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कुढ़नी उपचुनाव: राजद – जदयू महागठबंधन की असली अग्निपरीक्षा

कुढ़नी विधानसभा में भूमिहार और साहनी समुदाय के वोटर सबसे अधिक हैं। भूमिहार वोटरों की संख्या लगभग 35 हजार है, तो साहनी और रविदास को मिलाकर 48 हजार वोटर हैं। वहीं, मुस्लिम वोटरों की तादाद करीब 45 हजार और यादव वोटर लगभग 30 हजार हैं।

Reported By Umesh Kumar Ray |
Published On :

गोपालगंज और मोकामा विधानसभा सीट के उपचुनाव के नतीजे आने के करीब एक महीने बाद बिहार की एक और विधानसभा सीट मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में दिसंबर में उपचुनाव होने जा रहा है।

गोपालगंज और मोकामा सीट पर हुए उपचुनाव में मामला 50-50 रहा था। गोपालगंज सीट से पिछले चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। जदयू के एनडीए से अलग हो जाने के बावजूद उपचुनाव में भाजपा ने इस सीट पर जीत बरकरार रखी। वहीं, मोकामा से राजद नेता व बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी ने चुनाव लड़ा था और उन्होंने जीत दर्ज की। इस सीट पर पिछले चुनाव में अनंत सिंह ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, मोकामा सीट पर भाजपा ने अपने वोटर शेयर में इजाफा जरूर किया था, जो इस बात का संकेत है कि भाजपा ने इस सीट पर खुद को मजबूत किया है। इन दोनों सीटों के उपचुनाव परिणाम का सीधा-सा संदेश यह था कि भाजपा बिहार में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।

कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र की बात करें, तो पिछले चुनाव यानी साल 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां राजद नेता अनिल साहनी ने जीत दर्ज की थी। लेकिन, यह जीत बेहद करीबी थी। अनिल साहनी को कुल 78549 वोट मिले थे जबकि भाजपा नेता केदार गुप्ता को कुल 77837 मत मिले थे। जीत का अंतर सिर्फ 712 वोट थे। घोटाले में उनका नाम आने के चलते उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई, इसलिए उपचुनाव हो रहा है।


पिछले चुनाव में इस सीट पर राजद की जीत हुई थी, लेकिन इसके बावजूद इस बार राजद ने यह सीट जदयू को सौंप दी है, शायद इसलिए कि 2015 के विधानसभा चुनाव में जब जदयू और राजद एक साथ थे, तो यह सीट जदयू के पाले में गई थी। दूसरी वजह यह भी है कि साल 2010 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से जदयू के नेता मनोज सिंह कुशवाहा ने जीत दर्ज की थी।

जातीय गणित

कुढ़नी विधानसभा के वोटरों की बात करें, तो यहां भूमिहार और साहनी समुदाय के वोटर सबसे अधिक हैं। भूमिहार वोटरों की संख्या लगभग 35 हजार है, तो साहनी और रविदास को मिलाकर 48 हजार वोटर हैं। वहीं, मुस्लिम वोटरों की तादाद करीब 45 हजार और यादव वोटर लगभग 30 हजार हैं।

यहां लगभग 25 हजार कुशवाहा वोटर हैं। वैश्व समुदाय के वोटरों की संख्या लगभग 35 हजार है। राजपूत और ब्राह्मण-कायस्थ वोटरों की तादाद करीब 20 हजार है।

अगर पार्टियों को मिलने वाले जातिगत वोटों की बात करें, भाजपा और राजद के साथ आ जाने के बाद जदयू, दोनों के मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं, लेकिन साहनी वोट को अपने पाले में करने के लिए वीआईपी ने भी अपनी उम्मीदवार उतारा है, तो अगर साहनी वोट बंटता है, तो भाजपा को नुकसान हो सकता है।

सूत्र बताते हैं कि भाजपा के लिए यह सीट जीतना नाक का सवाल हो गया है और इसके लिए बड़े नेता भी यहां चुनावी सभाएं कर सकते हैं। भाजपा पर अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाए रखने के साथ ही नये वोटर जोड़ने का भी दबाव है ताकि एक आरामदायक जीत सुनिश्चित की जा सके।

जदयू के लिए आसान नहीं राह

साल 2015 के चुनाव में राजद और जदयू एक साथ थे, इसके बावजूद जदयू यह सीट भाजपा के हाथों हार गई थी। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद ने भाजपा उम्मीदवार को पटखनी दे दी थी, लेकिन इस बार राजद ने यह सीट जदयू के लिए छोड़ दी है।

मगर, सवाल है कि क्या जदयू यह सीट जीत सकता है? साल 2015 में जदयू की जो राजनीतिक स्थिति थी, वह अब बदल गई है? इन सवालों का जवाब आसान नहीं है, मगर इतना जरूर है कि सियासी तौर पर जदयू अब कमजोर पड़ चुकी है।

दूसरी बात यह भी है कि इस बार यह सीट राजद ने जदयू को दे दिया है, तो राजद के जमीनी कार्यकर्ताओं में इससे निराशा भी है। ऐसे में आशंका है कि राजद के कार्यकर्ता उस उत्साह के साथ जदयू के समर्थन में प्रचार नहीं करेंगे, जिस उत्साह से वह राजद के उम्मीदवार के लिए करते।

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चुनाव प्रचार के दौरान जदयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा

यह चुनाव परिणाम यह भी बताएगा कि जदयू और राजद एक साथ मिलकर भाजपा को धूल चटा सकते हैं कि नहीं।

हालांकि, एक स्थानीय राजद कार्यकर्ता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “मुस्लिम और यादव वोटरों ने एकजुट होकर जदयू उम्मीदवार को वोट देने का मन बनाया है। इसके अलावा जदयू उम्मीदवार की अगड़ी जातियों में भी अच्छी पकड़ है, तो जदयू की जीत तय है। मुझे लगता है कि कम से कम 20 हजार की मार्जिन से जदयू उम्मीदवार जीतेंगे।” हालांकि, भाजपा नेताओं का दावा है कि उनके उम्मीदवार की जीत निश्चित है।

क्या भाजपा दोहरा पाएगी जीत

साल 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद एक साथ थी व भाजपा ने अकेले चुनाव लड़ा था, मगर इसके बावजूद भाजपा उम्मीदवार केदार गुप्ता ने 11570 वोटों के अंतर से जदयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को मात दे दी थी। चुनावी इतिहास बताता है कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले के किसी भी विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा नहीं जीती थी। इसके बाद के विधानसभा चुनाव यानी साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा जीत को दोहरा नहीं पाई।

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चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा उम्मीदवार केदार गुप्ता

अब जब इस सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है, तो अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा एड़ी-चोटी का प्रयास कर रही है। इस बार भी भाजपा ने इस सीट से केदार गुप्ता को ही टिकट दिया है। वहीं, जदयू ने साल 2015 में चुनाव लड़ने वाले मनोज कुशवाहा को दोबारा उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा सन ऑफ मल्लाह के नाम से मशहूर पूर्व मंत्री मुकेश साहनी की वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) भी चुनाव मैदान में है।

क्या मुद्दों पर पड़ेंगे वोट

कुढ़नी विधानसभा, मुजफ्फरपुर से सटा हुआ है। क्षेत्र में गरीब तबका अधिक है और उनके बुनियादी मुद्दे हैं, जिनका वे समाधान चाहते हैं। कुढ़नी क्षेत्र के अमरख गांव के रघुनाथ कहते हैं, “ढाई साल से इंदिरा आवास का आवेदन बंद है जिससे गरीब लोग आवेदन नहीं कर पा रहे हैं और कच्चे घरों में रहने को विवश हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य केंद्रों और स्कूलों की हालत भी खराब है। इसका भी समाधान निकालना चाहिए।”

क्षेत्र में पासी समुदाय के लोग भी रहते हैं। उनके लिए ताड़ी पर प्रतिबंध और इसे लागू करने के लिए पुलिसिया अत्याचार बड़ा मुद्दा है। रघुनाथ कहते हैं, “शराबबंदी कानून लागू करने के नाम पर पुलिस गुंडागर्दी करती है। अगर कोई ताड़ी बेचता है, तो उसे शराब बेचने का आरोप लगाकर पुलिस गिरफ्तार कर उन पर अत्याचार करती है। इस पर रोक लगना चाहिए।”

इंदिरा आवास योजना कुढ़नी के लिए बड़ा मुद्दा है और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुजफ्फरपुर जिले के सभी मुखिया ने पिछले दिनों दिल्ली में दो दिनों तक धरना दिया था, लेकिन अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकला है।

बंगरा बंशीधर पंचायत की मुखिया कनकलती देवी कहती हैं, “लोग इंदिरा आवास के लिए परेशान हैं। बिहार के सभी जिलों में इंदिरा आवास के लिए ऑनलाइन आवेदन करने का पोर्टल काम कर रहा है, लोग आवेदन कर रहे हैं, लेकिन मुजफ्फरपुर का पोर्टल बंद है।”

“गरीब लोग इस योजना का लाभ लेने के लिए हम लोगों को परेशान करते हैं, इसलिए धरना दिया, लेकिन कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। हमलोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है,” उन्होंने कहा।

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उन्होंने आगे कहा, “यहां के वोटर वोट किस मुद्दे पर करेंगे, यह कहना मुश्किल है क्योंकि वे कुछ बोल नहीं रहे हैं। हां, इतना कह सकते हैं कि कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र के मुखिया तो भाजपा को वोट देने नहीं जा रहे हैं।”

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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