अररिया शहर की आबादी का एक हिस्सा आज भी आवागमन की असुविधाओं से जूझ रहा है। नगर परिषद वार्ड नबंर 29 के मरया टोला तक जाने के लिए परमान नदी को पार करना होता है, जहाँ आवागमन का एक मात्र सहारा नाव ही है। सरकारी सुविधा से वंचित इस शहरी इलाके में नगर परिषद की कोई सुविधा नहीं है।
मरया टोला के लोगों को अपनी जरूरतों के लिए शहर के बाज़ार रोजाना आना-जाना पड़ता है। निजी नाव होने की वजह से किराया भी देना पड़ता है।
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अपने रोज़मर्रा के काम से अमूमन हर दिन परमान नदी को पार करने वाले मो. सऊद बताते हैं,
नाव के सहारे बहती नदी की तेज़ धार में सवारी करने में जान का खतरा बना रहता है। कभी नाविक के हाथ से पतवार छूट जाता है, तो कभी नाव धारा के साथ बहने लगती है। यहाँ आवागमन के लिए बारिश के मौसम के पहले चचरी पूल का साधन था, लेकिन लगातार बारिश के कारन नदी का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे चचरी पूल टूट चुका है। अब मरया टोला की पूरी आबादी का नाव ही एक मात्रा सहारा है।
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वहीं, स्थानीय निवासी मो. जाबुल ने बताया,
गांव के सभी लोगों को आने जाने में बहुत दिक्कत होती है। बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है, तो नाव काफी दूर जाकर लगती है। इस परिस्थिति में अगर गांव के किसी की तबियत बिगड़ती है, तो खटिया का सहारा लेना पड़ता है। रात के वक्त तो सवारी करना जान जोखिम में डालने से कम नहीं। कई बार तो नाविक घर चला जाता है। बहुत ज़रूरी होने पर नाविक की खुशामद कर जगाकर लाना होता है।

स्थानीय महिलाओं ने बताया कि जब नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ होता है और उस समय किसी महिला का प्रसव का समय हो, तो जच्चा बच्चा दोनों ही को जान का काफी ख़तरा रहता है।
ग्रामीणों ने बताया कि नदी पर पुल बनवाने के लिए विधायक से सांसद तक को गुहार लगाई गई, लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है।
लोगों ने बताया,
समस्या आज़ादी के बाद से चली आर ही है। मरया टोला के लोगों ने एक उम्मीद के साथ नगर परिषद चुनाव में वार्ड पार्षद भी मरया टोला का ही चुना था, लेकिन वो भी इस दिशा में कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
लोगों का कहना है कि अगर पंचायत में होते, तो ज्यादा सुविधा मिलती। ये शहरी क्षेत्र सिर्फ़ नाम का ही है।
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