मंगलवार को पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित सर्वेक्षण के विरुद्ध दायर की गई याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने जातीय गणना के विरुद्ध सभी 5 याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि जाति आधारित सर्वेक्षण करने का उद्देश्य लोगों की ‘लेबलिंग’ करना नहीं है बल्कि विभिन्न वर्गों से आनेवाले लोगों के उत्थान के लिए कदम उठाना है।
उच्च न्यायालय के इस फैसले को अब सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी गई है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करेगा। बता दें कि इसी साल 4 मई को उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने जातीय गणना पर रोक लगा दी थी। कोर्ट का मानना था कि यह सर्वेक्षण एक जनगणना है, जो केवल केंद्र सरकार द्वारा किया जा सकता है।
Also Read Story
इसके बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए बिहार सरकार को हाईकोर्ट जाने को कहा था।
आखिरकार 1 अगस्त को पटना हाईकोर्ट के 2 जजों की पीठ ने बिहार जातीय गणना को हरी झंडी दिखा दी।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।