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क्या गोपालगंज में RJD की हार से AIMIM को खुश होना चाहिए?

बिहार में राजद-जदयू की महागठबंधन सरकार बनने के बाद हुए पहले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल और भारतीय जनता पार्टी एक-एक विधानसभा सीट जीतने में कामयाब रही।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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बिहार में राजद-जदयू की महागठबंधन सरकार बनने के बाद हुए पहले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल और भारतीय जनता पार्टी एक-एक विधानसभा सीट जीतने में कामयाब रही। बिहार की दो विधानसभा सीट मोकामा और गोपालगंज में उपचुनाव हुए।

मोकामा सीट बाहुबली नेता अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी राजद टिकट पर जीतने में कामयाब रहीं। नीलम को 79,744 तो वहीं उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की सोनम देवी को 63,003 वोट मिले। यह सीट 2005 से अनंत जीत रहे हैं। उनसे पहले 1990 और 1995 में उनके भाई दिलीप सिंह भी यहाँ के विधायक रहे हैं।

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दूसरी तरफ भाजपा अपनी पारंपरिक सीट गोपालगंज बचाने में कामयाब रही। यह सीट अक्टूबर 2005 से भाजपा के सुभाष सिंह जीत रहे थे। सुभाष सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी कुसुम देवी भाजपा के लिए यह सीट बचाने में कामयाब रहीं। 70,053 वोट लाकर कुसुम देवी ने राजद के मोहन प्रसाद गुप्ता को 1,794 वोटों से मात दी।


मोकामा में राजद की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन इस बार गोपालगंज पर सबकी निगाहें टिकी थीं। गोपालगंज में भाजपा और राजद के अलावा साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) भी मैदान में थी। बहुजन समाज पार्टी (BSP) टिकट पर चुनाव लड़ रही इंदिरा यादव को 8,854 वोट मिले, तो वहीं AIMIM के उम्मीदवार अब्दुल सलाम ने 12,214 वोट हासिल किए।

पारंपरिक सीट और सहानुभूति

गोपालगंज विधानसभा सीट भाजपा अक्टूबर 2005 से जीत रही है। उससे पहले 2000 में एक बार राजद ने इस सीट पर जीत दर्ज कि थी और फरवरी 2005 के चुनाव में BSP के रेयाजुल हक़ उर्फ़ राजू 3,298 वोटों से यहाँ चुनाव जीते थे। सुभाष सिंह लगातार चार बार गोपालगंज के विधायक रहे हैं। 2000 का विधानसभा चुनाव उन्होंने आनंद मोहन सिंह की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी से लड़ा था और दूसरे स्थान पर आए थे। फरवरी 2005 का चुनाव उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर लड़ा और फिर दूसरे स्थान पर आए। अक्टूबर 2005 में भाजपा का टिकट मिला और पहली बार चुनाव जीते। लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त, 2022 को दिल्ली के AIIMS अस्पताल में उनका निधन हो गया। भाजपा ने उनकी पत्नी कुसुम देवी को मैदान में उतारा था, इसलिए सहानुभूति फैक्टर को नकारा नहीं जा सकता।

साधु यादव फैक्टर

अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ़ साधू यादव पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी यादव के भाई हैं और 2000 में राजद टिकट पर गोपालगंज से विधायक भी बने थे। साल 2004 में वह गोपालगंज से सांसद बन गए। 2009 में उन्होंने राजद छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। साल 2010 का विधानसभा चुनाव भी उन्होंने गोपालगंज से राजद के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर लड़ा, लेकिन सिर्फ 8,488 वोट ला सके। 2015 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने गरीब जनता दल (सेक्युलर) नाम से अपनी पार्टी बनाई ली। इस चुनाव में गोपालगंज में उनके पार्टी के उम्मीदवार अमीरुल्लाह अंसारी को मात्र 513 वोट मिले। 2020 के विधानसभा चुनाव में साधू यादव ने गोपालगंज से BSP के टिकट पर लड़ा और भाजपा के सुभाष सिंह के 77,791 वोट के मुक़ाबले सिर्फ 41,039 वोट ला सके। साधू यादव की पत्नी इंदिरा यादव फरवरी 2005 में भी गोपालगंज से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ी थी और 22,617 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रही थी। इस चुनाव में राजद उम्मीदवार अम्बिका यादव को मात्र 7,250 वोट मिले थे।

मोहम्मद शहाबुद्दीन फैक्टर

देशभर में कोरोना लहर के दौरान दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में 1 मई 2021 को सिवान और गोपालगंज क्षेत्र के बड़े मुस्लिम नेता मो. शहाबुद्दीन का निधन हो गया था। 1996 से 2009 के बीच शहाबुद्दीन लगातार चार बार सिवान के सांसद रहे और उससे पहले विधायक भी बने। इस क्षेत्र के मुसलामानों में उनकी अच्छी पकड़ थी। शाहबुद्दीन के निधन के बाद उनके समर्थकों ने राजद पर उनके परिवार की अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं।

राजद के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार शाहबुद्दीन के बेटे ओसामा सहाब ने गोपालगंज के मुसलमानों से पार्टी के खिलाफ वोट करने की अपील भी की थी। शाहबुद्दीन समर्थकों में नाराज़गी को चुनाव के दौरान कुछ चैनल ने कवर भी किया था।

राजद नेता राजू

गोपालगंज के स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि रेयाजुल हक़ उर्फ़ राजू गोपालगंज ज़िले के बड़े मुस्लिम नेता रहे हैं। साल 2000 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उन्हें 17,837 मिले थे। फरवरी 2005 में वह BSP के टिकट पर चुनाव जीते भी थे। लेकिन, इसी साल अक्टूबर में हुए चुनाव में वह 7,934 वोटों से हार गए। 2010 में उन्हें राजद ने टिकट दिया और 42,066 वोटों के साथ वह दूसरे स्थान पर आए। 2015 में भी राजू को राजद ने टिकट दिया, लेकिन एक करीबी मुक़ाबले में 5,000 वोटों से चुनाव हार गए। साल 2020 में यह सीट कांग्रेस के कोटे में चला गया था। स्थानीय जानकारों के अनुसार, इस बार भी राजू टिकट की आस में थे। हालांकि उन्होंने पार्टी का साथ दिया, लेकिन पहले की तरह मुस्लिम वोट को राजद के तरफ लाने में असफल रहे।

AIMIM का बदला

गोपालगंज का परिणाम आने के बाद सोशल मीडिया पर सीमांचल में AIMIM के कुछ समर्थकों ने ख़ुशी जाहिर की है। किशनगंज के एक पार्टी समर्थक ने फेसबुक पर लिखा, “देखें, कैसा हारे गोपालगंज और AIMIM का विधायक तोड़ोगे।”

राजद की सिवान टीम के आधिकारिक हैंडल ने ट्वीट किया – “भाजपा की B टीम के सहयोगी बेनक़ाब हो गए इस चुनाव में। A टू Z की हमारी पार्टी सभी वर्गों को समुचित सम्मान देकर साथ आगे बढ़ेगी। महागठबंधन के सभी साथियों को चुनावी प्रचार में निष्ठापूर्वक मेहनत हेतु साधुवाद। हम 2024 आम चुनाव को लक्षित कर भाजपा की A, B, C सभी टीमों का सफाया करेंगे।”

दरअसल, बिहार में महागठबंधन सरकार बनने से ठीक पहले 29 जून, 2022 को AIMIM के बिहार में पांच विधायकों में से चार राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए थे। इन चार विधायकों में जोकीहाट विधायक शाहनवाज़, बहादुरगंज विधायक अंजार नईमी, कोचाधामन विधायक इजहार असफी और बायसी विधायक सय्यद रुकनुद्दीन अहमद शामिल थे। शहनावाज फिलहाल आपदा प्रबंधन मंत्री हैं।

AIMIM बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक अख्तरुल ईमान कहते हैं, “समर्थक जज़्बात में ऐसा लिख रहे हैं। AIMIM चुनाव जीतने के लिए लड़ती है। मैं गोपालगंज के लोगों को मुबारकबाद देता हूँ, AIMIM पहली बार वहां चुनाव लड़ी और उन्होंने हमें 12,000 वोट दिए। देश की अकलियतों, दलितों और पिछड़े तबकों को एक जुट होने की जरूरत है।”

राजद कोटे से मंत्री शाहनवाज़ कहते हैं, “AIMIM अपने गुप्त एजेंडा में कामयाब रही। वह जीत नहीं सकते थे, उन्हें मालूम था। इसलिए सिर्फ राजद को हराने के लिए AIMIM ने यह चुनाव लड़ा था।”

Bihar disaster management minister shahnawaz and local leaders campaigning for rjd candidate in Gopalganj Vidhansabha by election 2022

इस पर ईमान कहते हैं, “जिस गुप्त एजेंडा से शाहनवाज़ साहब AIMIM टिकट पर जोकीहाट जीते, वही गुप्त एजेंडा है।”

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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