[vc_row][vc_column][vc_column_text]कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है, यह जब उफनाती है तो तबाही लाती ही है और जब शांत होती है तो भी तबाही लाती है। दोनों ही हालात में लोगों पर कहर बनकर टूटती है।
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कोसी के जलस्तर में गिरावट आने के बाद भी सहरसा ज़िले के महिषी प्रखंड स्थित कुंदह गाँव पर ये नदी अपना कहर बरपा रही है। कई घर, सड़क और स्कूल के कुछ भाग को अपने आगोश में समा चूकि है। अब आंगनबाड़ी केंद्र, CSP केंद्र को अपने आगोश में लेने को तैयार है।
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स्थानीय लोगों की माने तो गाँव को बचाने के लिए सरकार के तरफ से कोई इंतजामात नहीं है। घर बार, जमीन जगह सब कोसी की भेंट चढ़ गया है। लोगों का कहना है कि कटाव को रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से कोई पहल नहीं किया जा रहा है, कोई देखने तक नहीं आता है, राहत के नाम पर इस इलाके के बाढ़ पीड़ितों को पन्नी तक नहीं मिला है।
स्थानीय लोगों की माने तो आंगनबाड़ी, CSP केंद्र और एक मध्य विद्यालय कोसी नदी के निशाने पर है, स्कूल का कुछ भाग नदी में कटकर समा भी गया है। कुंदह गांव की पीसीसी सड़क भी धीरे-धीरे कटकर कोसी में समाते जा रहा है। पीसीसी सड़क का सीधा संपर्क नेशनल हाईवे से है, जो कटकर पूरी तरह छतिग्रस्त हो चुका है।
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कुंदह मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक की माने तो तकरीबन एक सप्ताह से स्कूल पर कोसी नदी का दबाव बना हुआ है, जिसमें स्कूल का कुछ हिस्सा समा गया है। भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है, अगर ये हालत रही, तो स्कूल का भवन कोसी नदी में समा जायेगा।
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