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कोसी धार का अतिक्रमण बन सकता है अररिया शहर के लिए मुसीबत

अतिक्रमण के कारण कोसी नदी अब नाले में तब्दील हो गई है। इस कारण से हर वर्ष यहां बाढ़ तबाही मचाती है और कोसी किनारे बसे लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस जाता है।

ved prakash Reported By Ved Prakash |
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अररिया जिले के अररिया शहर के करीब से बहने वाली कोसी नदी अब आहिस्ता-आहिस्ता सिमटती जा रही है।

दरअसल, अतिक्रमण के कारण यह नदी अब नाले में तब्दील हो गई है। इस कारण से हर वर्ष यहां बाढ़ तबाही मचाती है और कोसी किनारे बसे लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस जाता है। यहां बसे लोगों का कहना है कि जहां हम लोगों ने मकान बनाया है यह निजी जमीन है। अब इसका फैसला कौन करे कि यह नदी है या किसी की निजी जमीन। लेकिन इसका खामियाजा तो शहर के लोगों को भुगतना पड़ता है।

कोसी नदी को शुरू से ही कोसी धार कहा जाता रहा है। यह नदी मृतप्रायः है क्योंकि यह नदी चौड़ी नहीं थी। नदी की शुरुआत अररिया कॉलेज के पास से होती है। यहां से होते हुए बुआरीबाद और एनएच 57 को क्रॉस कर यह नदी फिर एनएच 327ई के पास से होकर परमान नदी में मिल जाती है।


कैसे आती है बाढ़

लेकिन, अररिया कॉलेज के पास से ही नदी पर अतिक्रमण शुरू हो गया है और नदी संकरी होती चली गई है।

अब उस ओर से धारा शहर की ओर नहीं आती है, तो यह नदी किस तरह से बाढ़ लाती है, इसको समझना बहुत जरूरी होगा।

परमान नदी के ऊपर एनएच-327 ई पर बने पुल को बेलवा पुल कहा जाता है। वहां परमान नदी काफी चौड़ी है और उसके किनारे बना गाइड बांध 80 के दशक में ही क्षतिग्रस्त हो गया था।

उसके क्षतिग्रस्त होने के बाद से जब भी परमान नदी उफान पर होती है, तो उसका पानी उसी टूटे गाइड बांध से होकर कोसी धार में जाकर मिल जाता है। तब शुरू होता है विनाश और बाढ़। विनाश इसलिए कहा जा रहा है कि कोसी की धार अररिया जीरो माइल के पास बने एनएच 327 ई पर बने पुल को कई बार क्षतिग्रस्त कर चुकी है और यह क्षतिग्रस्त पुल मीडिया में काफी चर्चा में रहा था।

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साल 2017 की प्रलयंकारी बाढ़ ने जहां पूरे शहर को अपनी आगोश में ले लिया था। वहीं, इस पुल को भी आहिस्ता आहिस्ता बहा कर अपने साथ ले गई। उसी पुल को पार करते वक्त एक महिला अपने दो बच्चों के साथ नदी में समा गई थी, जिसका दृश्य मीडिया की सुर्खियों में रहा था। तभी से लोगों की प्रशासन से मांग थी कि जीरोमाइल वाले पुल के पास दो पुलों का निर्माण कराया जाए। नहीं तो हर वर्ष कोसी धार से तबाही होती रहेगी। साथ ही पानी के दबाव से एनएच 327 ई कटता रहेगा, इसलिए यह कोसी धार बाढ़ के दिनों में काफी भयावह और महत्वपूर्ण हो जाती है।

जब बारिश नहीं होती है, तो यह धार लगभग सूख जाती है। उसी सूखे के दौरान लोगों का यहां घर बनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह घर बनाने वालों के पास ना तो कोई सरकारी नक्शा है और ना ही कोई अनुमति। लेकिन बाढ़ में जब क्षति होती है, तो इन लोगों की डिमांड सरकारी मुआवजे की जरूर हो जाती है।

बारिश में बंद हो जाता है रास्ता

गौरतलब हो कि अररिया शहर के मुख्य चौराहे चांदनी चौक से लेकर जीरो माइल तक सड़क को चौड़ा कर दिया गया है। यह सड़क एनएच 327 ई है, जो जीरो माइल से मुड़कर चांदनी चौक पहुंचती है।

वहां से पश्चिम की ओर से रानीगंज के लिए चली जाती है। लेकिन, इस सड़क से बड़े वाहनों का आवागमन वर्जित है। बड़े वाहनों के लिए जीरो माइल से बाइपास बना दिया गया है। साथ ही चांदनी चौक से जीरोमाइल तक जाने वाली सड़क पर शहर के छोर पर आरसीसी का बड़ा पुल भी बना हुआ है।

इसी पुल के नीचे से कोसी धार बहती है। जितना चौड़ा यह पुल बना है, उस चौड़ाई के अनुरूप कोसी की धार अब नहीं बची है। कोसी धार काफी संकरी हो गई है, इसलिए जब इस धार में पानी आता है, तो वह जीरो माइल जाने वाली सड़क पर दो से 3 फीट तक बहने लगता है। यह कोई एक साल की बात नहीं है। हर साल यहां सड़क पर पानी आ जाने से आवागमन लगभग बंद हो जाता है।

लोगों को शहर तक जाने के लिए 5 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। इस सड़क पर पानी जमने से आसपास के जो घर हैं, उनमें भी पानी चला जाता है। पानी तकरीबन 3 से 4 दिनों तक इस सड़क पर जमा रहता है। इससे मरीजों को सदर अस्पताल तक जाने में काफी परेशानी होती है।

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि

अररिया नगर परिषद के पूर्व मुख्य पार्षद रितेश रॉय ने बताया कि अगर समय रहते कोसी धार के अतिक्रमण को हटाया नहीं गया, तो आने वाले दिनों में फारबिसगंज की तरह ही स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

उन्होंने बताया कि फारबिसगंज की सीता धार का अतिक्रमण हो जाने से आम दिनोन में भी आसपास के घरों में पानी घुसा रहता है। इसको लेकर फारबिसगंज में कई बार स्थानीय लोगों ने आंदोलन भी किया है। यही स्थिति अररिया के वार्ड नंबर 18, 19, 20, 26 और 29 के करीब से बहने वाली कोसी धार से भी हो सकती है।

रितेश रॉय ने कहा, “इस विकट स्थिति को देखते हुए मेरे द्वारा जिला स्तरीय बैठक में इस मुद्दे को रखा गया था। उस समय इस जिला स्तरीय बैठक में प्रभारी मंत्री आलोक रंजन भी मौजूद थे। मैंने प्रभारी मंत्री से भी अनुरोध किया था कि कोसी धार
को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए।”

उन्होंने बताया, “मैंने अपने कार्यकाल में तत्कालीन डीएम बैद्यनाथ यादव, प्रशांत कुमार और वर्तमान डीएम इनायत खान से मिलकर लिखित अनुरोध किया था कि कोसी धार को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए। नहीं तो आने वाले समय में बाढ़ के कारण अररिया शहर को काफी नुकसान हो सकता है। सरकार के आदेश में भी साफ तौर से दर्शाया गया है कि नदी से 100 मीटर की दूरी पर ही कोई पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता है। लेकिन ठीक इसके विपरीत कोसी नदी में अवैध निर्माण किया जा रहा है।”

उन्होंने बताया कि इस कार्य में भूमाफियाओं का बड़ा रोल है। जो लोगों को निजी जमीन बोलकर बेच रहे हैं, इसलिए धड़ल्ले से नदी में
निर्माण हो रहा है। निर्माण भी बिना नगर परिषद की अनुमति से किया जा रहा है। अतिक्रमण शहर वासियों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

“जल निकासी नहीं होने का परिणाम है कि 2017 में पूरे शहर में बाढ़ का पानी घुस गया था जिससे भारी तबाही मची थी। बाढ़ के पानी को निकासी की जगह नहीं मिली थी तो एनएच 327 ई सड़क को क्षतिग्रस्त करते हुए नदी ने बहने का रास्ता निकाल लिया था,” उन्होंने कहा।

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अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

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