Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

बिहार के इस शहर के लोग जी रहे हैं नाव के सहारे

अररिया शहर की आबादी का एक हिस्सा आज भी आवागमन की असुविधाओं से जूझ रहा है। नगर परिषद वार्ड नबंर 29 के मरया टोला तक जाने के लिए परमान नदी को पार करना होता है, जहाँ आवागमन का एक मात्र सहारा नाव ही है। सरकारी सुविधा से वंचित इस शहरी इलाके में नगर परिषद की कोई सुविधा नहीं है।

Reported By Murshid Raza |
Published On :

अररिया शहर की आबादी का एक हिस्सा आज भी आवागमन की असुविधाओं से जूझ रहा है। नगर परिषद वार्ड नबंर 29 के मरया टोला तक जाने के लिए परमान नदी को पार करना होता है, जहाँ आवागमन का एक मात्र सहारा नाव ही है। सरकारी सुविधा से वंचित इस शहरी इलाके में नगर परिषद की कोई सुविधा नहीं है।

मरया टोला के लोगों को अपनी जरूरतों के लिए शहर के बाज़ार रोजाना आना-जाना पड़ता है। निजी नाव होने की वजह से किराया भी देना पड़ता है।

[wp_ad_camp_1]

Also Read Story

महानंदा बेसिन की नदियों पर तटबंध के खिलाफ क्यों हैं स्थानीय लोग

क्या कोसी मामले पर बिहार सरकार ने अदालत को बरगलाया?

पूर्णिया का अभिशाप एथेनॉल फैक्ट्री, फसल तबाह, आँखों में बीमारी

क्या गंगा कटान में उजड़ जाएगा कटिहार का बबलाबन्ना गाँव?

बिहार के डेढ़ दर्जन औषधीय महत्व के पौधे विलुप्ति की कगार पर

सीमांचल के शहरों में क्यों बढ़ रहा प्रदूषण

हर साल कटाव का कहर झेल रहा धप्परटोला गांव, अब तक समाधान नहीं

डोंक नदी में कटाव से गांव का अस्तित्व खतरे में

कोसी क्षेत्र : मौसम की अनिश्चितताओं से निपटने के लिए मखाना की खेती कर रहे किसान

अपने रोज़मर्रा के काम से अमूमन हर दिन परमान नदी को पार करने वाले मो. सऊद बताते हैं,


नाव के सहारे बहती नदी की तेज़ धार में सवारी करने में जान का खतरा बना रहता है। कभी नाविक के हाथ से पतवार छूट जाता है, तो कभी नाव धारा के साथ बहने लगती है। यहाँ आवागमन के लिए बारिश के मौसम के पहले चचरी पूल का साधन था, लेकिन लगातार बारिश के कारन नदी का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे चचरी पूल टूट चुका है। अब मरया टोला की पूरी आबादी का नाव ही एक मात्रा सहारा है।

[wp_ad_camp_1]

वहीं, स्थानीय निवासी मो. जाबुल ने बताया,

गांव के सभी लोगों को आने जाने में बहुत दिक्कत होती है। बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है, तो नाव काफी दूर जाकर लगती है। इस परिस्थिति में अगर गांव के किसी की तबियत बिगड़ती है, तो खटिया का सहारा लेना पड़ता है। रात के वक्त तो सवारी करना जान जोखिम में डालने से कम नहीं। कई बार तो नाविक घर चला जाता है। बहुत ज़रूरी होने पर नाविक की खुशामद कर जगाकर लाना होता है।

People in this Bihar town are living with the help of boat

स्थानीय महिलाओं ने बताया कि जब नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ होता है और उस समय किसी महिला का प्रसव का समय हो, तो जच्चा बच्चा दोनों ही को जान का काफी ख़तरा रहता है।

ग्रामीणों ने बताया कि नदी पर पुल बनवाने के लिए विधायक से सांसद तक को गुहार लगाई गई, लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है।

लोगों ने बताया,

समस्या आज़ादी के बाद से चली आर ही है। मरया टोला के लोगों ने एक उम्मीद के साथ नगर परिषद चुनाव में वार्ड पार्षद भी मरया टोला का ही चुना था, लेकिन वो भी इस दिशा में कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

लोगों का कहना है कि अगर पंचायत में होते, तो ज्यादा सुविधा मिलती। ये शहरी क्षेत्र सिर्फ़ नाम का ही है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Related News

सुपौल: पानी में प्रदूषण से गांवों में फैल रहा आरओ वाटर का कारोबार, गरीबों का बढ़ा खर्च

धूल फांक रही अररिया की इकलौती हाईटेक नर्सरी

कहीं बारिश, कहीं सूखा – बदलते मौसम से सीमांचल के किसानों पर आफत

बिजली की घोर किल्लत ने बढ़ाई किसानों, आम लोगों की समस्या

आधा दर्जन से ज्यादा बार रूट बदल चुकी है नेपाल सीमा पर स्थित नूना नदी

Deputy CM Tarkishore Prasad के शहर कटिहार की हवा सांस लेने लायक नहीं

सीमांचल में बढ़ रहा हाथियों का उत्पात, घरों और फसलों को पहुंचा रहे नुकसान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latests Posts

Ground Report

तैयारियों के बाद भी नहीं पहुंचे CM, राह तकता रह गया पूर्णिया का गाँव

जर्जर भवन में जान हथेली पर रखकर पढ़ते हैं कदवा के नौनिहाल

ग्राउंड रिपोर्ट: इस दलित बस्ती के आधे लोगों को सरकारी राशन का इंतजार

डीलरों की हड़ताल से राशन लाभुकों को नहीं मिल रहा अनाज

बिहार में क्यों हो रही खाद की किल्लत?