शनिवार रात आए तेज़ आंधी और मूसलाधार बारिश ने किशनगंज की दौला पंचायत के समदा गांव में भारी तबाही मचायी। कई एकड़ में फैली मक्के की फ़सल बर्बाद हो गई और ग्रामीणों के कई घर क्षतिग्रस्त हो गए। फसल के भारी नुकसान से गाँव के किसान विचलित हैं। अधिकतर किसानों ने भारी क़र्ज़ लेकर फसल उगाई थी और एक रात की आंधी से हुई इस तबाही से वे बेहद चिंतित हैं।
इनायतुल्लाह उन दर्जनों किसानों में से एक हैं जिनकी फ़सल बुरी तरह से नष्ट हो गई है। उन्होंने कहा कि क़र्ज़ लेकर बच्चे की शादी की थी कि खेती से कुछ लाभ होगा तो अदा कर देंगे। लेकिन आधे से अधिक खेती नष्ट हो चुकी है। इनायतुल्लाह ने बताया कि उनका और उनके परिवार का गुज़र-बसर इसी खेती पर निर्भर है। वह कहते हैं कि अगर सरकार कुछ सहायता करे तो कुछ हो सकेगा, वरना और कोई उपाय नहीं है।
रातों रात हुई इस तबाही से स्थानीय किसानों को लोन और क़र्ज़ न चुका पाने का डर सताने लगा है। पेशे से किसान मुशर्रफ हुसैन कहते हैं कि तबाही से जितना नुकसान हुआ है, यह बात क़र्ज़ देने वाला तो नहीं समझेगा। तूफ़ान पीड़ित किसान सरकार के मुआवज़े की आस लगाए हुए हैं।
स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि अख़लाकुर हुसैन ने बताया कि खेतों के साथ साथ गांव के दर्जनों मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। कुछ दिनों में ही मक्के की फसलें कटने वाली थीं लेकिन तूफ़ान ने सब जमींदोज़ कर दिया। उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से किसानों और बेघर हुए ग्रामीणों को मुआवजा देने की मांग की।
Also Read Story
गांव में कृषि यंत्रों की मरम्मत की दुकान चला रहे मोहम्मद अबू बकर ने बताया कि बीती रात आयी आंधी से दुकान का छप्पड़ गिर गया। छप्पड़ के नीचे कुछ मज़दूर दब गए थे जिन्हे ग्रामीणों ने बाहर निकाला। इस तेज़ आंधी से दुकान के अंदर रखी लाखों रुपये की मशीन भी क्षतिग्रस्त हो गई। उन्होंने आगे कहा कि इतना भारी नुक्सान की भरपाई करना उनकी क्षमता से बाहर है, इसके लिए वह सरकार से मदद चाहते हैं।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।
