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कटिहार: खंडहरनुमा जर्जर इंदिरा आवास कभी भी बन सकता है बड़े हादसे की वजह

कटिहार के समेली प्रखंड की मलहरिया पंचायत स्थित बखरी गांव के लोग जर्जर छत के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं।

shadab alam Reported By Shadab Alam | Katihar |
Published On :
katihar news

कटिहार के समेली प्रखंड की मलहरिया पंचायत स्थित बखरी गांव के लोग जर्जर छत के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं। इस गांव में सालों पहले सरकार द्वारा सैकड़ों इंदिरा आवास निर्माण करवाए गए थे, मगर उसके बाद धीरे-धीरे सभी आवास जर्जर हो गए। इन खस्ताहाल मकानों के मेंटेनेंस के नाम पर कुछ भी नहीं हो पाया है, जिस कारण अब लोगों ने घर छोड़कर या तो मचान में बसेरा बनाया है या घर के अंदर जान जोखिम में डालकर रहने पर मजबूर हैं। ऐसे में तेज हवा के झोका या जोरदार बारिश कभी इस इलाके के लिए बड़े हादसे की वजह बन सकता है।


क्या कहते हैं मकान के लाभुक

कटिहार ज़िले का यह बखरी गांव महादलित बहुसंखक है।

जर्जर हो चुके मकानों को लेकर पीड़ित गाँव निवासियों का कहना है कि 30 से 35 साल पहले इंदिरा आवास योजना से घर बनाकर दिया गया था जो अब जर्जर हो चुका है। वृद्ध अवस्था में पहुंच चुके नित्यानंद ऋषि कहते हैं, “30 साल से ऊपर हो गया घर बने हुए, मेरा घर टूट गया तब से हम लोग मचान पर चचला बनाकर और पल्ली टांग कर रह रहे हैं। बाल बच्चों को बहुत तकलीफ होता है। यहाँ कोई सरकार ध्यान नहीं देता है, बहुत दुख से रहते हैं।”


गांव की एक बुज़ुर्ग मिथिया देवी के अनुसार उनका घर 2 वर्ष पहले गिर गया था, तब से वह और उनका परिवार मचान और पल्ली के बीच धुप की तपिश और रात की ठंडक झेलने पर मजबूर है। वहीं, गांव के कुछ लोऊगो ने बताया कि सरकार ने तीन डिसमिल ज़मीन देकर महादलित परिवारों को बसाने की बात कही थी, लेकिन आज तक किसी को कोई ज़मीन नहीं मिली है , अब उनकी मांग है कि उनके मकान को दुरुस्त किया जाए।

मामले पर क्या कहते हैं जिलाधिकारी

इंदिरा आवासों की इस जर्जर हालात पर कटिहार जिलाधिकारी उदयन मिश्रा कहते हैं, “यह सिर्फ समेली में ही नहीं बल्कि पूरे ज़िले में, पूरे राज्य में ही ऐसी स्थिति है। आज से 15 वर्ष पूर्व जब यह योजना इंदिरा आवास के नाम से जानी जाती थी, तब ही ये मकान बनाये गए थे, जो आज जर्जर हो चुके हैं । सरकार पीड़ितों को अलग से स्वंय सहायता समूह के माध्यम से पचास हज़ार रुपए की रकम उपलब्ध करा रही है ।

“इसके अलावा हम इस समस्या को और भी एक -दो योजनाओं से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। जिन घरों में पक्की छत न देकर एस्बस्टस वग़ैरह लगाया गया था, उसमे छत ढालने के संबंध में हम लोग कुछ योजनाओं की तैयारी में लगे हैं। जल्द ही जर्जर हो चुके मकान सही अवस्था में आ जाएं, हम इसके प्रयास में लगे हैं,” उन्होंने कहा।

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सय्यद शादाब आलम बिहार के कटिहार ज़िले से पत्रकार हैं।

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