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किसके फायदे के लिए है इथेनॉल प्लांट? स्थानीय लोगों से न मक्का खरीदता, न रोज़गार देता

फैक्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी से परोरा गाँव निवासी किसान दिनेश पासवान की फसल लगातार बर्बाद हो रही है।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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Ethanol plant in purnea

30 अप्रैल, 2022 को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन ने बिहार के पूर्णिया में देश का पहला ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट का उद्घाटन किया था, इस बात पर जोर दिया गया था की सीमांचल क्षेत्र में मक्के की पैदावार ज़्यादा होती है, इसलिए इस फैक्ट्री से स्थानीय किसानों को फायदा होगा। इस प्लांट को ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड संचालित करती है। इनके द्वारा तैयार की गई प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट में भी कहा गया है, इस प्रोजेक्ट का मक़सद इलाके में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना और वायु प्रदूषण घटाना है।


लेकिन, स्थानीय लोगों का आरोप है, एक साल होने जा रहा है, आज तक किसी भी किसान से मक्का नहीं खरीदी गई है। स्थानीय जिला परिषद सदस्य देशबंधु कुमार उर्फ़ बुलबुल पासवान बताते हैं, इसको लेकर जब ग्रामीणों ने फैक्ट्री से बात किया गया, उन्होंने कहा इथेनॉल प्लांट में सिर्फ Food Corporation of India (FCI) गोदाम का चावल ही इस्तेमाल होता है।

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फैक्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी से परोरा गाँव निवासी किसान दिनेश पासवान की फसल लगातार बर्बाद हो रही है। उन्होंने जब फैक्ट्री से शिकायत की, उनसे कहा गया, इथेनॉल प्लांट उनका मक्का खरीदेगा, लेकिन वो नाउम्मीद हैं।


East India Research Council (EIRC) की इनिशिएटिव Toxics Watch इन विषयों पर शोध करता है। Toxics Watch से जुड़े गोपाल कृष्ण कहते हैं, फैक्ट्री पूर्णिया में है, तो वहाँ के लोगों का हक़ है की इथेनॉल प्लांट उनका अनाज खरीदे।

इथेनॉल प्लांट के पास स्थित हरदिया चातर आदिवासी टोले की अधिकांश आबादी मज़दूरी कर अपना भरण पोषण करती है। लेकिन, उन्हें आज तक कंपनी ने कोई काम नहीं दिया है। स्थानीय लोगों को दावा है, इथेनॉल प्लांट में सारे मज़दूर बाहर के हैं।

Toxics Watch के गोपाल कृष्ण, स्थानीय लोगों को रोज़गार नहीं देना वादा खिलाफी और विश्वासघात है। वो बताते, फैक्ट्री अक्सर ऐसा इसलिए भी करती है ताकि किस अनहोनी में उन्हें स्थानीय मदद न मिल सके।

इन आरोपों को लेकर हमने कई बार कंपनी में जा कर वहां के ज़िम्मेदार लोगों से बात करनी की कोशिश की, लेकिन वो मिलने से लगातार बचते रहे।


Part -1:  पूर्णिया का अभिशाप एथेनॉल फैक्ट्री, फसल तबाह, आँखों में बीमारी


 

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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