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क्यों गायब हो रहा है खट्टा-मीठा स्वाद वाला सुरजापुरी आम

सुरजापुरी आम में कीड़े पड़ने की एक बीमारी ने पहले इस आम की व्यावसायिक प्रतिष्ठा छीन ली। फल में लगातार कीड़े पड़ने के कारण एक समय बाद आम लोगों ने भी अपने पेड़ों को उजाड़ना शुरू कर दिया।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
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भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे बांग्लादेश के ठाकुरगांव बलियादांगी में करीब 200 साल पुराना सुरजापुरी आम का एक पेड़ है। यह पेड़ 90 फीट ऊँचा, 35 फीट चौड़ा है और दो बीघा ज़मीन पर फैला हुआ है। यह पेड़ इतना प्रसिद्ध है कि अब पर्यटन स्थल का दर्जा पा चुका है और इसे देखने के लिए लोगों को बांग्लादेशी मुद्रा 20 टका का टिकट खरीदना पड़ता है।

यह जानकरी जितनी रोचक है, उससे ज्यादा डरावनी यह बात है कि खट्टे-मीठे स्वाद के कारण सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला सुरजापुरी आम अपने अस्तित्व को खोने के कगार पर पहुँच चुका है। एक समय आसानी से सीमांचल क्षेत्र में मिलने वाला यह आम अब मुश्किल से बाज़ारों में नजर आता है।

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सुरजापुरी आम में कीड़े पड़ने की एक बीमारी ने पहले इस आम की व्यावसायिक प्रतिष्ठा छीन ली। फल में लगातार कीड़े पड़ने के कारण एक समय बाद आम लोगों ने भी अपने पेड़ों को उजाड़ना शुरू कर दिया। हालात ऐसे हो गए हैं कि जहाँ कहीं भी पुराना बगीचा बचा है, सिर्फ वहीँ बड़े पैमाने पर सुरजापुरी आम का पेड़ नजर आता है, वरना घर में शौकिया तौर पर आम का पौधा लगाने वाले लोगों में इस आम को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं है, नतीजतन, इस आम का नामोनिशान मिटता जा रहा है।


किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत दामलबाड़ी बाजार में ठेला लगाकर फल बेच रहे लाल मोहम्मद अंसारी बताते हैं कि एक समय सुरजापुरी आम की लोकप्रियता दूर दराज के इलाकों तक थी।

लेकिन अब ठेले पर यदि बाकी आम के साथ सुरजापुरी आम भी रखा जाये तो, बाकी आम बिक जायेगा पर सुरजापुरी आम रद्दी के भाव भी बेचना मुश्किल होता है।

लाल मोहम्मद का मानना है कि चाय बागान में इस्तेमाल किये जाने वाले केमिकल का असर सुरजापुरी आम पर दिख रहा है। लाल मोहम्मद सरकार से अपील करते हैं कि सरकार इस आम को बचाने के लिए प्रयास करे।

उत्तर दिनाजपुर जिले का पांजीपाड़ा मार्केट पश्चिम बंगाल और बिहार दोनों राज्य के लोगों का व्यापारिक केंद्र है। पांजीपाड़ा बाजार में पिछले 35 सालों से फल बेच रहे कुर्बान अली कहते हैं कि पिछले 15 वर्षों से सुरजापुरी आम में कीड़ा दिखने लगा है। उससे पहले यह आम सभी बीमारी से दूर था। आज स्थिति ऐसी है की कई लोग सुरजापुरी आम खोजने तो आते हैं, लेकिन अंदर कीड़ा होने के कारण हम लोग डर से बेच नहीं पाते हैं।

ऐनुल हक़ साइकिल से गांव गांव जाकर आम बेचते हैं, सुरजापुरी आम के बारे में उन्होंने बताया कि व्यापारी इस आम का रेट ज्यादा लेता है जिससे उन्हें फायदा कम होता है। इसीलिए ऐनुल हक़ सुरजापुरी आम नहीं बेचते।

मोहम्मद जफीरुद्दीन का पूरा परिवार आम के व्यापार में लगभग 15 वर्षों से जुड़ा हुआ है। उनका परिवार बागान मालिकों से कुछ वर्षों के लिए बागान लेता है और पेड़ की देखरेख कर अच्छी पैदावार करता है। जफीरुद्दीन का कहना है कि सुरजापुरी आम मार्केट में पूरी तरह से रिजेक्टेड है। इस आम के व्यापार में लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, किसी तरह आम बिक भी जाये तो सही कीमत नहीं मिलती है।

मोहम्मद शरीफ किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड के बगलबाड़ी गाँव का रहने वाला है। लगभग 50 साल पहले उसके दादा ने सुरजापुरी आम का एक बागान लगाया था। शरीफ का कहना है कि वर्तमान में लोगों ने सुरजापुरी आम का पौधारोपण करना छोड़ दिया है, क्योंकि यह न सिर्फ ज्यादा जगह घेरता है, बल्कि फल देने में भी काफी समय लेता है।

किशनगंज स्थित डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय में पांच वर्षों से कार्यरत फल विज्ञान के वैज्ञानिक डॉ देवेंद्र प्रसाद साहा ने बताया की फल में लग रहे कीड़ों का उपचार किया जा सकता है। ये कीड़े सामान्यतः सभी फलों को क्षति पहुंचाते हैं, लेकिन सुरजापुरी आम सीजन के आखिरी में होने के कारण कीड़ों का सबसे ज्यादा मार झेलता है।

डॉ देवेंद्र ने आगे बताया कि सुरजापुरी आम स्वाद में खट्टा मीठा होने के कारण अपनी अलग पहचान रखता है, साथ ही सीज़न के आखिर में पकने वाले चुनिंदा आमों में से एक है।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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