बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि राज्य सरकार को जनगणना कराने का अधिकार नहीं है। हल्फनामे में सरकार ने दावा किया कि सरकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों के उत्थान को लेकर प्रतिबद्ध है। यह हलफनामा सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दायर किया है।
हलफनामे में कहा गया कि जनगणना संविधान की ‘केंद्रीय सूची’ के अन्तर्गत आती है, और गृह मंत्रालय के अलावा कोई भी संवैधानिक प्राधिकरण को जनगणना कराने का अधिकार नहीं है। अपने पिछली सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कोर्ट बिहार सरकार की जाति जनगणना पर तब तक नहीं रोक लगाएगी, जब तक यह पता न चल जाए कि राज्य सरकार ने किसी संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है।
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उल्लेखनीय है कि पटना हाईकोर्ट, जाति आधारित जनगणना पर रोक लगाने संबंधी सभी याचिकाओं को पहले ही खारिज कर चुका है। बिहार में जाति आधारित गणना संबंधित डेटा को अपलोड का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। अब डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। विश्लेषण के बाद आंकड़ों को बिहार विधान सभा और विधान परिषद के पटल पर रखा जाएगा। उसके बाद डेटा को सार्वजनिक किया जाएगा।
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