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बिहार के एक गाँव की गुहार, हमारा घर बचा लो सरकार

किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड स्थित ये बगलबाड़ी गांव है, इस गांव में कभी हँसते खेलते सैंकड़ों परिवार हुआ करते थे। यहाँ के किसान अपनी उपजाऊ जमीन में खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण किया करते थे। लेकिन पिछले कई सालों से महानंदा नदी के तांडव से गांव उजड़ गया, लोग बेघर हो गए।

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किशनगंज सहित सीमांचल और कोशी क्षेत्र में रहनेवाले लोग हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं। तमाम दावों के बावजूद तमाम व्यवस्थायें और उम्म्मीदेँ प्रत्येक वर्ष ध्वस्त हो जाती हैं। किशनगंज का एक ऐसा गांव जहां के खुशहाल किसान आज सरकार के उदासीनता के कारण मजदूरी कर रहे।

किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड स्थित ये बगलबाड़ी गांव है, इस गांव में कभी हँसते खेलते सैंकड़ों परिवार हुआ करते थे। यहाँ के किसान अपनी उपजाऊ जमीन में खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण किया करते थे। लेकिन पिछले कई सालों से महानंदा नदी के तांडव से गांव उजड़ गया, लोग बेघर हो गए। किसानों की उपजाउ जमीन नदी में विलीन हो गई, कल तक जो भू-स्वामी किसान थे, आज दूसरे के खेतों में मजदूरी कर रहे हैं। गांव में आज भी दर्जनों परिवार रह रहे हैं, लेकिन उनके घरों तक भी नदी पहुँच चुकी है। अगर जिला प्रशासन द्वारा इस बार भी समय रहते बांध का निर्माण नहीं करवाया गया तो गांव का अस्तित्व ही मिट जाएगा। ग्रामीण जिला प्रशासन से बांध निर्माण की मांग कर रहे है।

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जल संसाधन विभाग द्वारा नदी के कटाव से बचाने के लिए स्थायी समाधान ना कर बारिश के मौसम में मानो बहती महानंदा में हाथ जरूर धो लिया जाता है। जियो बैग में मिट्टी भरकर और बांस बल्ला लगाकर कटाव रोधी कार्य किये जाते हैं, जो हर वर्ष पानी मे बह जाता है और के साथ ही बाह जाता है सरकारी पैसा।


इस वर्ष गांव को बचाने के लिए ग्रामीण, सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। ग्रामीण इस गांव को बचाने के लिए अस्तिव की लड़ाई लड़ रहे है, साथ ही प्रशासन से स्थायी समाधान करने की मांग कर रहे है। ग्रामीणों ने कहा कि अगर समय रहते प्रशासन द्वारा बांध का निर्माण नहीं किया गया, तो ग्रामीण सड़को पर उतर कर आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे।

जब मामले को लेकर जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कटाव निरोधक योजना के तहत इस गांव के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन योजना समीक्षा समिति से पारित नहीं होने से 15 मई तक कार्य नहीं करवाया जा सका है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से स्थिति गम्भीर होने के बाद ही गांव को बचाने के लिए प्रोटेक्शन कार्य करवाया जाएगा।

सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण आज बगलबाड़ी गांव के लोग बदहाली की जिंदगी व्यतीत कर रहे है। कल तक जो भू-स्वामी किसान थे, आज उसका जमीन नदी में समा चुका है। गर समय रहते सरकार इस गांव पर ध्यान नहीं देती है, तो इस वर्ष इस गाँव में बचे दो दर्जन से अधिक परिवार भी खुले आसमान के नीचे आ जाएंगे।

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Amit Kumar Singh, a native of Kishanganj, Bihar, holds a remarkable 20-year tenure as a senior reporter. His extensive field reporting background encompasses prestigious media organizations, including Doordarshan, Mahua News, Prabhat Khabar, Sanmarg, ETV Bihar, Zee News, ANI, and PTI. Notably, he specializes in covering stories within the Kishanganj district and the neighboring region of Uttar Dinajpur in West Bengal.

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