अररिया जिले के एक आदिवासी किसान ने मत्स्य पालन में रिकॉर्ड कायम किया है। उनकी ख्याति जिले ही नहीं बल्कि बिहार की राजधानी पटना में भी पहुंच गई। यही वजह है कि समाधान यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मत्स्य किसान के तालाब देखने पहुंच गए।
बता दें कि रानीगंज प्रखंड की मोहिनी पंचायत स्थित दुर्गापुर वार्ड नंबर 9 में रहने वाले प्रधान बेसरा जिले के सबसे बड़े मत्स्य पालक के रूप में उभर कर सामने आए हैं। उन्होंने न सिर्फ मछली पालन किया है, बल्कि मखाना की खेती भी कर रहे हैं। इसके साथ-साथ बड़े पैमाने पर बत्तख पालन कर अंडे का व्यापार कर रहे हैं। इसके लिए प्रधान बेसरा को बेहतर किसान का दर्जा मिला है।
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रानीगंज विधानसभा पहले से ही आरक्षित है और इसकी वजह यह है कि यहां ज्यादातर लोग महादलित और आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए हैं। इस प्रखंड का ज्यादा विकास नहीं हो पाया था। यहां विकास की गति काफी कम थी। ऐसी जगह पर और विकट परिस्थितियों को देखते हुए प्रधान बेसरा ने मत्स्य पालन में जिले में एक बेहतर स्थान प्राप्त किया है। इनके मत्स्य पालन करने के तरीके को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। वह दर्जनों की संख्या में तालाबों में विभिन्न प्रजातियों की मछलियों का पालन कर रहे हैं।
2013 से शुरू किया था मछली पालन
प्रधान बेसरा ने बताया, “2013 से पहले मैंने अपने थोड़ी जमीन पर मखाने की खेती शुरू की थी। खेती अच्छी चलने से मेरा हौसला काफी बढ़ गया। फिर मैंने सोचा के जितनी अपनी जमीन है, उसमें तालाब बनाकर मछली का पालन किया जाए।” फिर क्या था उन्होंने डेढ़ बीघा जमीन पर तालाब बनाया और मछली का उत्पादन शुरू कर दिया।
प्रधान बेसरा बताते हैं, “बेहतर परिणाम से उत्साह काफी बढ़ गया। तब मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपने परिवार के लोगों को भी इसमें जोड़ने का काम किया, ताकि वे भी मत्स्य पालन के कारोबार से जुड़ सकें।”
फिर आहिस्ता-आहिस्ता 12 एकड़ जमीन में 14 तालाबों का निर्माण कराया और इनमें मछलियों के उत्पादन का कार्य शुरू कर दिया। इसके बाद अपने परिवार वालों के साथ मिलकर उन्होंने एक समूह बनाया और समूह के अंदर मछली उत्पादन शुरू हो गया। फिर क्या था, देखते-देखते लाखों की कमाई शुरू हो गई।
“जब मछली का कारोबार चल निकला, तो मैंने सोचा कि मखाना उत्पादन को भी बढ़ाया जाए। उसकी खेती तो करता ही था। तब मैंने सरकार की मदद से एक मखाना प्रोसेसिंग यूनिट खोला, जो जिले का पहला यूनिट है। इसी यूनिट में मखाना फोड़ने से लेकर उसकी ग्रेडिंग तक का कार्य मशीन के द्वारा किया जाता है। इस मखाना प्रोसेसिंग यूनिट का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों हुआ,” वह कहते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हमारे मछली के कारोबार को देखकर सरकार से भी हमें मदद मिली। सरकार ने अनुदान राशि भी उपलब्ध कराई। इससे मेरा कारोबार और बढ़ गया। अब लगभग 62 एकड़ में मेरा कार्य चल रहा है। इसमें मखाना और मछली का उत्पादन हो रहा है। इस काम में मेरा छोटा भाई लक्ष्मण बेसरा भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगा। हम लोगों ने तालाब को सुरक्षित करने के लिए उसकी मेड़ पर पौधारोपण का कार्य किया, जो आज काफी बड़ा हो गया है।”
उन्होंने अररिया कृषि विज्ञान से मत्स्य पालन का सात दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस दौरान उन्हें मछली पालन में कितने फायदे हैं और इसमें क्या आधुनिक कार्य किया जा सकता है आदि की जानकारी मिली।
“मैंने तालाब में पानी में हलचल पैदा करने वाली एडिटर ऑटोमेटिक मशीन भी लगाई। अब यह मशीन पानी में इस तरह से चलता है मानो कोई पक्षी पानी को पूरी तरह से हिला रहा है,” उन्होंने कहा।
बत्तख से भी मिल रहा फायदा
प्रधान बेसरा ने बताया,” मछली पालन करते हुए मुझे पता चला कि मछली पालन में बत्तखों का भी बहुत सहयोग होता है। इसलिए मैंने बंगाल से खाकी पैंक्वेल प्रजाति के बत्तख के बच्चे को लाया और यहां उसका पालन शुरू कर दिया।”
उन्होंने बताया कि इस प्रजाति के बत्तख साल में तीन सौ अंडे देते हैं। साथ ही जल्द ही आसपास के माहौल में घुलमिल जाते हैं। इनके रहने के लिए तालाब के ऊपर मचाननुमा घर बनाकर बत्तख को यहां पाला जा रहा है।
यह बत्तख अब कुछ ही दिनों में अंडा देना भी शुरू कर देंगे।
उन्होंने पूरी जानकारी देते हुए बताया कि इन बत्तखों का कार्य है पानी में तैरते हुए उसमें हलचल पैदा करना, जो तालाब की मछलियों के जीवन के लिए बहुत उपयोगी होता है। प्रधान बेसरा ने बताया कि इन बत्तखों से कई तरह के फायदे हैं। बत्तख से मछली को चारा मिलता है और पानी की सफाई भी होती है। साथ ही इसके तैरने से पानी में हलचल होती है जो मछली के फायदेमंद होती है।
“मैंने तालाब की चारों ओर कपड़े का बाड़ लगा दिया है ताकि ये बत्तख बाहर ना चले जाएं। क्षेत्रफल बड़ा होने के कारण बत्तख आस-पास ही तालाब में घूमते रहते हैं। उनके खानपान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। इससे बत्तख जल्द बड़े हो रहे हैं और मछलियों को भी लाभ मिल रहा है।”
फिलहाल उनके पास 300 बत्तख हैं, जिनसे भारी संख्या में अंडे मिलेंगे।
उन्होंने बताया, “मैंने यह प्रयोग अभी शुरू किया है। कुछ महीने पहले ही बंगाल से इन बत्तखों के बच्चों को लाया गया है।”
प्रधान बेसरा के सफल मत्स्य पालन को देखकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाधान यात्रा के दौरान रानीगंज प्रखंड की मोहिनी पंचायत स्थित दुर्गापुर गांव गए थे। वहां उन्होंने प्रधान बेसरा के द्वारा किए जा रहे मत्स्य पालन का अवलोकन और मखाना प्रोसेसिंग यूनिट का उद्घाटन किया था। उन्होंने इस बेहतर कार्य के लिए प्रधान बेसरा को सम्मानित भी किया।
उनका कहना है कि इस तरह का सम्मान मिलने से हौसला काफी बढ़ता है और आने वाले दिनों में दूसरे लोग भी इस बेहतर कार्य से प्रेरित होकर मत्स्य पालन में जुड़ जाएंगे। मुख्यमंत्री के दौरे के बाद दुर्गापुर गांव का नजारा ही बदल गया है। गांव की हर गली में पक्की सड़क, नल जल योजना और साफ-सफई चाक चौबंद दिख रही है।
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