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अररिया: बिजली विभाग ने 4 युवकों पर क्यों दर्ज कराई एफआईआर

शिकायतकर्ता अमलेश कुमार पेशे से सरकारी इलेक्ट्रिक इंजीनियर हैं। उन्होंने 24 जनवरी को बैरगाछी थाने में एक लिखित शिकायत देकर एफ़आईआर दर्ज करने की अपील की थी।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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अररिया के बैरगाछी ओपी (आउटपोस्ट) में 9 फरवरी को कुछ लोगों पर बोची स्थित विद्युत शक्ति उपकेंद्र (इलेक्ट्रिक पावर सबस्टेशन) में घुसकर जबरन शट-डाउन करवाने और अधिकारियों को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की गई। शिकायतकर्ता अमलेश कुमार पेशे से सरकारी इलेक्ट्रिक इंजीनियर हैं। उन्होंने 24 जनवरी को बैरगाछी थाने में एक लिखित शिकायत देकर एफ़आईआर दर्ज करने की अपील की थी।

शिकायत पत्र देने के 16 दिनों बाद 9 फरवरी को मुख्य तौर पर 4 लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की गई है। इन 4 मुख्य आरोपियों में फैसल यासीन, सरफ़राज़ आलम, मुजाहिद आलम और सुधीर झा शामिल हैं। उन पर आईपीसी की धारा 341, 323, 353, 504 और 34 लगाई गई है। एफआईआर में 2 दर्जन अज्ञात लोगों पर भी मामला दर्ज किया गया है।

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शिकायतकर्ता अमलेश कुमार बोची के विद्युत आपूर्ति प्रशाखा में इलेक्ट्रिक इंजीनियर के तौर पर कार्यरत हैं। अमलेश कुमार ने शिकायत पत्र में लिखा कि फैसल यासीन, सरफ़राज़ आलम, मुजाहिद आलम और सुधीर झा के साथ 20-25 लोग बोची इलेक्ट्रिक पावर सबस्टेशन में जबरन घुस गए और प्रतिबंधित क्षेत्र में पैनल और बैरगाछी फीडर से छेड़खानी की जिससे कोई बड़ा विस्फोटक हादसा भी हो सकता था।


‘मैं मीडिया’ को शिकायतकर्ता ने नहीं दिया बयान

शिकायत पत्र में फैसल यासीन द्वारा जबरन शट-डाउन करवाने की मांग करने और ऐसा न करने पर जान से मारने की धमकी देने की बात लिखी गई है। इस मामले में हमने शिकायतकर्ता अमलेश कुमार से फ़ोन पर बात की और उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इस पूरे मामले में अपना बयान देने से मना कर दिया और कहा कि थाने के अधिकारी या इलेक्ट्रिक पावर के दूसरे बड़े अधिकारियों से बात कर लीजिये।

हमने उनसे शिकायत पत्र की बात पूछी, तो उन्होंने कहा, “इस मामले की जानकारी के लिए वरीय पदाधिकारी से बात कीजिये और एफ़आइआर के लिए हम से ऊपर बात कर लीजिये। आपको यह जानना है कि यह पूरा मामला क्या है तो आप वेरिफिकेशन कर लीजिये। हम तो थाने में शिकायत पत्र दे दिए। थाने में एफ़आईआर नहीं हुई तो हम वरीय पदाधिकारी को कॉपी दे दिए। अब जो कुछ भी हुआ है उनके माध्यम से हुआ है, उन्हीं के माध्यम से रजिस्टर भी हुआ है तो आप उनसे ही पूछ लीजिये।”

एफ़आईआर कॉपी में अमलेश कुमार (शिकायतकर्ता) के अलावा बिजली विभाग के किसी और पदाधिकारी का नाम या संपर्क करने के लिए किसी पते की जानकारी नहीं दी गई है। गवाह के तौर पर किसी सद्दाम नामक व्यक्ति का नाम लिखा गया है, लेकिन पत्र में उनका फ़ोन नंबर या उनकी कोई और जानकारी नहीं मिली।

मामले के मुख्य आरोपी ने क्या कहा

‘मैं मीडिया’ ने इस घटना के मुख्य आरोपी फैसल यासीन से बात की, जिसमें उन्होंने अमलेश कुमार द्वारा एफ़आईआर में लगाए गए आरोपों को मनगढ़ंत बताया। उन्होंने कहा कि वह ‘अररिया का मुद्दा’ के नाम से अररिया जिले के विभिन्न इलाकों में जनचौपाल लगाते हैं और अररिया में अफसरशाही के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं।

“यहां पर जो अधिकारी हैं, वे खुद को राजा समझते हैं, कोई इसके खिलाफ आवाज़ उठाये तो उसको जेल भेजना चाहते हैं। उस दिन का मामला यह है कि कनायन इलाके में घरों के ऊपर तार लटके हुए थे, जो जानलेवा थे। उससे लोगों की मौत हो सकती थी,” फैसल यासीन ने कहा।

“तार लोगों के घरों के 10-11 फ़ीट ऊपर लटके थे। पास में वहां एक पेट्रोल पंप भी है। मैंने इस बारे में एसडीओ से बात की, तो उन्होंने कहा कि वहां चले जाइये मैं मिस्त्री को बोल देता हूँ बड़ी आसानी से यह काम हो जाएगा। मेरी जेईई (अमलेश कुमार) से भी बात हुई तो उन्होंने ने भी यही बोला। वहां उन लोगों ने तार शिफ्ट कर दिया और हमें बिजली ऑफिस आने को कहा तो मैंने सोचा शुक्रिया बोलने के लिए चला जाता हूँ। मैं ऑफिस गया और थैंक यू बोला काम करवाने के लिए। एफ़आईआर में लिखा गया कि मैंने जेईई को जान से मारने की धमकी दी और मुझपर शट-डाउन करवाने का भी आरोप है। यह सब झूठ कहा जा रहा है,” फैसल ने आगे कहा।

फैसल ने बताया कि उनकी पत्नी वार्ड संख्या 18 से जिला पार्षद हैं और वह खुद अररिया के अलग अलग मुद्दों पर कार्यक्रम करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक अधिकारी बिल वसूलने में घोटाला करते हैं, गांव गांव जाकर बिल वसूलते हैं, लेकिन रसीद नहीं देते।

“अक्सर ये लोग जान-बूझ कर बिजली के तारों को घरों के ऊपर लटकता छोड़ देते हैं और उसको हटाने के लिए लोगों से 10-20 हज़ार रुपय ले लेते हैं। हमने इन चीज़ों के खिलाफ आवाज़ उठाई और गांव गांव जाकर लोगों से कहा कि बिजली बिल देकर रसीद ज़रूर लें। हमने और हमारी टीम ने अफसरशाही के खिलाफ जो अभियान चलाया है, उसे ही रोकने की साज़िश के तौर पर हम पर एफ़आईआर दर्ज की गई है,” फैसल यासीन कहते हैं।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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