पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
जाति आधारित सर्वेक्षण के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देने वाली कुल पांच जनहित याचिकाओं (PIL) पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया है। पीठ ने 7 जुलाई को ही इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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फैसले पर याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा है कि पूरा आदेश पढ़ने के बाद वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
पटना हाई कोर्ट के आदेश पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, “हमारी माँग है कि केंद्र सरकार जातीय गणना करवाए। OBC प्रधानमंत्री होने का झूठा दंभ भरने वाले देश की बहुसंख्यक पिछड़ी और गरीब आबादी की जातीय गणना क्यों नहीं कराना चाहते?”
जाति सर्वेक्षण पर क्यों लगी थी रोक
सर्वेक्षण दो चरणों में शुरू किया गया था। पहला चरण 7 जनवरी को शुरू हुआ था। इसमें घरों की गिनती की गई थी और यह चरण 21 जनवरी तक पूरा हो गया। दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ था। इसमें जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के बारे में जानकारी एकत्र की गई। पूरी प्रक्रिया मई 2023 तक समाप्त होने वाली थी।
लेकिन, इसी बीच सर्वेक्षण के खिलाफ कुछ लोगों ने पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर दी। 4 मई को पटना उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इस सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगा दी थी। न्यायालय ने कहा था कि यह जनगणना के समान है और राज्य सरकार के पास इसे लागू करने की कोई शक्ति नहीं है।
कौन हैं याचिकाकर्ता
‘मैं मीडिया’ ने याचिकाकर्ताओं की पहचान को लेकर विस्तृत पड़ताल की थी। हमारी पड़ताल के अनुसार, जातिगत सर्वेक्षण के खिलाफ दो संगठनों और कुछ व्यक्तियों ने याचिकाएं डाली थीं। जिन दो संगठनों ने इस सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका दायर की थी, उन संगठनों में एक ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ और दूसरा ‘एक सोच एक प्रयास’ शामिल हैं।
यूथ फॉर इक्वेलिटी एक आरक्षण विरोधी संगठन है, जो साल 2006 में अस्तित्व में आया था। इसे आईआईटी, आईआईएम, जेएनयू और कुछ अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं के छात्रों ने बनाया था। संस्थापकों में एक अरविंद केजरीवाल भी हैं, जो फिलहाल आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।
याचिका दायर करने वाला दूसरा संगठन ‘एक सोच, एक प्रयास’ मुख्य तौर पर दिल्ली का एक एनजीओ है, जो मुख्य रूप से कानूनी मदद मुहैया कराता है। इस संगठन के सचिव अरविंद कुमार है, जो खुद भी वकील हैं।
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