2024 लोकसभा चुनाव में बिहार की किशनगंज सीट से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के प्रत्याशी अख़्तरुल ईमान हैं। उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव में भी AIMIM के टिकट पर किशनगंज से चुनाव लड़ा था। तब वह कांग्रेस के मोहम्मद जावेद और जदयू के महमूद अशरफ के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे।
‘मैं मीडिया’ को दिए ताज़ा इंटरव्यू में AIMIM प्रदेश अध्यक्ष ने किशनगंज लोकसभा क्षेत्र की बदहाली, पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और CAA जैसे कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।
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अख्तरुल ईमान पहली बार 2005 में किशनगंज विधानसभा सीट (तब कोचाधामन इसी का हिस्सा था) से विधायक बने। 2008 में कोचाधामन एक अलग विधानसभा सीट बनी और 2010 विधानसभा चुनाव में उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की। 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद अख्तरुल ईमान 2020 में अमौर विधानसभा सीट से विधायक बने।
किशनगंज लोकसभा सीट पर दूसरे चरण 26 अप्रैल को चुनाव होना है। अख्तरुल ईमान के सामने कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और जदयू के मुजाहिद आलम की चुनौती है। एक समय था जब मुजाहिद आलम और अख्तरुल ईमान साथ साथ हुआ करते थे, लेकिन 2010 में दोनों के रास्ते अलग हुए और उन्होंने कई बार एक दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़ा।
“मुजाहिद आलम ठेकेदारी कर पैसे कमाने लगे”
मुजाहिद आलम से दोस्ती टूटने पर AIMIM नेता ने कहा कि मुजाहिद आलम गलत लोगों की पैरवी करते थे और उनकी बात ठेकेदारों तक पहुंचाते थे। उन्होंने कहा, “मैं वहां एक रिश्वतखोर बीडीओ के खिलाफ लड़ रहा था। मेरे यहां वह आते थे, मैं कार्रवाई करता था, वह जाकर उसको सुनाते थे। वह मेरी चुगलखोरी कर के बीडीओ के जैसे ठेकेदारी कर के पैसे कमाने लगे तो मैंने कहा यह आदमी वफ़ा के लायक नहीं है। उसके बाद वह बीजेपी वाली जदयू के साथ जाकर खड़े हो गए।”
अख्तरुल ईमान ने बिहार की बड़ी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वह और उनकी पार्टी के लोगों ने बिहार में मुसलमानों पर हो रहे ज़ुल्म और नाइंसाफ़ी पर आवाज़ उठाई तो उनकी पार्टी को तोड़ा गया और AIMIM विधायकों को खरीद लिया गया।
CAA पर क्या बोले अख्तरुल ईमान
2019 में जब CAA बिल सदन में पेश किया गया था तब AIMIM ने इसका जमकर विरोध किया था। तब पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने CAA बिल के कागज़ को फाड़ दिया था, हालांकि बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने चार साल तक कोर्ट का दरवाज़ा नहीं खटखटाया। पिछले दिनों जब CAA कानून की अधिसूचना जारी की गई, उसके बाद उन्होंने कोर्ट में पेटिशन दाखिल की।
अख्तरुल ईमान ने इस पर कहा कि जब असदुद्दीन ओवैसी ने CAA बिल को फाड़ा तो देश भर के मुसलामानों का हौसला बढ़ा और शाहीन बाग से बड़े आंदोलन की शुरुआत हुई। क्योंकि सरकार ने इसे अधिसूचित नहीं किया था इसलिए उनकी पार्टी पहले कोर्ट नहीं गई।
पिछले दिनों ‘मैं मीडिया’ ने असदुद्दीन ओवैसी के कुछ दावों की पड़ताल की थी और उन दावों को गलत पाया था। इस पर AIMIM प्रदेश अध्यक्ष बात पलटते दिखे और इन प्रश्नों को तिल का ताड़ बताया।
अमौर विधानसभा में कितना विकास हुआ ?
अख्तरुल ईमान 2020 विधानसभा चुनाव में अमौर के विधायक बने थे। उन्होंने जदयू की सबा ज़फर को 52,515 वोटों से हराया था। अमौर में विकास का कितना काम हुआ, इस बारे में उन्होंने कहा कि रौटा हाट से कांग्रेस के जमाने से दुकानदारों से वसूली की जाती थी। उन्होंने सरकारी जमीन को चिन्हित कर वसूली की रकम को 60-70 हज़ार रुपये से कम कर के 7-8 हज़ार रुपये करवाया।
इसके बाद अख्तरुल ईमान ने रसेली घाट और खाड़ी पुल के बारे में कहा कि उन्होंने 32 और 33 करोड़ रुपये की योजनाओं को पारित करवाया और कानकी-अभयपुर पुल और खरखड़ी घाट पुल का काम भी शुरू कराया।
क्या जब से देश में भाजपा हुकूमत में आई है तब से असदुद्दीन ओवैसी को देश के मीडिया चैनलों पर देखा जाने लगा है ? क्या इससे टीवी पर हिन्दू मुस्लिम का माहौल ज्यादा बढ़ गया है, इस प्रश्न पर अख्तरुल ईमान ने कहा कि ऐसा कहा जा सकता है कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद असदुद्दीन ओवैसी को ज्यादा सुना जा रहा है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि असदुद्दीन ओवैसी या AIMIM पार्टी के कारण इस्लाम के खिलाफ माहौल बना है।
किशनगंज से जीते तो क्या क्या काम करेंगे ?
किशनगंज के एएमयू सेंटर पर अख्तरुल ईमान ने कहा कि 2022 में पार्टी के सभी 5 विधायक द्वारा एएमयू सेंटर के लिए मुहिम चलाने करने का निर्णय लिया गया था लेकिन बीच में विधायकों ने AIMIM छोड़ दिया और यह नहीं हो सका। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह आगे भी एएमयू सेंटर के लिए आवाज़ उठाएंगे और जरूरत पड़ी तो पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ धरना पर बैठ जाएंगे।
किशनगंज लोकसभा चुनाव में अगर उनकी जीत हुई तो वह पहले किन मुद्दों पर काम करेंगे, इस पर AIMIM प्रत्याशी अख्तरुल ईमान ने कहा कि सीमांचल के लोगों के साथ जो नाइंसाफ़ी हुई है उसपर वह काम करेंगे और यहां की जनता को उनका हक दिलाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि वह बिहार में एक ‘प्रेशर ग्रुप’ बनाना चाहते हैं जिससे बिहार और सीमांचल के अल्पसंख्यकों की आवाज़ देश भर में मजबूत की जा सके।
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