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“जनगणना कराने का अधिकार राज्य को नहीं”- सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार का हलफनामा

हल्फनामे में सरकार ने दावा किया कि सरकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों के उत्थान को लेकर प्रतिबद्ध है। यह हलफनामा सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दायर किया है।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
supreme court

बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि राज्य सरकार को जनगणना कराने का अधिकार नहीं है। हल्फनामे में सरकार ने दावा किया कि सरकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों के उत्थान को लेकर प्रतिबद्ध है। यह हलफनामा सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दायर किया है।


हलफनामे में कहा गया कि जनगणना संविधान की ‘केंद्रीय सूची’ के अन्तर्गत आती है, और गृह मंत्रालय के अलावा कोई भी संवैधानिक प्राधिकरण को जनगणना कराने का अधिकार नहीं है। अपने पिछली सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कोर्ट बिहार सरकार की जाति जनगणना पर तब तक नहीं रोक लगाएगी, जब तक यह पता न चल जाए कि राज्य सरकार ने किसी संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है।

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उल्लेखनीय है कि पटना हाईकोर्ट, जाति आधारित जनगणना पर रोक लगाने संबंधी सभी याचिकाओं को पहले ही खारिज कर चुका है। बिहार में जाति आधारित गणना संबंधित डेटा को अपलोड का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। अब डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। विश्लेषण के बाद आंकड़ों को बिहार विधान सभा और विधान परिषद के पटल पर रखा जाएगा। उसके बाद डेटा को सार्वजनिक किया जाएगा।


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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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