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केरल-कर्नाटक से लेकर दिल्ली-पंजाब के लोगों का बिहार आकर शिक्षक बनना खुशी की बात: नीतीश कुमार

अपने संबोधन में नीतीश ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर अब बिहार की छवि काफी बेहतर हुई है और दूर-दराज के लोग बिहार आकर शिक्षक बन रहे हैं। उन्होंने संबोधन में फिर दोहराया कि नियोजित शिक्षकों को मामूली परीक्षा के बाद सरकारी कर्मी का दर्जा दे देंगे।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि केरल और कर्नाटक जैसे दूर-दराज राज्यों के लोगों का बिहार की शिक्षक परीक्षा में भाग लेना खुशी की बात है।

उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की छवि काफी बेहतर हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में बीपीएससी द्वारा चयनित नए शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रदान करने के दौरान ये बातें कहीं।

गांधी मैदान के समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ-साथ अन्य मंत्रियों ने नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया। समारोह में बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, वित्त, वाणिज्य कर और संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी भी मौजूद थे।


समारोह में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और बिहार सरकार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के अलावा राज्य प्रशासन और शिक्षा विभाग के कई वरीय अधिकारी मौजूद थे।

समारोह में लगभग 30 सफल शिक्षकों को मंत्रियों द्वारा नियुक्ति पत्र प्रदान की गई। इन सफल अभ्यर्थियों में ज्यादातर अभ्यर्थी पटना, रोहतास, शेखपूरा और भोजपुर जिलों के थे। इस अवसर पर सभी मंत्रियों ने नवनियुक्त शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं। अन्य जिलों में जिले के प्रभारी मंत्रियों ने कार्यक्रम का आयोजन कर शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया।

ओमान और कतर से भी आकर लोग परीक्षा में शामिल हुएः नीतीश

समारोह को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा,

“कुछ लोग बोल रहे हैं कि अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को मौका देना बिहारी छात्रों के साथ अन्याय है। पूरा देश एक है और बिहार के लोग देश के अन्य राज्यों में नौकरी कर रहे हैं।”

“बिहार में शिक्षक की नौकरी पाने के लिए जो बाहर के लोग हैं, वो केरल, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और पश्चिम बंगाल से भी लोग आए हैं। यह सब तो खुशी की बात है। आप समझिये कि केरल, कर्नाटक के लोग यहां पर आकर परीक्षा में भाग लिया। यह तो खुशी की बात है,” उन्होंने कहा।

नीतीश ने आगे कहा,

“ओमान और कतर से भी आकर लोग इस परीक्षा में शामिल हुए। आप में से बहुत लोग सेना, रेलवे, अर्धसैनिक बल, बैंक और बड़ी कंपनियों की नौकरी को छोड़कर अब शिक्षक बन रहे हैं। सोचिये कितनी खुशी की बात है।”

इस अवसर पर नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि लोग बोलते हैं कि के के पाठक ऐसे हैं वैसे हैं, लेकिन आप लोग की ताली बता रही है कि सरकार ने उनकी नियुक्ति कर अच्छा काम किया है।

नीतीश इस दौरान फिर मीडिया पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर नियुक्ति हो रही लेकिन मुझे डर है कि मीडिया इसको छापेगी। नीतीश ने मीडिया को खुलकर ऐसी खबरों को छापने की अपील की।

“राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर हुई बिहार की छवि”

अपने संबोधन में नीतीश ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर अब बिहार की छवि काफी बेहतर हुई है और दूर-दराज के लोग बिहार आकर शिक्षक बन रहे हैं। उन्होंने संबोधन में फिर दोहराया कि नियोजित शिक्षकों को मामूली परीक्षा के बाद सरकारी कर्मी का दर्जा दे देंगे।

नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक को संबोधित करते हुए कहा कि बची हुई शिक्षक रिक्तियों को भी दो महीने के अन्दर ही भर दिया जाये। उन्होंने आगे कहा कि सरकार का जो दस लाख नौकरी का वादा है वो बिहार सरकार पूरा करेगी।

हम कलम बांट रहे हैं और कुछ लोग तलवार बांटते हैं- तेजस्वी

समारोह में तेजस्वी यादव ने इशारों-इशारों में भारतीय जनता पार्टी की ‘सांप्रदायिक राजनीति’ पर भी निशाना साधा। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार सरकार लोगों को नौकरी बांटती है, जबकि कुछ लोग, लोगों को तलवार बांटते हैं।

“सरकार का असली मुद्दा लोगों को रोजगार देना, कल्याणकारी योजनाएं देना, लोगों को खुशहाल रखना, लोगों के साथ न्याय करना, यही सब सरकार की सकारात्म राजनीति है। हमलोग कलम बांटने का काम कर रहे हैं और कुछ लोग तलवार बांटते हैं,” उन्होंने कहा।

तेजस्वी यादव ने आगे कहा,

“लेकिन हम इतना जरूर कहेंगे कि हमलोगों ने वाद किया था और आपलोगों ने नौकरी के नाम पर वोट दिया था। और नौकरी मिल रही है। जिन लोगों ने हिंदू-मुस्लिम के नाम पर वोट दिया था, उनको बेरोजगारी मिल रही है। बुलडोजर मिल रहा है, गरीबी मिल रही है।”

उन्होंने मीडिया पर तंज कसते हुए कहा कि राष्ट्रीय मीडिया को गुजरात की मीडिया से सीखना चाहिए कि कैसे बिना काम किये ही भाजपा सरकार की तारीफ करते हैं।

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“बिहार में चट-फट-झट फॉर्मूला से काम होता है”

तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में चट-फट-झट फॉर्मूला से काम होता है। यहां आप चट से फॉर्म भरिये फट से परीक्षा दीजिये और झट से ज्वाइन कीजिए। उन्होंने सफल अभ्यर्थियों को चट मंगनी पट ब्याह कर लेने की सलाह तक दे डाली।

समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि पूरे राज्य में एक लाख 20 हजार नवनियुक्त शिक्षकों को एक साथ नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है। ऐसा देश में पहली बार हो रहा है।

उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए सफल अभ्यर्थियों से खड़े होकर ताली बजाने का अनुरोध भी किया।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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One thought on “केरल-कर्नाटक से लेकर दिल्ली-पंजाब के लोगों का बिहार आकर शिक्षक बनना खुशी की बात: नीतीश कुमार

  1. इसलिए बिहार एक बीमारू राज्य हैं। केरल एवं कर्नाटक केरल एवं कर्नाटक जो लोग हिंदी का विरोध कर रहे हैं जिस राज्य में हिंदी भाषा अनिवार्य नहीं है उन राज्यों का स्टूडेंट छात्र बिहार में आकर अगर शिक्षक बनेंगे तो बिहार का कभी उन्नति नहीं होगा क्योंकि जिस व्यक्ति का पढ़ाई का ज्ञान अन्य भाषा में अर्जित किया हो वह व्यक्ति बिहार में आकर बिहार के छात्रों को पढ़ाएंगे तो वो बिहार के छात्र को अपने विद्या के माध्यम से संतुष्ट नहीं कर पाएंगे क्योंकि उन्होंने अपनी शिक्षा अन्य भाषा में ग्रहण किए होंगे और बिहार का राजकीय भाषा नहीं जानते होंगे ..
    Bihar ka Chhatra yahan berojgar baitha hua hai uski fikra nahin hai niti Sarkar ko balki Jo viksit rajya Hain unka fikar hai unko

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