ष मानुतोष कुमार और रोशना ओपी अध्यक्ष राजेश कुमार को निलंबित कर दोनों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है।
विधायक महबूब आलम ने ग्रामीणों को बताया कि इस घटना की जानकारी सीएम हाउस को दे दी गई है और दोनों पुलिस पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए वह मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे।
उन्होंने पीड़ित परिवार को दस दस लाख मुआवजा देने की भी मांग सरकार से की है।
एसपी ने भाजपा महिला विधायक से कहा – ज्ञान मत दीजिए
प्राणपुर से भाजपा विधायक निशा सिंह ने बताया कि जब उन्होंने एसपी को फोन लगाया तो एसपी ने कहा कि वह छुट्टी पर हैं। “मैंने कहा कि फिर भी आपसे बात करनी है। मेरे क्षेत्र में लगातार ये दूसरी घटना है जब पुलिस की हिरासत में मौत हुई है। आपको कार्रवाई करना है तो करिये, मौत क्यों हो रही है। इसके बाद एसपी ने कहा कि मुझे ज्ञान मत दीजिए,” विधायक ने बताया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और कहा कि सरकार पीड़ित परिजनों को पचास लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे और पूरे मामले की न्यायसंगत तरीके से जांच की जाए। अन्यथा बीजेपी इंसाफ के लिए मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाएगी।
पुलिस ने क्या कहा
घटना के दिन एएसआई सतीश कुमार प्राणपुर थाने में ही थे। उन्होंने मैं मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रमोद सिंह को शराब तस्करी के आरोप में पकड़ा गया था और इससे पहले भी वह दो बार जेल जा चुका था।
वर्तमान में प्राणपुर थाना प्रभारी अमजद अली को बनाया गया है। उनका कहना है कि एक दिन पहले ही हम यहां पहुंचे हैं और मामले को देख रहे हैं।
“लेकिन थाने की हालत आप लोग देख सकते हैं पड़ोस के घर वाले से टेबल मंगा कर और टेंट हाउस वाले से कुर्सी मंगा कर बैठे हैं। कोई भी चीज सही सलामत नहीं है, सारे कागजातों को ढूंढ कर समेटा जा रहा है,” उन्होंने कहा।
पुलिस पर लगे आरोपों का खंडन करते हुए अमजद अली ने कहा कि उग्र भीड़ ने सीसीटीवी को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है। जैसे ही फुटेज रिकवर कर लिया जाता है दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और उसके हिसाब से आगे जांच की जाएगी।
उन्होंने कहा कि परिवार अभी गहरे सदमे में है, इसलिए पुलिस पर कुछ भी आरोप लगा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सब कुछ साफ हो जाएगा कि मौत की वजह क्या थी।
थाना में तोड़फोड़ करने के बारे में जब पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि तोड़फोड़ करने वालों पर यूडी कांड दर्ज कर जांच की जा रही है। जांच में जो निर्दोष पाया जाएगा उन्हें बरी कर दिया जाएगा और दोषी पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रमोद सिंह के साथ गिरफ्तार गौतम सिंह को पुलिस द्वारा हिरासत से भगाने के आरोप पर अमजद अली ने कहा कि ऐसा नहीं है। भीड़ द्वारा थाने पर हमला करने के बाद ताला तोड़कर गौतम सिंह को निकाल लिया था और हिरासत से निकलने के बाद उसने भी भीड़ के साथ मिलकर उपद्रव मचाया।
आखिर में एसआई सतीश कुमार कहते हैं कि पुलिस भी इंसान है, लेकिन उस के पक्ष में बोलने वाला कोई नेता नहीं होता है और न ही जनता हमारे दर्द को समझती है। इतने पुलिस वाले की पिटाई लगी और इतने सारे जख्मी हैं लेकिन हालचाल जानने कोई नहीं आया। “डंडखोड़ा थाना प्रभारी के माथे में ऐसे टांके लगे हैं, जैसे कपड़ों में लगते हैं, उसके बारे में कौन बोलेगा। पुलिस बनने से पहले हम लोग भी तो इंसान हैं” उन्होंने कहा।
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Sub ko maro janta ka sosan krne bethe he ye log .helmet nahi lagaye.chalan katte he ye log hamari jindagi ki chinta he inko.hamare biwi bache bhuke he kya hm v chalan kate.desh ke hr mor hr chorahe pe mera kahna he.na me koi neta na koi abhineta.bs me ye chata hu hr gaw he mohalle ke hr ghar se 1 aadmi.hr gali hr chorahe me khara ho or har sarkari aadmi ka chalan karo desh sudher jaega agar meri post galer ho to mafi.or sahi ho to amal ho